कपड़ा प्रसंस्करण इकाइयों के पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए ५०० करोड़ रुपयों की नई समेकित प्रसंस्करण विकास योजना शुरू की जायेगी |
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 500 करोड़ रुपये की कुल लागत से एक नई समेकित प्रसंस्करण विकास योजना को शुरू करने की मंजूरी दी है। कपड़ा प्रसंस्करण इकाइयों के सामने जो पर्यावरणीय मुद्दे हैं, उन्हें इस योजना के तहत हल किया जाएगा।
योजना के तहत छह ब्राउन फील्ड परियोजनाएं और तीन से पांच ग्रीन फील्ड परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
इन परियोजनाओं के दायरे में निम्नलिखित घटक हैं –
[1] सामान्य उत्प्रवाही उपचार संयंत्र (सीईटीपी),
[2] नवीकरणीय/हरित प्रौद्योगिकी के तहत आबद्ध बिजली उत्पादन,
[3] तेज प्रवाही जल प्रबंधन, पानी एवं इस्तेमाल शुदा पानी के लिए पाइप लाइनों तथा आवश्यक सड़कों का निर्माण, और
[4]. अनुसंधान एवं विकास केन्द्रों और जांच की सुविधाएं।
पर्यावरण अनुकूल प्रसंस्करण मानकों, प्रौद्योगिकी और नए प्रसंस्करण पार्कों के निर्माण के इस्तेमाल द्वारा इस योजना के तहत कपड़ा उद्योग को दुनिया में प्रतिस्पर्धा करने की शक्ति मिलेगी। पानी एवं इस्तेमाल शुदा पानी के प्रबंधन के क्षेत्र में तथा अनुसंधान एवं विकास के प्रोत्साहन के जरिए मौजूदा प्रसंस्करण केन्द्रों के उन्नयन के लिए इस योजना से मदद मिलेगी।
Tag: 12वीं पंचवर्षीय योजना
कपड़ा प्रसंस्करण इकाइयों के पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए ५०० करोड़ रुपयों की प्रसंस्करण विकास योजना
दूध के ६८.४% नमूनों [Samples] को राष्ट्रीय सर्वेक्षण ने मिलावटी[अवैध] घोषित किया
देश में उपलब्ध कराये जा रहे दूध के ६८.४% नमूनों [Samples] राष्ट्रीय सर्वेक्षण ने मिलावटी घोषित किया
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) द्वारा देशभर में दूध की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार 68.4 % नमूने खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011 के अनुसार नॉन-कंफर्मिंग अर्थात अवैध पाए गए हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बीते दिनों राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दूध में मिलावट के रिकार्ड के रख रखाव की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुए बताया कि नॉन कंफर्मिंग नमूनों का रिकार्ड राज्यों द्वारा रखा जाता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा केंद्रीकृत रूप में इस बारे में कोई आंकड़े नहीं रखे जाते हैं। यह प्राधिकरण खाद्य वस्तुओं के विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने तथा मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं संपूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए एक नोडल एजेंसी है।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम-2006 के कार्यान्वयन का दायित्व राज्यों/संघ शासित प्रदेशों का है। राज्यों के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दूध सहित खाद्य वस्तुओं के बेेतरतीब नमूने निर्दिष्ट खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं के पास विश्लेषण के लिए भेजे जाते हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना में राज्य स्तर पर खाद्य नियामक प्रणाली के लिए 1500 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है।
सीमा सुरक्षा बल के लिए 3664.61 करोड़ रुपये मंजूर
सीमा सुरक्षा बल के लिए 3664.61 करोड़ रुपये मंजूर
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के अधीन 3664.61 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत से सीमा सुरक्षा बल के विभिन्न प्रतिष्ठानों में अवसंरचना विकास के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस मंजूरी से प्रशिक्षण केन्द्रों और विभिन्न प्रतिष्ठानों में अवसंरचना उपलब्ध कराने के लिए भारतीय सीमा सुरक्षाबलों की एक मुख्य मांग को पूरा किया जा सकेगा|
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