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Tag: वाणी :- भीखा साहब जी

सबकी गठरी में नाम रूपी लाल है, जड़ -चेतन की गांठ खोल कर देख लो

भीखा भूखा को नहीं , सब की गठरी लाल।
गिरह खोल नहीं जानते , ताते भये कंगाल ।
वाणी :- भीखा साहब जी

Rakesh Khurana


भाव : भीखा साहब जी कहते हैं कि सबके पल्ले में ‘नाम’ रुपी लाल बंधा पड़ा है पर उसमे जड़ -चेतन की ग्रंथि (गाँठ) बंधी पड़ी है । जब तक यह गाँठ न खुले , अर्थात पिंड से ऊपर आकर नाम का अनुभव न मिले , हम भूखे के भूखे रह जाते हैं । दौलत के होते हुए भी हम भूखे हैं परन्तु
‘नाम’ को पाकर हम सुखी हो जाते हैं । ‘नाम’ सब में परिपूर्ण है , फिर भी हम दुखी हैं ? वे कहते हैं कि हमने उसे प्रकट नहीं किया है ।
वाणी :- भीखा साहब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना