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Tag: भगवद भजन

परमात्मा का ध्यान देखकर दुष्टता भरा विचार पास नहीं फटकता

प्रीतम छबि नैनन बसी , पर छवि कहाँ समाय ।
भरी सराय रहीम लखि , पथिक आय फिरि जाय ।

अर्थ : संत कवि रहीम दास जी का कथन है कि जैसे सराय में लोगों की भीड़ देखकर स्थान न पाकर राहगीर स्वयं अन्यत्र चला जाता है , उसी प्रकार जिन नेत्रों में प्रियतम (परमात्मा ) की छवि (सुन्दरता ) बसी हुई है , उनमें कोई दूसरा कैसे समां सकता है ।
भाव : कवि रहीम ने यहाँ राहगीर और सराय में भरे हुए मुसाफिरों का उदाहरण देकर इसे समझाया है । जिस प्रकार सराय को मुसाफिरों से भरा देखकर राहगीर अन्यत्र चला जाता है , उसी प्रकार आँखों में परमात्मा का ध्यान देखकर दुष्टता भरा विचार पास नहीं फटकता ।
भाव यही है कि भगवद भजन में लीन व्यक्ति के पास बुरे विचार कभी नहीं आते ।
संत कवि रहीम दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना