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कार्टूनिस्ट असीम रिहा हुए और कांग्रेस के विरोधी बने

कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी बुधवार को मुंबई की आर्थर रोड जेल से रिहा हो गए। रिहा होते ही उन्होंने कहा कि देशद्रोह कानून की धारा 124-ए को खत्म करने की लड़ाई जारी रहेगी उधर महाराष्ट्रा सरकार ने भी देश द्रोह के मुकदमे को अभी तक वापिस नहीं लिया है| गौरतलब है की राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों पर कार्टून बना कर असीम ने भ्रष्टाचार पर प्रहार किये हैं| इसीलिए उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार गिरफ्तार किया गया था|
जेल से ५०००/= के निजी मुचलके पर रिहा होने के बाद 25 वर्षीय असीम सीधे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को सिर नवाने गए। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल से लागू देशद्रोह के इस कानून का विरोध महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी किया था। क्योंकि इसका उपयोग उनके विरुद्ध भी किया गया था। क्या वह देशभक्त नहीं थे? इस कानून का उपयोग कम, दुरुपयोग ही ज्यादा होता रहा है। इसे अक्सर लेखकों, पत्रकारों, कवियों और कलाकारों की आवाज दबाने के लिए किया जाता रहा है।उन्होंने एक चैनल पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि उन्हें बाबा आम्बेडकर ला विरोधी बताया जा रहा है जबकि बाबा आम्बेडकर स्वयम अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिए लड़ते रहे |
असीम ने कहा कि मैं कानून का सम्मान करता हूं। लेकिन जो कानून यह अहसास कराए कि हम आज भी स्वंतत्र देश में नहीं रह रहे हैं, उसे हम नहीं मानते। इसलिए राजशाही का अहसास कराने वाला यह कानून खत्म किया जाना चाहिए।
मूलत: कानपुर के निवासी असीम त्रिवेदी को मंगलवार को ही बांबे हाई कोर्ट ने ५०००/= के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दे दिया था। शुरुआत में असीम जमानत पर बाहर आने को तैयार नहीं थे। लेकिन देर रात उन्होंने कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए जमानत राशि जमाकर रिहा होने की सहमति दी। असीम को जमानत तो मिल गई है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार अभी भी कानूनी सलाह ले रही है कि उन पर लगे आरोपों को हटाना संभव है या नहीं। हाई कोर्ट भी असीम पर लगे विवादास्पद आरोप हटाए जाने के बारे में 14 सितंबर को अपना फैसला देगा।
कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के समर्थन में अनेकों लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई है| यूं पी बिहारियों के खिलाफ लड़ने वाले राज ठाकरे+ बाल ठाकरे भी कानपुर के मूल निवासी असीम के समर्थन में उतर आये हैं|अन्ना हजारे के मुंबई आंदोलन के दौरान कुछ कार्टून बनाने के कारण असीम पर देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था। जेल के बाहर उनके स्वागत में सैन+गाँधी और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्यों सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में बाल ठाकरे ने कहा है कि अपने कार्टूनों के जरिये त्रिवेदी ने संसद में गिरते स्तर को दर्शाने की कोशिश की और सरकार ने उसपर देशद्रोह का आरोप लगा दिया। त्रिवेदी ने राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान किया है लेकिन इसके आधार पर उसे एक देशद्रोही का तमगा लगाकर गिरफ्तार कर लेना न्यायोचित नहीं था। गौरतलब है कि बल ठाकरे स्वयम भी कार्टूनिस्ट रहे हैं|
इसके अलावा भाजपा और एन डी ऐ के वरिष्ठ नेता लाल कृषण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि १९७५ कि इमरजेंसी से भी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई है|इमरजेंसी में भी अबू जैसे कार्टूनिस्टों को गिरफ्तार नहीं किया गया था आज स्थिति इतने बिगड़ चुकी है कि कार्टूनिस्टों को देश द्रोही बता कर जेल में डाला जा रहा है|

अच्छे खासे आंबेडकर स्टेडियम की माँ +भैन एक कर दी

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक खेल प्रेमी
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है??आज़ादी को हासिल किये छह दशक हो गए और ओलंपिक्स में केवल छह मेडल्स ही मिले हैं गोल्ड का एक भी नहीं |खेल युवा मंत्री है मंत्रालय है+खिलाड़ी हैं +खेल बोर्ड हैं+करोड़ों रुपयों का खर्चा है फिर मेडल क्यूं नहीं आ रहे??
झल्ला
पहलवान जी बात दरअसल ये है कि हमारे देश में खेल नीतियाँ भ्म्बरभूसे[गधिगेड] में ही पड़ी रहती है|पुराने कि बात छोड़ो कल की ही देखो|
दिल्ली के आंबेडकर स्टेडियम में फूटबाल का कितना बढिया ग्राउंड है टर्फ भी है |और वहां आने वाले दिनों में डूरंड टूर्नामेंट भी खेला जाना है मगर अच्छे खासे बाबा राम देव को बयाना ले जाते लेजाते आम्बेडकर स्टेडियम में घुसेड दिया \अब बाबा तो बाबा हज़ारों चेले भी साथ हो लिए |ऐसे में अच्छे खासे स्टेडियम की माँ भैन एक हो गई होगी |अब आप ही बताओ जब मंत्री +जनता +नेता+संतरी ही यूं बिदयों तब आगे कौन हवाल