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नरेन्द्र मोदी ने अफगानिस्तान से अफ्रीका तक फैले आतंकवाद के खतरों से ब्रिक्स नेताओं को आगाह किया

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स देशों के नेताओं को अफगानिस्तान से अफ्रीका तक फैले आतंकवाद के खतरों से आगाह किया और इसे कतई बर्दाश्त नहीं करने की हिमायत की|
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच सदस्यीय ब्रिक्स देशों के नेताओं से कहा कि वे अभी जो कुछ चुनेंगे वह अंतत: विश्व का भविष्य तय करेगा।[१] ब्राजील[२]रूस[३]चीन[४]भारत[५]दक्षिण अफ्रीका के शिखर सम्मलेन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान से अफ्रीका तक का क्षेत्र अशांति और संघर्ष के दौर से गुजर रहा है |सीरिया+पश्चिम एशिया + खाड़ी देश+इस्राईल+फिलिस्तीन आदि जिन देशों को यह सब झेलना पड रहा है उनकी दशा पर मूक दर्शक बने रहने के गंभीर परिणाम होंगे।इनका असर भारत पर भी पड़ता है खाड़ी देशों में फैली अशांति से वहां रहने वाले लगभग ७० लाख भारतीयों पर असर पड़ता है |अफ़्रीकी देशों के स्थायित्व को लेकर किये जा रहे कार्यों में हमें योगदान देना चाहिए
वैश्विक प्रगति और समृद्धि के लिये शांति और स्थिरता का वातावरण तत्काल बहाल करना आवश्यक है इसके लिए पूरे विश्व को एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का निर्णायक रूप से सामना करना चाहिये।भारतीय पी एम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद + अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर बल दिया | श्री मोदी ने कहा कि ब्रिक्स को हमारे राजनीतिक संकल्प को ठोस और समन्वित कार्ययोजना में परिवर्तित करना चाहिये। मैं संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि के मसौदे को जल्द मंजूर किये जाने का आह्वान करता हूं।
हमें हर हाल में देशों पर सामूहिक दबाव बनाना चाहिये कि वे आतंकवादियों को पनाह और समर्थन नहीं दें।
इसी तरह, साइबर स्पेस जहां एक ओर बड़ा अवसर है, वहीं दूसरी ओर साइबर सुरक्षा, चिंता का बहुत बड़ा विषय है। ब्रिक्स देशों को साइबर स्पेस के संरक्षण में अग्रिम भूमिका निभानी चाहिये। मुझे इस बात की खुशी है कि हम अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के माध्यम से इस संबंध में सहयोग कर रहे हैं। आखिर में, मैं कहना चाहता हूं कि यह एक अनोखा समूह है, जिसमें विश्व में शांति और स्थिरता कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है।
उन्होंने बताया कि मैं एक ऐसी धरती से आया हूं, जहां पूरे विश्व को अपना परिवार मानने अर्थात-’वसुधैव कुटुम्बकम’ का विचार हमारी संस्कृति के चारित्रिक गुणों के मूल में समाया है। पूरे विश्व को एकजुट होकर वैश्विक चुनौतियों का निर्णायक रूप से सामना करना चाहिये।