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Tag: राकेश खुराना

रूहानियत के लिए अहिंसा आवश्यक है

रूहानियत के लिए अहिंसा की आवश्यकता
जो लोग रूहानी रास्ते पर चलते हैं , उन्हें कई कारणों से अहिंसा अपनाने की जरुरत होती है । एक कारण है – कर्मों का विधान । इस विधान के अनुसार हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । जो भी हम करते हैं , वह हमारे कर्मों के खाते में लिख दिया जाता है । यदि हम किसी को चोट पहुंचाते हैं , तो हमें अवश्य ही उसका भुगतान करना होता है , चाहे ऐसा मौजूदा जिंदगी में हो या फिर अगली में । दूसरे किस्म के जीवों के प्रति हिंसा करना भी प्रभु की सृष्टि में दखल अंदाजी करना है । हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि प्रभु हमें रूहानी मंडलों में जाने की अनुमति दे देगा , अगर हम उसकी संतानों से दुर्व्यवहार करेंगे । हम निम्नतर जीवों के प्रति हिंसा करेंगे , उन्हें बेकार का जीव समझेंगे ,प्रभु ने हर जीव को बनाया है । उसके लिए सभी उसके बच्चे हैं । अगर हम अपने बच्चों के लिए प्रेम महसूस करते हैं तो प्रभु कितना अधिक महसूस करता होगा जिसने उन्हें बनाया है । इसलिए हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम उन उच्च आदर्शों का पालन करें जिसके लिए प्रभु ने हमें बनाया है ।
प्रस्तुती राकेश खुराना

संतों को तो पूजते हैं लेकिन संतों के कल्याणकारी उपदेशों को नहीं मानते

अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए पुज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी नें आज राम के नाम में निहित सभी प्रकार के आनंद के रहस्य को उजागर करते हुए कहा , कि
” राम में आनंद है, राम परमानन्द है” मनुष्य सुख, चैन, प्रसन्नता , सांसारिक संपदाओं में ढूंढता है, उसे प्रसन्नता तो मिलती है
परन्तु वह क्षणिक होती हैं जबकि परम आनंद तो प्रभु के नाम में है । राम के नाम की पूँजी से हमें स्थायी प्रसन्नता मिलती है ।
हम ज्ञानहीन मनुष्य वास्तु कहीं पड़ी होती है और ढूंढते कहीं और हैं । संतजन समझाते हैं की बार-बार सत्संगों में आया करो,
संत अपने जप- ताप के बल से आपके ह्रदय में प्रभु के नाम की ज्योति जलाकर आलोकिक प्रकाश उत्पन्न कर देंगे। पर हम अज्ञानी

संतों को तो पूजते हैं लेकिन संतों के कल्याणकारी उपदेशों को नहीं मानते

जीव संतों को तो मानते हैं परन्तु संतों की बात नहीं मानते । हमारे मन पर जन्मों-जन्मों से अज्ञान, मोह, माया के अनगिनत परदे
पड़े हैं जिसके कारण हम प्रकाश का अनुभव नहीं कर पाते । धीरे-धीरे नाम जपते जपते परदे हटते रहते हैं और हम प्रकाश का आनंद
लेना शुरू कर देते हैं । हम जितना – जितना प्रभु के समीप आते हैं हमें आनंद, प्रसन्नता, सुख, चैन का अनुभव होता रहता है ।
इससे पूर्व पूज्य श्री भगत जी ने रात्रि सत्संग का शुभारम्भ माता की पावन ज्योति प्रज्ज्वलित करके किया| । गुरु वंदना एवं गणेश वंदना के पशचात भगत जी नें माता की भेटों द्वारा माँ भगवती का गुणगान किया। श्रधालुओं से खचा खच भरा सभागृह तालियों की थाप से गूँज उठा । माता रानी के जयकारों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया।
गौर तलब है कि लालकुर्ती स्थित श्री शक्तिधाम मंदिर , लालकुर्ती में पिछले 24 वर्षों से नवरात्री महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| मातारानी के स्वरुप के दर्शन करने तथा पुज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी के श्रीमुख से भजन, भेटें एवं दिव्य प्रवचन श्रवण करने हेतु मेरठ तथा आस-पास के क्षेत्रों से भारी संख्या में भक्तजन मंदिर में एकत्र होते हैं। श्रधालुओं को लाने लेजाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है|
प्रेषक :श्री शक्ति धाम मंदिर का सेवक राकेश खुराना