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Tag: मोक्ष

चारि पदारथ जे को मांगै, साध जना की सेवा लागै

चारि पदारथ जे को मांगै, साध जना की सेवा लागै
जे को आपुना दुखु मिटावै, हरि-हरि नामु रिदै सद गावै
जे को अपुनी सोभा लोरै, साध संगी इह हउमै छोरै
जे को जनम मरण ते डरे , साध जना की सरनी परै .
भाव: चारों पदार्थों ( धर्म, अर्थ,काम,मोक्ष) में से कोई कुछ चाहे तो उसे सद्गुरु की सेवा करनी चाहिए. अगर किसी को
दुःख और कष्टों से छुटकारा पाने की इच्छा हो तो उसे अपने आन्तरिक ह्रदय आकाश की गहराई में जाकर शब्द (नाम)
के साथ संपर्क स्थापित करना चाहिए. अगर किसी को अपनी प्रसिद्धि और नाम की इच्छा हो तो किसी संत की संगत
में जाकर अपने अहंकार का त्याग करना चाहिए. अगर किसी को जीने- मरने के कष्ट से डर लगता है तो किसी संत
के चरण कमलों का सहारा ढूँढना चाहिए.
वाणी गुरु अर्जुन देव जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना

कामनाओं से रहित होकर नाम जपने वाले ही ईश्वर की भक्ति का रस लेते हैं

सकल कामना हीन जे , राम भक्ति रस लीन ।
नाम सुप्रेम पियूष हृद , तिनहूं किए मन मीन ।
संत तुलसी दास जी

Rakesh khurana

भाव: संत तुलसी दास जी कहते हैं जो कामनाओं से रहित होकर नाम जपते हैं —मुख्य रूप से मनुष्य चार कामनाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर को याद करता है —कोई बीमारी के इलाज के लिए , कोई रूपये के लिए , कोई मान- सम्मान के लिए और कोई मोक्ष प्राप्ति के लिए —– वे कहते हैं कि जो इनसे रहित होकर नाम जपते हैं वो ही सच्चे अर्थों में ईश्वर की भक्ति का रस लेते हैं ।जैसे मछली पानी के बिना नहीं रह सकती , पानी उसका जीवन आधार है ऐसे ही नाम का जाप , ईश्वर की सच्चे मन से आराधना उनका जीवन आधार बन जाता है , वे उसके बिना नहीं रह सकते ।
संत तुलसी दास जी
प्रस्तुती राकेश खुराना