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Tag: तुलसी दास वाणी

कामधेनू रूपी भक्ति से जो मांगोगे मिलेगा

जे असि भगति जानि परिहरही , केवल ज्ञान हेतु श्रम करही ।
ते जड़ काम – धेनु गृह त्यागी , खोजत आकु फिरहि पय लागी ।

कामधेनू रूपी भक्ति से जो मांगोगे मिलेगा

भाव

: जो लोग भक्ति को छोड़ देते हैं कि भक्ति कुछ नहीं है और समझते हैं कि ज्ञान ही सब कुछ है , ज्ञान के द्वारा ही मेहनत करने से प्रभु को पाया जा सकता है , ज्ञान के बगैर गति नहीं है उनके लिए तुलसी दास जी कहते है कि घर में काम – धेनु हो , वह छोड़कर आक के दूध को आकाश में ढूंढते फिरते हैं । जबकि भक्ति कामधेनु है । कामधेनु अर्थात उससे जो मांगो वही मिलता है , एक भक्ति आ जाये तो बाकि सब आ जाता है ।
संत तुलसी दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना