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मोदीभापे !लिखता हूँ रौजाना क्योंकि सिसकियां सुनने को कोई नही

#मोदीभापे
दर्द में हूँ तो भी जिंदा हूँ,सियासी बेरुखी ने दर्द बना छोड़ा
पीड़ित की आह डूब जाती है हुक्मराँ के नँगे अट्टहासों में
पीड़ा बयां करते खत ता कयामत चीखते रहते हैं ,इसीलिए
लिखता हूँ रौजाना क्योंकि सिसकियां सुनने को कोई नही
#कंपनसेशन/#रिहैबिलिटेशन क्लेम की सरकारी लूट
#PMOPG/E/2016/0125052