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Tag: छोटा बाज़ार

माळ या शोरूम की व्यवस्था के साथ ही आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित की जानी चाहिए

केंद्र और राज्य सरकारे आज कल आम आदमी की सेवा करने को समर्पित होने के ड्रम पीटने में लगी है लेकिन वास्तविक रूप से जमीनी हकीकत क्या है इसे जानने के लिए यहाँ एक छोटा सा उधाहरण प्रस्तुत है|

 माळ या शोरूम की व्यवस्था के साथ ही आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित की जानी चाहिए

माळ या शोरूम की व्यवस्था के साथ ही आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित की जानी चाहिए

मेरठ में जगह जगह छोटे दुकानदार ठेलों पर या फड़ लगा कर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम करते मिल जायेंगे |दुर्भाग्य से इनके लिए कोई सरकारी जमीन का एलोटमेंट नहीं है इसीलिए किसी के भी खाली पड़े प्लाट पर या सडकों के किनारे का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है| ऐसा ही एक प्रयास गंगा नगर में भी किया जाता है|यहाँ सैकड़ों की संख्या में छोटे व्यापारी एक पैंठ लगाते हैं |इसमें दूर दूर से ठेलों में भर कर सब्जियां और दूसरे सामन लाये जाते हैं|चित्र में छावनी का बिल्ला लगाये एक ठेले वाला यहाँ २० किलो मीटर पैदल चल कर मात्र १००-१२५ की ध्याड़ी करने आया है| यह पैंठ रात को ९ बजे तक भी चलती है |छेत्र वासियों के लिए भी यह एक वरदान है क्योंकि यहाँ बाज़ार से कम कीमत पर सामान मिल जाता है|रिटायर्ड से लेकर बच्चे तक यहाँ अपनी जरुरत की चीजें तलाशते दिख जायेंगे| बताते चलें कि यहाँ धर्म या जाति के आधार पर देखने की जरुरत नहें है क्योंकि यहाँ सभी धर्म और जाति के व्यापारी और खरीददार आते हैं|पहले ये लोग सड़क के किनारे ही पैंठ लगाते थे मगर आज कल इन्हें यहाँ से भगा दिया गया है अब ये लोग किसी के खाली पड़े प्लाट में जमे हुए हैं|
दिन में तो व्यवस्था ठीक रहती है मगर शाम होते ही इन्हें लाईट की जरुरत पड़ती है |यहाँ प्रकाश या लाईट की कोई व्यवस्था नहीं है बिजली के खम्बे तो खड़े हैं मगर उनपर लाईट नहीं है|ऐसे में ये लोग बैटरी के लाइटें किराए पर लेकर काम चलाते हैं |चित्र में दिखाई गई लाइटें २० से २५ रुपये प्रति शाम की दर से इन्हें उपलब्ध कराने वाले भी यहाँ मिल जाते हैं| यहाँ से कुछ कदम पर ही स्ट्रीट लाईट्स दिन में भी जलती रहती है |
कहने का अभिप्राय यह है कि शहरों में भी गरीबी है और पैंठ कल्चर यहाँ भी है और यह आम आदमी की जरुरत है इसीलिए नई [विशेषकर]कालोनियों में बड़े बड़े माळ या शोरूम के लिए व्यवस्था करने के साथ वहां किसी कौने में आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित कर दी जानी चाहिए | वर्ना मात्र सो रुपये कमाने वाला आम आदमी अपनी गाड़े की कमाई को व्यवस्थापकों को अर्पित करने के लिए अभिशिप्त होता रहेगा |