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हिमांचल प्रदेश के कुल्लू में ऐतिहासिक रघुनाथजी मंदिर से पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां चोरी:सदन में हंगामा

हिमांचल प्रदेश में कुल्लू के सुल्तान पर रूपी पैलेस ऐतिहासिक रघुनाथ जी मंदिर से करोड़ों रुपयों की विश्व प्रसिद्द धार्मिक मूर्तियां चोरी पर विधानसभा सत्र के दौरान वपक्ष ने जम कर हंगामा किया । मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पुलिस को इस मामले त्वरित कार्रवाई करने और अलर्ट जारी करने के लिए निर्देश दिए जाने की जानकारी दी ।
आज मंगलवार को विधानसभा में प्रथम सत्र में अधिकतर समय तक मूर्ती चोरी का मामला ही छाया रहा।
गौरतलब है कि ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर से बीते देर रात “सोमवार” चोर श्रीराम+हनुमान+भगवान नृसिंह+गणेश की स्वर्ण और अष्टधातु की मूर्तिया चुरा ले गए। यह मूर्तिया16वीं सदी की बताई गई हैं \और विश्व प्रसिद्द दशहरे के त्यौहार से जुडी है | इसीलिए ये मूर्तियां पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं में शामिल हैं|
चोरी की इस वारदात के बाद पुलिस ने अलर्ट जारी कर दिया है। इससे पूर्व मंदिर में इसी साल जनवरी में भी चोरी हुई थी। इस समय चोर मंदिर की दीवार तोड़ कर अंदर घुसे थे जबकि अब छत के रास्ते चोरी की गई है | जनवरी में सोने-चादी के आभूषण और चादी व अष्टधातु के बर्तन चुराए गए थे लेकिन मूर्तियों तक पहुँच नहीं बना पाये अबमूर्तियों को भी चुरा लिया गया है इसीलिए विपक्ष द्वारा प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है |

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र भी विश्व विरासत स्थल बना

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र भी विश्व विरासत स्थल बना |इससे पूर्व गुजरात के पाटण के रानी की वव को भी यही सम्मान प्राप्त हुआ है|
विश्व विरासत समिति ने ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र (जीएचएनपीसीए) इंडिया को यूनेस्को के दिशा-निर्देशों के निर्धारित मानदंड (x) के आधार पर विश्व विरासत सूची में दर्ज किया है। मानदंड (x) का उद्देश्य जैव-विविधता संरक्षण है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जीएचएनपी) हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में है। कुल्लू घाटी में पर्यावरण संरक्षण की अवधारणा काफी पुरानी है।
घाटी में कई स्थानों के नाम उन संतों के नाम पर हैं जो इस महान हिमालय क्षेत्र में साधना के लिए आए थे।
कुछ अभ्यारणयों को आज भी उपवन के रूप में संरक्षित रखा गया है।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र में जीएचएनपी (754.4 वर्ग कि.मी.), सैन्ज (90 वर्ग किलोमीटर) तथा तीर्थान (61 वर्ग किलोमीटर) वन्यजीव अभ्यारण तथा 905.40 वर्ग किलोमीटर के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र में ऊपरी ग्लैशियर तथा जैवानल, सैन्ज तथा तीर्थान नदियां तथा उत्तरी-पश्चिम की ओर बहने वाली पार्वती नदी का जल उद्गम शामिल है।