ग्रेट ब्रिटेन को अब भारत के शांति प्रिय पर्यटकों से भी खतरा लगाने लगा है तभी भारत को भी उच्च जोखिम वाला देश करार दे कर यहां आने वाले भारतीयों को मात्र छह महीने के वीजा के लिये 3,000 पौंड[ लगभग पौने तीन लाख रुपये ] देने होंगे। ‘संडे टाइम्स’ के अनुसार ब्रिटेन के गृह विभाग ने घोषणा की है कि पायलट योजना के तहत उच्च जोखिम वाले देशों से [जिसमे भारत को भी शामिल किया गया है] आने वाले अगर निर्धारित अवधि का उल्लंघन करते हैं तो जमा राशि जब्त कर ली जायेगी|इन जोखिम वाले देशों में भारत, पाकिस्तान+घाना और नाइजीरिया समेत अफ्रो-एशियाई देश को शामिल किया गया है|भारत+ पाकिस्तान +नाइजीरिया और एशिया +अफ्रीका के कुछ देशों के १८ साल से ऊपर के नागरिकों को ब्रिटेन में संदेह की निगाह से देखा जाने लगा है | इन देशों को ब्रिटेन हाई रिस्क श्रेणी में रखता है इसीलिए ब्रिटिश गृह मंत्री थेरेसा में ने यह कदम उठाकर स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री डेविड केमरन की सरकार अप्रवासियों की संख्या कम करने के लिए गंभीर है।
बीते साल छह महीना का वीजा[१] भारत के 2,96,000, [२]नाइजीरिया के 1,01,000,[३] पाकिस्तान के 53,000 और [४]श्रीलंका व बांग्लादेश के 14,000 नागरिकों को दिया गया था।भारत से अधिकतर शिक्षा और रोजगार के लिए आते हैं अगर यह पायलट प्रोजेक्ट लागू हो जाता है तो ब्रिटेन में पढ़ाई और नौकरी का सपना देख रहे भारतीयों को नवम्बर से वीजा के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि ब्रिटेन में पिहले कुछ समय से आतंकवाद का जोर है और इसी कि रोकथाम के लिए कुछ देशों को उच्च जोखिम वाले देशों की सूची में शामिल किया गया है और इन देशों के नागरिकों के ब्रिटेन में आगमन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से यह नया कानून बनाया जा रहा है| अगर आंकड़े देखे जाएँ तो इंग्लैण्ड में आतंक वाद कि घटनाओं में अभी तक किसी भारतीय का हाथ साबित नही किया गया है|ऐसे में कहा जा सकता है कि ब्रिटेन भारत के विरुद्ध यह एक साजिश है क्योंकि एक तरह भारत के नागरिकों को हटत साहित किया जा रहा है मगर दूसरी तरफ उनके कैश बांड पर नज़र रखी जा रही है|शायद यह भारतीयों के मुह पर ब्रिटिश तमाचा है|
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ब्रिटेन ने भारत को भी उच्च जोखिम वाला देश करार दिया
अमेरिका के इंजीनियरों ने अपने भारतीय काउंटर पार्ट्स के लिए एच वन वीजा कोटा बढाने का विरोध किया
अमेरिका के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक्स प्रोफेशनल्स ने आउट सोर्सिंग का विरोद्ध करते हुए भारतीय पेशेवरों के लिए एच-1बी वीज़ा की संख्या में विस्तार करने की पहल को खारिज़ करने की मांग की है.| अमरीकी इंजीनियर्स की सबसे बड़े संस्था आईईईई-यूएसए[IEEEUSA ]ने कॉम्प्रिहेंसिव इमिग्रेशन बिल में ऐसे संशोधन को खारिज करने के लिए अमरीकी सीनेट की न्यायिक समिति से आग्रह किया है|
संस्था का कहना है कि भारतीय पेशेवरों के कारण अमरीकी और अन्य विदेशी कामगारों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी और साथ ही इससे अमरीकी कंपनियां आउटसोर्सिंग के लिए भी मजबूर होंगी|
अध्यक्ष मार्क ऐप्टर के अनुसार एच-1बी कार्यक्रम का उपयोग विदेशियों को अच्छी नौकरियां देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए|
गौरतलब है कि ऑरिन हैच + टेड़ क्रूज़ ने एच-1बी वीज़ा कोटा को मौजूदा 65000 से बढ़ाकर 300000-325000 तक किए जाने के लिए संशोधन पारित किया है
बताते चलें कि संभवत पहली बार भारतीयों के लिए .ब्रिटेन ने तत्काल वीजा जारी किए जाने को लेकर ‘सुपर प्राइआरिटी’ योजना शुरू की है। इसके तहत जो भारतीय सैलानी तत्काल ब्रिटेन जाना चाहते हैं| उन्हें उसी दिन वीजा सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। बेशक इसके लिए 600 पाउंड यानी 51 हजार रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे लेकिन यू एस ऐ जिसकी कंप्यूटर इंडस्ट्रीज के विकास में भारत का महत्वपूर्ण योगदान है उस यू एस ऐ में भारतियों के लिए एच वन वीजा कोटा को बढाया जाना दोनों देशों के हितों की रक्षा ही करता है|
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