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कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता हथियाई :अब मुख्य मंत्री के चयन की समस्या

कर्नाटक में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत प्राप्त करके सत्ता रुड भाजपा को सत्ता से बाहर करके अपने तरफ चलाये जा रहे भ्रष्टाचार के तीरों को भाजपा की तरफ मोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है साथ ही बहुमत हासिल करने के बाद अब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के अंदर दौड़ भाग शुरू हो गई है। नए मुख्यमंत्री की दौड़ में सिद्धारमैय्या सबसे आगे माने जा रहे हैं।उनके अलावा ऑस्कर फर्नांडीज+केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे+ वीरप्पा मोइली + केएच मुनियप्पा+आर पी देशपांडे+ भी मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में हैं।अब लाख टके का सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस न्रेतत्व उत्तरखंड में लिए गए विवादित निर्णय को दोहराता है या फिर हिमाचल प्रदेश की तरह शान्ति पूर्वक सत्ता सुख भोगता है|
कर्नाटक की जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भले ही अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा है कि पार्टी विधायक ही अपना नेता तय करेंगे। मगर ब्राह्मण+ दलित और पिछड़े जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के सिलसिले को जारी रखने की चुनौती को देखते हुए आलाकमान को ही हमेशा कि तरह अंतिम फैसला लेने का अधिकार दे दिया गया है|
[१]मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में सबसे आगे सिद्धारमैय्या चल रहे हैं। वह पिछडे़ वर्ग से हैं और पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व उन्होंने खुद संभाला था।उनके समर्थक अधिकतर चुनाव जीते हैं| उन्होंने अपनी दावेदारी भी व्यक्त की है|
वह मूल रूप से जनता दल सेक्यूलर से करीब सात पहले ही कांग्रेस में आए हैं। पार्टी में उनका विरोधी खेमा उन्हें बाहरी भी कहता है और यही बात उनके खिलाफ जा सकती है|
[२] दलित केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की दावेदारी को भी नकारा नहीं जा रहा है। खड़गे को कुर्सी सौंप दलित कार्ड खेलकर राज्य ही नहीं बल्कि देशभर में एक संदेश देने का पार्टी का मकसद पूरा हो सकता है। हाईकमान से भी उनके बेहतर संबंध हैं|[३] पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के दस जनपथ से बेहतर रिश्तों को देखते हुए उनका नाम भी दौड़ में शामिल है। वह पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।[४]वरिष्ठ नेता आर पी देशपांडे का नाम ब्राह्मण के तौर पर चर्चाओं के बाजार में आ रहा है।