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Tag: संसद के वेळ

मणि और कीर्ति में जुबानी जंग : मणि शंकर अय्यर और कीर्ती आज़ाद ने खोले जुबानी तीरों के तरकश

मणि और कीर्ति में जुबानी जंग :

एक जमाना था जब लोग काम करके नाम कमाते थे और अखबारों में भी छापे जाते थे लेकिन आज कल के इस भौतिकवादी दौर में तो केवल जुबान चलाने और नेगेटिव जुबान चलाने से ही मीडिया के चहेते बना जा सकता है|अब अगर आपकी पार्टी और अपनी सरकार आप को भाव नहीं दे रही|आपके पास कुछ करने की क्षमता नहीं तो मौका मिलते ही नेगेटिव जुबान का प्रयोग करने मात्र से मीडिया की आँख का तारा बना जा सकता है|शायद यह कलयुगी गुरुमंत्र कांग्रेस के हाशिये पर आये मणि शंकर अय्यर और भाजपा के कीर्ति आज़ाद को अच्छी तरह समझ आ गया है तभी कांग्रेस के दो दिवसीय चिंतन शिविर के चलते जुबान चलाने लग गए हैं| यूं तो मणिशंकर अय्यर पर अरसे से बड़बोलेपन का आरोप लगता आ रहा है। लेकिन अब कांग्रेस के चिंतन[ jaipur] शिविर में पार्टी के लिए चिंतन करने की बजाय उन्होंने भाजपा को कुत्ते बिल्लियों की पार्टी की संज्ञा देने में गुरेज नहीं की |पार्टी फोरम से मणि शंकर अय्यर को कोई पब्लिसिटी नहीं मिली शायद इससे विचलित होकर उन्होंने मीडिया के समक्ष आ कर कह डाला कि बीजेपी सत्ता के लिए कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ती है।
इस विवादित बयान को बीजेपी के नेता कीर्ति आजाद ने मौका बनाते हुए कहा है कि मणि शंकर अय्यर का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है।इन साहब को भी पार्टी और अपने क्रिकेट गेम मेंअपनी कीर्ति फैलाने की आज़ादी नहीं मिल रही
गौरतलब है कि इससे पहले एक टी वी चेनल के कार्यक्रम एजेंडा में मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि संसद के वेल में आकर विपक्षी दल के सांसद जानवरों की तरह व्यवहार करते हैं। उन्हें अपने इस बयान पर जरा अफसोस भी नहीं हुआ|
श्री अय्यर ने यह भी कहा कि बीजेपी आरएसस की कठपुतली है।इसके अलावा अय्यर ने नरेन्द्र मोदी पर चुनिन्दा काबिले एतराज़ शब्दों से निशाना साधते हुए कहा कि अगर बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस को आम चुनाव लड़ने की भी जरूरत नहीं होगी.
इतना ही नहीं पार्टी और सरकार की उपेक्षासे व्यथित मणिशंकर अय्यर ने शिविर में ही अपनी ही सरकार और पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कह डाला कि सरकार और पार्टी में तालमेल की कमी है। सरकार को पार्टी की बात सुननी चाहिए। इससे पूर्व १८ जनवरी को उन्होंने आम जनता को भी नहीं छोड़ा डीजल को लेकर देश में मच रही हाय-तौबा पर उन्होंने कहा था, ‘देश की जनता एक कौड़ी भी नहीं देना चाहती है। अगर जनता को एक भी कौड़ी देनी पड़ेगी तो वह हमेशा नाराज ही होगी। बीजेपी तो ऐसा चिंतन शिविर चला ही नहीं सकती है क्‍योंकि वो आरएसएस की कठपुतली है. वो क्‍या चिंतन करेंगे.’
इन नेताओं को मीडिया हाईप देने से लगता है कि अब काम और जुबान की कोई कीमत नहीं रह गई है प्रसिद्धि पाने के लिए नेगेटिव जुबान ही काफी है |शायद तभी कांग्रेस के चिंतन शिविरके चलते भाजपा को इसके प्रति चिंता व्यक्त करनी पड़ रही हैऔर कांग्रेस को शिविर से बाहर आ कर भाजपा पर निशाना साधना पड़ रहा है|क्योंकि जिस प्रकार कांग्रेस के एक और चिन्तक संजय झा ने ऐ बी पीन्यूज पर चर्चा के दौरान मणि शंकर अय्यार वाली भाषा को अंग्रेज़ी में अनुवाद करके कहा हैउससे लगता है कि अब मणि शंकर अय्यर की भाषा के पीछे पार्टी खड़ी होने लगगई है |बुरुज लोग बताते थे कि उनके ज़माने में जबान और मूछ कि कीमत हुआ करती थी और यह कीमत उनकेजनहित के कार्यों पर आंकी जाती थी मूछ के एक बाल और मूह से निकले अलफ़ाज़ या कौल या वायदे के लिए अंतिम सांस तक कुर्बान की जाती थी लेकिन आज कल तो दुर्भाग्य से नेगेटिव जुबान चला कर ही राजनीतिक सिद्दि प्राप्त होने लग गई है|