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कमजोर और पार्टी अध्यक्ष के समक्ष नतमस्तक डा. मन मोहन सिंह :सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग में भारत के प्रधान मंत्रियों की बैलेंसशीट प्रकाशित की है | इसमें स्वतंत्रता प्राप्ति के 66 वर्षों में,बने चौदह प्रधान मंत्रियों के कार्यकाल का उल्लेख है |उन्होंने प्रधान मंत्रियों को उनके कार्यकाल को श्रेणी बद्द करके उनकी उपलब्धियों और असफलताओं का चित्रण किया है| इसमें रोचकता यह है की श्री आडवाणी ने स्वाभाविक रूप से अपने पार्टी के कार्यकाल की तारीफ तो की लेकिन वर्तमान प्रधान मंत्री डा. मन मोहन सिंह को कमजोर पी ऎम प्रधानमंत्री के विश्लेषण को दोहराया और उससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए पी एम् को उनकी [कांग्रेस] पार्टी अध्यक्ष का गुलाम बताते हुए पी एम् पद में निहित शक्तियों का उपयोग कर पाने में असफल बताया है| प्रस्तुत है सीधे एल के आडवाणी के ब्लाग से :
[१] चार प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल पांच वर्ष या उससे अधिक रहा। इनमें डा0 मनमोहन सिंह (9 वर्ष), अटल बिहारी वाजपेयी (6 वर्ष), पी.वी. नरसिम्हा राव और राजीव गांधी (5-5 वर्ष) तक प्रधानमंत्री रहे।
मोरारजी देसाई ढाई वर्ष तक प्रधानमंत्री रहे, और लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल ताशकंद की घटनाओं के चलते मात्र डेढ़ वर्ष ही रहा।
[२] जिन 6 प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम रहा उनमें शामिल हैं वी.पी. सिंह, एच.डी. देवेगौडा और आई.के. गुजराल (11-11 महीने), चन्द्रशेखर (8 महीने), चरण सिंह (6 महीने) और गुलजारी लाल नंदा (1 महीना)।
[३]***जिन दो प्रधानमंत्रियों ने देश पर सर्वाधिक ज्यादा समय शासन किया, उनका प्रभाव जनमानस पर ज्यादा गहरा रहा है, लेकिन यदि उनकी सफलताओं और असफलताओं की बैलेंस शीट (लेखा-जोखा) बनाई जाएगी तो कुल मिलाकर नतीजे ज्यादा खुश करने वाले नहीं निकलेंगे।
पण्डित नेहरू के मामले में, जिन्हें महात्मा गांधी ने कांग्रेस की अधिकतर राज्य इकाइयों द्वारा सरदार पटेल के पक्ष में होने के बावजूद, भारत सरकार चलाने हेतु चयनित किया, की सभी उपलब्धियों पर उनके द्वारा चीन पर किया गया गलत विश्वास और उनके रक्षा मंत्री द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों की अपराधिक उपेक्षा ने पानी फेर दिया।
पण्डितजी की विदेश और रक्षा नीतियों के फलस्वरूप देश को 1962 में चीन के हाथों शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी, एक ऐसा अपमान जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
श्रीमती गांधी की सर्वाधिक शानदार उपलब्धि थी 1971 में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक विजय और स्वतंत्र बंगलादेश का निर्माण।
लेकिन श्रीमती गांधी के कार्यकाल में 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनका लोकसभाई चुनाव रद्द कर देने और आगामी छ: वर्षों तक किसी भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने सम्बन्धी निर्णय के चलते तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोप दिया, सभी मूलभूत अधिकार निलम्बित कर दिए, एक लाख से अधिक विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस दिया और एक प्रकार से लोकतंत्र को समाप्ति के कगार पर पहुंचा दिया।
आपातकाल विरोधी संघर्ष में जयप्रकाश नारायण के प्रेरणादायी नेतृत्व और 1977 के लोकसभाई चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारतीय मतदाताओं द्वारा सिरे से नकार दिए जाने ने भारतीय लोकतंत्र को बचाया, और न केवल भारत को सामान्य स्थिति में वापस लाए अपितु इसने हमारे राजनीतिक आकाओं के लिए भी सदैव के लिए चेतावनी दी कि अपने संकीर्ण हितों की रक्षा और संवर्ध्दन के लिए कभी भी आपातकाल सम्बन्धी संवैधानिक प्रावधानों का दुरूपयोग करने की सोचना भी नहीं।
