Ad

Tag: संत तुलसी दास जी की वाणी

कामनाओं से रहित होकर नाम जपने वाले ही ईश्वर की भक्ति का रस लेते हैं

सकल कामना हीन जे , राम भक्ति रस लीन ।
नाम सुप्रेम पियूष हृद , तिनहूं किए मन मीन ।
संत तुलसी दास जी

Rakesh khurana

भाव: संत तुलसी दास जी कहते हैं जो कामनाओं से रहित होकर नाम जपते हैं —मुख्य रूप से मनुष्य चार कामनाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर को याद करता है —कोई बीमारी के इलाज के लिए , कोई रूपये के लिए , कोई मान- सम्मान के लिए और कोई मोक्ष प्राप्ति के लिए —– वे कहते हैं कि जो इनसे रहित होकर नाम जपते हैं वो ही सच्चे अर्थों में ईश्वर की भक्ति का रस लेते हैं ।जैसे मछली पानी के बिना नहीं रह सकती , पानी उसका जीवन आधार है ऐसे ही नाम का जाप , ईश्वर की सच्चे मन से आराधना उनका जीवन आधार बन जाता है , वे उसके बिना नहीं रह सकते ।
संत तुलसी दास जी
प्रस्तुती राकेश खुराना