[नयी दिल्ली]उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार तो १८ मार्च से ही असंवैधानिक थी :प्रेस वार्ता में जेटली
कांग्रेस द्वारा साजिश की आशंका जताने के बीच, सरकार ने आज उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को सही ठहराया और कहा कि हरीश रावत सरकार 18 मार्च से ‘‘असंवैधानिक’’ और ‘‘’अनैतिक’ थी जब ‘‘गिरने’’ के बावजूद विनियोग विधेयक पारित हुआ दिखाया गया।कांग्रेस ने इसे लोक तंत्र की हत्या बताया है |
केन्द्रीय वित्त और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अनुच्छेद 356 :राष्ट्रपति शासन लगाने: को लागू करने का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता
उत्तराखंड में पूरी तरह से संवैधानिक अव्यवस्था थी
उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्रीय कैबिनेट के लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने के बहुत अच्छे आधार थे
मुख्यमंत्री 18 [मार्च]को ही अपना बहुमत खो चुके थे और उनका बना रहना असंवैधानिक और अनैतिक था।’’ जेटली ने कहा कि यह समय की मांग थी कि सरकार को बख्रास्त किया जाए।
उन्होंने 18 मार्च के संदर्भ में कहा कि 71 सदस्यीय विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर 67 सदस्य उपस्थित थे जिनमें से 35 विनियोग विधेयक पर मत विभाजन चाहते थे।
जेटली ने कहा कि 35 सदस्यों ने पहले से लिखकर मतविभाजन का अनुरोध किया था और उन्होंने विधेयक के खिलाफ मत भी दिया लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने विधेयक को पारित हुआ दिखाया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने लिखित में कहा कि ‘मत विभाजन की मांग हुई लेकिन मैंने विधेयक को पारित बताया’। यह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार है कि विधेयक के गिरने के बावजूद उसे पारित दिखाया गया।
यह संविधान का पहला उल्लंघन था।
विनियोग विधेयक सरकार को एक अप्रैल से व्यय के लिए कोष निकालने की शक्ति देता है और अगर सदन के पटल पर यह गिर जाता है तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।
रावत सरकार को बख्रास्त करने के लिए बताए गए अन्य कारणों में ‘‘विधानसभा के संयोजन में बदलाव’’ का प्रयास अैर मुख्यमंत्री द्वारा कथित रूप से विधायकों को ‘‘लुभाने’’ और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बहुमत साबित करने के लिए मुख्यमंत्री को लंबा समय देना शामिल है।
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