सर्वाधिक ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले दोनों की तुलना में शास्त्रीजी और मोरारजी देसाई का कार्यकाल काफी कम रहा। लेकिन उनकी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ व्यवहार ने लोगों पर गहरी छाप छोड़ी और जनता में इन दोनों के लिए अनन्य सम्मान अर्जित किया।
1951 में डा0 श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की। डा0 मुकर्जी के व्यक्तित्व और गठित नई पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों ने हजारों देशभक्त युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया जिनकी मूल दीक्षा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुई थी। इनमें प्रमुख थे पण्डित दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे, सुंदर सिंह भण्डारी, जगन्नाथ राव जोशी, पी0 परमेश्वरन, डा0 बलदेव प्रकाश और केवल राम मलकानी।
मेरा अपना राजनीतिक जीवन सन् 1951 में शुरू हुआ। इसलिए, 1952 से होने वाले भारत के प्रत्येक आम चुनावों में मुझे या तो प्रचारकर्ता या फिर एक उम्मीदवार के रूप में भाग लेने का मौका मिलता रहा है।
मैं अपने लिए यह सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे हमारी पार्टी के विचारक दीनदयालजी, हमारी पार्टी के सबसे कद्दावर नेता अटलजी, और नानाजी देशमुख के साथ निकट से काम करने का मौका मिला; नानाजी ने हम सब के सामने यह सिध्द कर दिखाया कि कैसे राजनीतिक गतिविधियों को ग्रामीण जनता के लिए रचनात्मक कार्यक्रमों के साथ मिलाकर चलाया जा सकता है।
उन चार प्रधानमंत्रियों जिन्होंने पांच वर्ष या उससे अधिक समय तक शासन किया है, में से एक डा0 मनमोहन सिंह पिछले नौ वर्षों से सत्ता में हैं। यदि लोकसभाई चुनाव अपने निर्धारित समय सन् 2014 में होते हैं तो तब तक वह प्रधानमंत्री के रूप में दस वर्ष पूरे कर लेंगे। नेहरू परिवार से बाहर वाले व्यक्ति के लिए यह एक अद्वितीय विशेषता होगी। परन्तु इससे भी अधिक अद्वितीय परन्तु संदेहास्पद विशेषता यह भी होगी, कि स्वतंत्र भारत के राजीनीतिक इतिहास में वे एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लोकसभा के लिए कभी भी निर्वाचित न होकर भी इस पद पर हैं!
साथ ही, मैं यह नहीं भूल सकता कि सन् 2009 में जब मैंने डा0 सिंह को देश का सर्वाधिक कमजोर प्रधानमत्री कहा था, तो मेरे ही कुछ सहयोगियों को लगा कि यह ज्यादा हो गया ह। लेकिन मैं आज भी कहता हूं कि उनकी यही कमजोरी जो उन्हें 10 जनपथ के सम्मुख गौण महत्व का बनाती है और परिणामतया प्रधानमंत्री पद में निहित शक्तियों का उपयोग कर पाने में वह असफल हो रहे हैं।
नाम
अवधि
दल
श्री जवाहरलाल नेहरू
15 अगस्त, 1947-27 मई, 1964
कांग्रेस
श्री गुलजारीलाल नंदा
27 मई, 1964-9 जून, 1964
कांग्रेस
श्री लाल बहादुर शास्त्री
9 जून, 1964 – 11 जनवरी, 1966
कांग्रेस
श्री गुलजारी लाल नंदा
11 जनवरी, 1966 – 24 जनवरी, 1966
कांग्रेस
श्रीमती इंदिरा गांधी
24 जनवरी, 1966 – 24 मार्च, 1977
कांग्रेस
श्री मोरारजी देसाई
24 मार्च, 1977 – 28 जुलाई, 1979
जनता पार्टी
श्री चरण सिंह
28 जुलाई, 1979 – 14 जनवरी, 1980
जनता पार्टी
श्रीमती इंदिरा गांधी
14 जनवरी, 1980 – 31 अक्तूबर, 1984
कांग्रेस (आई)
श्री राजीव गांधी
31 अक्तूबर, 1984 – 2 दिसम्बर, 1989
कांग्रेस (आई)
श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह
2 दिसम्बर, 1989 – 10 नवम्बर, 1990
जनता दल
श्री चंद्रशेखर
10 नवम्बर, 1990 – 21 जून, 1991
जनता दल
श्री पी.वी. नरसिम्हा राव
21 जून, 1991 – 16 मई, 1996
कांग्रेस (आई)
श्री अटल बिहारी वाजपेयी
16 मई, 1996 – 1 जून, 1996
भाजपा
