ऍफ़ डी आई पर बेशक भारत में एक आम राय बनाने के लिए आये दिन तमाम राजनीतिक दाव पेंच लड़ाए जा रहे हों मगर विदेशों में ऍफ़ डी आई का विरोध थमता नज़र नहीं आ रहा |अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के बाद अब छोटे से देश मालदीव में भी ऍफ़ डी आई के विरुद्ध बयार बहाई जाने लगी है| मालदीव की नई सरकार के निर्देशों के आधार पर एमएसीएल ने 27 नवंबर को माले हवाई अड्डा बनाने के लिए जीएमआर को दिया गया अनुबंध खत्म कर दिया। यह अनुबंध जीएमआर के साथ साल 2010 के दौरान राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के कार्यकाल में किया गया था। लेकिन सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के आधार पर जीएमआर हवाई अड्डे पर अपना काम जारी रखने को अमादा है| ।माले एयरपोर्ट के जीएमआर अनुबंध खत्म करने पर सिंगापुर हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद मालदीव ने कहा कि वह अपना फैसला नहीं बदलेगा। मालदीव ने कहा कि उसका फैसला न ही वापस लिया जा सकता है और न ही इस पर कोई मोल भाव किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले माले सरकार ने मालदीव हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण और परिचालन का भारतीय कंपनी जीएमआर समूह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम का ठेका रद्द कर दिया था। सिंगापुर की अदालत ने उसके खिलाफ स्थगन आदेश जारी किया।लेकिन इस स्थगनादेश को मानने से इंकार करते हुए मॉल दीव ने न्यायाधीश के आदेश को ही अनुचित करार दे दिया है|
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद के प्रेस सचिव मसूद इमाद के अनुसार सरकार का फैसला बिलकुल साफ है और इसे वापस नहीं लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सिंगापुर हाई कोर्ट ने जीएमआर को दिए गए 50 करोड़ डॉलर के अनुबंध को खत्म करने पर स्टे लगा दिया है इसके बावजूद मालदीव के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यह अनुबंध माले हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण के लिए किया गया था।सिंगापुर हाई कोर्ट के फैसले पर इमाद के अनुसार इस मामले में न्यायधीश सही नहीं था और उन्होंने कानून की सही तरीके से व्याख्या नहीं की। जहां मुआवजा पर्याप्त होता है वहां इस तरह के आदेश जारी नहीं किये जा सकते है।
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