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Tag: केन्द्रीय पर्यटन मंत्री के. चिरंजीवी

तेलंगाना मुद्दे पर पर्यटन मंत्रालय त्यागने वाले चिरंजीवी ने होटल इंडस्ट्रीज नियमों सुधारों के लिए वित्त मंत्री के कदम का स्वागत किया

तेलंगाना के मुद्दे पर मंत्री पद त्यागने वाले केन्द्रीय पर्यटन मंत्री डा० के. चिरंजीवी ने तेलंगाना के मुद्दे के कुछ ठंडा होने पर अब फिर से अपने मंत्रालय का काम काज देखना शुरू कर दिया है| होटल और सम्मेलनों के प्रति वित्त मंत्री के निर्णय के स्वागत के साथ उन्होंने इसकी शुरुआत की है|
डा० के. चिरंजीवी ने वित्त मंत्रालय द्वारा देश में कहीं भी 200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले होटलों और 300 करोड़ की अधिक लागत वाले सम्मेलन केन्द्रों को आधारभूत संरचना क्षेत्र के उप-क्षेत्र मान लेने का स्वागत किया है। ऐसे होटलों और सम्मेलन केन्द्रों को आधारभूत संरचना क्षेत्र के उप-क्षेत्रों की संशोधित मास्टर सूची में शामिल कर लिए जाने संबंधी सुविधाएं तत्संबंधी अधिसूचना जारी होने के बाद तीन वर्ष तक उपलब्ध होंगी। होटलों और सम्मेलन केन्द्रों की उक्त लागत में जमीन की कीमत अथवा उसका किराया शामिल नहीं होगा। किन्तु निर्माण् कार्य की लागत अवश्य शामिल होगी।
डा० के. चिरंजीवी ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने, रोजगार सर्जन, और देश के समग्र आर्थिक विकास की दृष्टि से वित्त मंत्रायल का यह एक सकारात्मक और सार्थक कदम है। वह काफी दिन से ऐसा चाहते थे और उन्होंने इस सिलसिलें में वित्त मंत्री श्री पी.चिदम्बरम से भेंट की थी|

पर्यटन मंत्रालय ने एतिहासिक महाबोधि मंदिर पर हुए हमले में नुक्सान की रिपोर्ट बिहार सरकार से मांगी

केन्द्रीय पर्यटन मंत्री के. चिरंजीवी ने एतिहासिक महाबोधि मंदिर पर हुए हमले में नुक्सान की रिपोर्ट बिहार सरकार से मांगी है|
श्री . चिरंजीवी ने बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है।उन्होंने कहा है कि यह मंदिर शांति, एकता और मानव उत्थान का अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक है। मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में उऩ्होंने इस हमले में तीर्थयात्रियों के घायल होने और संपत्ति के नुकसान पर गहरा खेद व्यक्त किया है। बताय गया है कि इस मंदिर का निर्माण पांचवीं और छठी शताब्दी ईसा पूर्व में किया गया था। यह विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। मंत्री ने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया है कि वे धार्मिक विश्वास के मामले में एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु रहे और भगवान बुद्ध द्वारा बताए गए मार्ग पर मानवतावादी समाज के निर्माण के लिए कार्य करें।