श्री एच.डी. देवेगौडा
1 जून, 1996 – 21 अप्रैल, 1997
जनता दल
श्री इंद्रकुमार गुजराल
21 अप्रैल, 1997 – 19 मार्च, 1998
जनता दल
श्री अटल बिहारी वाजपेयी
19 मार्च, 1998 – 22 मई, 2004
भाजपा
डा0 मनमोहन सिंह
22 मई, 2004 – अभी तक
कांग्रेस
पुन:, यही डा0 मनमोहन सिंह की वह कमजोरी है, जिसके चलते यह इतिहास में दर्ज होगा कि भले ही व्यक्तिगत रूप से वह ईमानदार होंगे, परन्तु जिस सरकार का वह एक दशक से नेतृत्व कर रहे हैं, वह स्वतंत्र भारत की सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार है और यह महज मीडिया रिपोर्टों के आधार पर नहीं अपितु अनेक न्यायिक निर्णयों और नियंत्रक महालेखाकार की अनेक रिपोर्टों से पुष्ट होता है।
जैसाकि इस ब्लॉग की शुरूआत में मैंने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन में अटलजी के साथ काम करने का अवसर मिलने को मैं अत्यन्त सौभाग्यशाली मानता हूं। मैं निश्चित रूप से मानता हूं कि कोई भी राजनीतिक विश्लेषक जब अटलजी के 6 वर्षीय शासन का निष्पक्ष आकलन करेगा तो उसे स्वीकारना ही होगा कि 1998 से 2004 तक का एनडीए शासन उपलब्धियों से भरा है और उसे अक्षरश: कुछ भी गलत नहीं मिलेगा। उस अवधि की कुछ उपलब्धियों को यदि सार रूप में कहना है तो वे निम्नलिखित हैं:
1) प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों में भारत परमाणु हथियार सम्पन्न देश बना।
2) आर्थिक क्षेत्र में सरकार ने आधारभूत ढांचे – राजमार्गों, ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, ऊर्जा पर ध्यान केन्द्रित किया।
3) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में भारत को सुपर पॉवर बनाया।
4) अमेरिका द्वारा आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, अटलजी ने एनडीए के 6 वर्षीय शासन में मुद्रास्फिीति पर सफलतापूर्वक नियंत्रण रखा।
5) 6 वर्षीय शासन, सुशासन, विकास और गठबंधन का मॉडल था।
6) सरकार के विरूध्द भ्रष्टाचार की कोई चर्चा तक नहीं थी।
7) नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना की नींव एक टास्क फोर्स ने रखी जिसके लिए एक केबिनेट मंत्री को मुक्त कर इस कार्य में जुटाया गया।
मैं इसे अटलजी की विशिष्ट विलक्षणता मानता हूं कि इतनी उपलब्धियां होने के बावजून मैंने कभी भी उनमें अहंकार या अहं की तनिक भी झलक नहीं पाई। इसलिए सन् 1947 से अब तक के प्रधानमंत्रियों के लेखा-जोखा की बात करते समय मैं कह सकता हूं कि उनका कार्यकाल सबसे ज्यादा उपलब्धियों भरा रहा है।

आम आदमी पार्टी ने जनता को मालिकाना हक़ दिलाने के लिए मोहल्ला सभाएं शुरू कराई:खिचड़ी पुर से आगाज

[दिल्ली]साड़े दस पत्रों को डिलीवर लरने के पश्चात उत्साह से भरी आम आदमी पार्टी [आप] ने दिल्ली के तख्त की तरफ एक कदम और बढ़ाते हुए मोहल्ला सभाएं करनी शुरू कर दी हैं | आप के पार्षद विनोद कुमार बिन्नी से वार्ड २१४ [खिचड़ी पुर ]में यह शुरुआत करा दी गई है|पहली बार बुलाई गई मोहल्ला सभा में शामिल होने के लिए अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया भी शामिल हुए| अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी तक लोग अपने नेता या अफसरों के पास फ़रियाद लेकर जाते थे लेकिन इस मोहल्ला सभा में लोग अपना मालिकत्व इस्तेमाल करने आए. उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याएँ और ज़रूरतें बहुत छोटी छोटी हैं. अगर लोगों से पूछकर जनता का पैसा खर्च किया जाए तो न भ्रष्टाचार हो सकेगा और न फिजुलखर्ची, इस तरह पूरी दिल्ली का बजट आधा हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी आएगी तो स्वराज का कानून बनाकर पूरी दिल्ली में यह व्यवस्था लागू करा देगी ताकि लोग अपने मोहल्ले में, विधायकों या पार्षदों को इसी तरह हर महीने आदेश दे सकें. उन्हें अपने नेताओं के सामने फरियादी बनाकर न जाना पड़े.