मेरठ में नासूर बनते जा रहे छोटे मोटे गड्डे तक भरने के लिए कोई तैयार नहीं है
मेरठ एक एतिहासिक शहर है |यहाँ के विकास के लिए बातों की और बड़ी बड़ी बातें करने वालों की कोई कमी नहीं है|एक ढूंढो हज़ार मिल जायेंगे लेकिन यहाँ नासूर बनते जा रहे छोटे मोटे जख्म भरने के लिए कोई तैयार नहीं है|छावनी परिषद् और नगर निगम की तो छोड़ो मिलिट्री इंजीनीयरिंग सेवा की सड़कें भी केवल मार्च महीने का इंतज़ार तो करती हैं मगर उसके बाद फिर अपनी बेनूरी पर रोने को विवश हो जाती हैं|यात्रियों+वाहनों का दुर्घटना आम हो चला है|ऐसा ही कुछ पॉश साकेत में एक गड्डे में फंसा यह ट्रक बयान कर रहा है |दूसरे चित्र में गंगा नगर में नाला बेहाल दिख रहा है|
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