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एल के अडवाणी ने इस्तीफा दिया भाजपा ने अस्वीकार कर दिया ,क्या बी जे पी अभी भी पार्टी विद दी डिफरेंस है

भाजपा के वरिष्ठ मार्ग दर्शक एल के अडवाणी ने वर्तमान घटनाक्रम से क्षुब्ध होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया लेकिन पार्टी के संसदीय बोर्ड ने सर्व सम्मति से इस्तीफे को अस्वीकार [Reject] कर दिया |इसके अलावा पार्टी अध्यक्ष राज नाथ सिंह ने किसी भी सूरत में इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया है|
गौरतलब है भाजपा के गोवा मंथन से निकले नरेन्द्र मोदी को अमृत मानने से इनकार करके पार्टी के सभी पदों से अध्यक्ष राज नाथ सिंह को पर्सनली इस्तीफा सौंप दिया
गोवा में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मलेन में एल के अडवाणी ने अनुपस्थित रह कर यह साबित कर दिया कि आठ दशकों के पश्चात भी अडवाणी अभी बुड्डे नहीं हुए हैं या उन्होंने कह दिया कि बुड्डा होगा तेरा बाप |अडवाणी के साथ अनेकों नेताओं ने भी गोवा से किनारा कर लिया| इसके उपरांत भी पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेन्द्र मोदी के सर पर चुनाव समिति के चेयर मैन का ताज सजा दिया|इससे क्षुब्ध होकर अडवाणी ने अपने अध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया|अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि मैंने उम्र भर जनसंघ और भाजपा में समर्पित भाव से कार्य करके संतोष प्राप्त किया है|
लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी में घटना क्रम और पार्टी की दिशा से अपने आप को जोड़ नही पा रहा हूँ| यह पार्टी अब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी +दीन दयाल उपाध्याय+नानाजी +वाजपई जी जैसे महँ नेताओं का आदर्श केवल देश की सेवा रहा है लेकिन वर्तमान में अनेकों नेताओं के अजेंडे में केवल व्यक्तिगत मुद्दे ही रह गए हैं| इन आरोपों के साथ अडवाणी ने इस्तीफे की बात लिखी है|
इस घमासान के बाद एक बात देश की राजनीती में उड़ रही है कि क्या भाजपा अब वाकई पार्टी विद दी डिफरेंस [ PartyWithADifference ] रह गई है?