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस तरह की मोहल्ला सभाएं लोगों को नेताओं के गुलाम होने से बचाएंगी. अभी पार्टियों और नेताओं ने जनता को उसके काम कराने के नाम पर गुलाम बना रखा है, जाति-धर्म में बाँट रखा है. जब मोहल्ला सभा में लोग खुद फैसले लेने लगेंगे तो यह राजनीति अपने आप कमजोर पड़ जायेगी. इस पहली मोहल्ला सभा में करीब 250 लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है| यहाँ ट्रेफिक जाम+ गंदा पानी+ पुलिस, लोक निर्माण विभाग आदि से सम्बंधित अनेको समस्यायों के माध्यम से भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए भविष्य में व्यवस्था सुधारने का भरोसा दिलाया गया| इस सभा में पार्षद निधि के सदुपयोग के लिए निर्णय लिए गए| बताया गया है कि 50 लाख रूपए की राशि पार्षद निधि के रूप में मिली है| वार्ड में जनता जो तय करेगी, उस राशि से वही कार्य कराए जायेंगे नगर निगम के जो काम उनके इलाके में चल रहे हैं या जो काम आगे होंगे, उनके बारे में जब लोग मोहल्ला सभा में आकर उन्हें ठीक कह देंगे तभी उनका भुगतान ठेकेदार को होगा, अन्यथा उसका भुगतान रोक दिया जाएगा.| बाते गया कि पार्षद के रूप में वे 700 गरीब लोगों को पेंशन सहायता दे सकते हैं, जिनमें से 475 लोगों को पेंशन दी जा रही है, 225 लोगों को और दी जा सकती है. इसमें नगर निगम के अधिकारियों को भी बुलाया गया था ताकि मौके पर ही फैसला लेकर काम मंजूर किया सके|प्राप्त जानकारी के अनुसार . मोहल्ला सभा में कई दिलचस्प फैसले हुए [१]गाजीपुर के एक युवक ने बताया कि उसकी गली में एक सड़क बन रही है, लेकिन वह सिर्फ तीन इंच मोटी बन रही है जबकि वह 6 इंच होनी चाहिये. मोहल्ला सभा में मौजूद इंजीनियर ने बताया कि वह सड़क 4 इंच मोटी बनाई जा रही है. लोगों ने कहा कि सड़क के कागज़ उस युवक को दिखा दिए जाएं और अगली बैठक में कागजों पर लिखे अनुसार सड़क बनने की पुष्टि होने के बाद ही ठेकेदार का भुगतान किया जाएगा. अगर काम ठीक नहीं हुआ होगा तो अगली बैठक में ठेकेदार को बुलाकर उससे दोबारा, सही काम करने को कहा जाएगा. [२] गाजीपुर के एक अन्य युवक ने सूचना अधिकार के तहत इलाके में सफाईकर्मियों की सूची निकाल रखी थी. उसने पूछा कि ये सफाईकर्मी हमारे इलाके में काम क्यों नहीं करते हैं. पार्षद ने बताया कि क्षेत्रफल के हिसाब से यहाँ के लिए नियुक्त सफाई कर्मियों की संख्या बेहद कम है. काफी चर्चा के बाद तय हुआ कि वह युवक कल सफाईकर्मियों का ड्यूटी रजिस्टर देखेगा और अगर उसे कोई शिकायत होगी तो वह अगली मोहल्ला सभा मे बताएगा|[३]डाक्टर्स अपार्टमेंट से आई एक युवती ने बताया कि मेट्रो कीओर जाने वाली सड़क पर 10 में से केवल 3 स्ट्रीट लाईट्स ही काम कर रही हैं. तुरंत वहां मौजूद सम्बंधित अधिकारी को कल ही यह शिकायत दूर कर, उस युवती को रिपोर्ट करने को कहा गया|[४] वसुंधरा एन्कलेव में तीन जगह पार्क की दीवार और फुटपाथ बनाने का काम हो रहा है. इनमें से दो काम पूरे हो गए और लोगों ने बताया कि वे संतोष जनक है उनके भुगतान करने का फैसला लिया गया.[५] दल्लूपुरा गाँव में एक सड़क को, पार्षद निधि से ऊँचा कराने का फैसला लिया गया [६] खिचड़ीपुर से आई तीन गरीब महिलाओं को पेंशन और एक बच्ची को लाडली योजना के तहत सहायता देने को भी मंजूरी वहां मौजूद लोगों ने दी.यह भी जानना दिलचस्प है कि लोगों की बहुत सी समस्याएँथीं जोकि नगर निगम के अधीन नहीं आते. उनके बारे में एक पार्षद के लिए कोई फैसला लेना संभव नहीं था लेकिन विनोद बिन्नी ने कहा कि वे नगर निगम से अलग इन समस्याओं को सम्बंधित विभागों के सामने रखेंगे. लोगों ने इलाके में पालीथीन बंद करने और गरीब लोगों के बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की.
