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Tag: पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी

संतों को तो पूजते हैं लेकिन संतों के कल्याणकारी उपदेशों को नहीं मानते

अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए पुज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी नें आज राम के नाम में निहित सभी प्रकार के आनंद के रहस्य को उजागर करते हुए कहा , कि
” राम में आनंद है, राम परमानन्द है” मनुष्य सुख, चैन, प्रसन्नता , सांसारिक संपदाओं में ढूंढता है, उसे प्रसन्नता तो मिलती है
परन्तु वह क्षणिक होती हैं जबकि परम आनंद तो प्रभु के नाम में है । राम के नाम की पूँजी से हमें स्थायी प्रसन्नता मिलती है ।
हम ज्ञानहीन मनुष्य वास्तु कहीं पड़ी होती है और ढूंढते कहीं और हैं । संतजन समझाते हैं की बार-बार सत्संगों में आया करो,
संत अपने जप- ताप के बल से आपके ह्रदय में प्रभु के नाम की ज्योति जलाकर आलोकिक प्रकाश उत्पन्न कर देंगे। पर हम अज्ञानी

संतों को तो पूजते हैं लेकिन संतों के कल्याणकारी उपदेशों को नहीं मानते

जीव संतों को तो मानते हैं परन्तु संतों की बात नहीं मानते । हमारे मन पर जन्मों-जन्मों से अज्ञान, मोह, माया के अनगिनत परदे
पड़े हैं जिसके कारण हम प्रकाश का अनुभव नहीं कर पाते । धीरे-धीरे नाम जपते जपते परदे हटते रहते हैं और हम प्रकाश का आनंद
लेना शुरू कर देते हैं । हम जितना – जितना प्रभु के समीप आते हैं हमें आनंद, प्रसन्नता, सुख, चैन का अनुभव होता रहता है ।
इससे पूर्व पूज्य श्री भगत जी ने रात्रि सत्संग का शुभारम्भ माता की पावन ज्योति प्रज्ज्वलित करके किया| । गुरु वंदना एवं गणेश वंदना के पशचात भगत जी नें माता की भेटों द्वारा माँ भगवती का गुणगान किया। श्रधालुओं से खचा खच भरा सभागृह तालियों की थाप से गूँज उठा । माता रानी के जयकारों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया।
गौर तलब है कि लालकुर्ती स्थित श्री शक्तिधाम मंदिर , लालकुर्ती में पिछले 24 वर्षों से नवरात्री महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| मातारानी के स्वरुप के दर्शन करने तथा पुज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी के श्रीमुख से भजन, भेटें एवं दिव्य प्रवचन श्रवण करने हेतु मेरठ तथा आस-पास के क्षेत्रों से भारी संख्या में भक्तजन मंदिर में एकत्र होते हैं। श्रधालुओं को लाने लेजाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है|
प्रेषक :श्री शक्ति धाम मंदिर का सेवक राकेश खुराना

राम नाम की पूँजी एकत्र करने को सत्संग में जाओ अपना वर्तमान+भविष्य उज्जवल करो

, सफदरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली में सत्संग के सुअवसर पर पुज्यश्री भगत नीरज मणि जी ने राम नाम के धन को सबसे बड़ा धन बताते हुए सत्संगों में राम नाम के धन को एकत्र करने का उपदेश दिया|
” जाके राम धनि वाको काहेकी कमी ”

राम नाम की पूँजी एकत्र करने को सत्संग में जाओ अपना वर्तमान+भविष्य उज्जवल करो

भगत नीरज मणि ऋषि जी ने बताया कि सभी संतजन एक ही बात कहते हैं कि जिस जिज्ञासु के पास राम नाम की पूँजी है वही सबसे बड़ा धनी है। जगत की
जितनी भी संपदाएं हैं वो इही लोक की हैं केवल भक्ति और नाम की पूँजी ही परलोक गामी है। हम जो भी कर्म रुपी बीज बोते हैं ,
परमात्मा वैसा ही फल हमारी झोली में दाल देता है। सत्य कर्मों का फल हमारे जीवन में सुख एवं वैभव के रूप में आता है तथा
पाप कर्मों का फल हमारे जीवन में कष्टों के रूप में आता है।
सत्य कर्मों से हमारी प्रारब्ध बनती है। हमारा वर्तमान उज्जवल होता है तथा जिसका वर्तमान उज्जवल होता उसका भविष्य
भी उज्जवल होता है। संतजन समझाते हैं की परमात्मा का नाम जपो, सत्संग में जाओ और राम नाम की पूँजी एकत्र करो और
अपना वर्तमान तथा भविष्य दोनों उज्जवल करो।
श्री रामशरणम् आश्रम , गुरुकुल डोरली, मेरठ

परमात्मा का प्रेम पाने के लिए निरभिमानी होना आवश्यक है

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ के परमाध्यक्ष पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने इश्वर प्राप्ति के लिए अभिमान त्याग कर विनम्रता से प्रभु के प्रति प्रेम भाव से भक्ति किये जाने का उपदेश दिया |प्रस्तुत है उनके प्रवचन के कुछ अंश
.संतजन प्रेम और भक्ति के बारे में समझाते हुए कहते हैं –
आध्यात्म के मार्ग पर परमात्मा का भजन करते-करते यदि आपके मन में प्रेम उत्पन्न नहीं हुआ
तो इसका मतलब आपके मन में नीरसता, ईर्ष्या और शुष्कपन है. तुम अभी भक्ति से बहुत
दूर हो. बिना प्रेम के किसी ने परमात्मा को नहीं पाया. बेल चाहे कितनी भी हरी हो, अगर उसकी
जड़ में कोई अग्नि जला दे तो वह बेल सूख जाती हैं, झुलस जाती है इसी प्रकार जिसके
मन में ईर्ष्या, द्वेष एवं संताप भरा है उसके मन में भगवान् के प्रेम और भक्ति के बेल परवान
नहीं चढ़ती.
परमात्मा से प्रेम तभी पैदा होगा जब हम अपने मान एवं अहम् भाव को मिटा देंगे.
किया अभिमान तो मान नहीं पायेगा.
जब तक आप अभिमान करते रहोगे तब तक प्रभु के घर मान नहीं पा सकोगे. मान तथा
प्रेम परमात्मा के घर से मांगे नहीं जाते. जब आप निमानी और निरभिमानी होंगे तो परमात्मा
का प्रेम अपने आप ही मिल जाता है.