उल्लेखनीय है कि पार्षद विनोद कुमार बिन्नी जनलोकपाल आंदोलन के समय से ही आन्दोलन में सक्रिय हैं और उन्होंने निर्दलीय पार्षद चुनाव लड़ा था लेकिन आम आदमी पार्टी के गठन के बाद औपचारिक रूप से नगर निगम में आम आदमी पार्टी के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने इस मोहल्ला सभा के लिए सप्ताह भर से काफी प्रचार किया था.

सरबजीत की मौत पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान की सरकारों की कमजोरी उजागर हुई

सरबजीत को मृत्यु के पश्चात शहीद का दर्जा पंजाब सरकर ने दे दिया| जगह जगह उसके समर्थन में पाकिस्तान के पुतले फूंके जा रहे हैं यहाँ तक कि भारतियाजैलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों पर अटैक होने लग गए हैं इस सबसे गर्वित होने के स्थान पर इसे वृहद बहस का मुद्दा बना कर इस पर चिंता प्रकट की जानी चाहिए क्योंकि एक तरफ तो दोनों मुल्कों के नागरिकों में भरोसे की दूरे एक कदम बढ गई है और दोनों मुल्कों की सरकारों का क्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लगा है| पाकिस्तान की जेल में २२ साल से बन्द सरबजीत की मौत कोई सामान्य हादसा नहीं है. इसने पाकिस्तान सरकार के अमानवीय चेहरे से एक बार फिर नकाब हटा दिया है. बिना सबूत, सिर्फ शक के आधार पर, सरबजीत को बम बलास्ट का आरोपी बना देना, उसके परिवार सहित दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों की आवाज़ को अनसुना करना और फिर सुनियोजित तरीके से उस पर जानलेवा हमला करवाना, इस तरह का अमानवीय आचरण पाकिस्तान की नीति का पहले से ही हिस्सा रहा है. सरबजीत के मुद्दे को भी पाकिस्तान ने भारत के साथ संबन्धों में अपनी नाक का सवाल बना लिया था|
दूसरी तरफ सरबजीत जैसे नागरिकों को न बचा पाना भारतीय विदेश नीति एकदम लाचार नजर आती रही| सरबजीत की बहन और उनके परिवार के अन्य लोगों ने अपने दम पर इस मुददे को जिस शिद्दत से दुनिया के पटल पर रखा, अगर भारत सरकार भी इस बारे में जोर लगाती तो शायद सरबजीत की जान बच सकती थी.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए 49 साल के सरबजीत सिंह पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोट लखपत जेल में 4 से 5 कैदियों ने हमला किया जिसमें वे बुरी तरह घायल हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें वहां के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वे तभी से वेंटिलेटर पर थे।पाकिस्तान के समय के मुताबिक आधी रात को 1 बजे सरबजीत ने आखिरी सांस ली। निधन के बाद जिन्ना अस्पताल के बाहर पुलिस की भारी तैनाती कर दी गई। सरबजीत का परिवार बुधवार को ही तीन दिन पाकिस्तान में रहने के बाद भारत लौटा था।
पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर और मुल्तान में हुए बम धमाकों के आरोप में सरबजीत को 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद से वे वहां की जेल में बंद थे।इसकी प्रातिक्रिया स्वरुप जम्मू जेल में बंद एक पाकिस्तानी कैदी पर जानलेवा हमला हुआ है लेकिन भारत सरकार ने तत्परता दिखाते हुए सम्बंधित अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया है|मेरठ कि जेल में बंद तीन पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा बड़ा दी गई है|इसके अलावा स्वयम सेवी और राजनीतिक दल आये दिन पाकिस्तान का पुतला फूंक कर अपनी आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं |

1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी सज्जन कुमार के केस को बढाने के लिए सी बी आई को आगे आ कर फास्ट ट्रेक कार्यवाही करानी होगी :आप पार्टी

आम आदमी पार्टी [आप] ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किये जाने को लेकर केंद्र सरकार और सी बी आई को कटघरे में खडा करते हुए व्यवस्था को असहनीय बताया है| आप के नेता मनीष शिशोदिया ने सज्जन कुमार को बरी किये जाने को देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब सी बी आई द्वारा स्वयम इस केस को ऊपर की अदालत में ले जाकर फास्ट ट्रेक कार्यवाही के लिए उत्सुकता दिखाई जानी चाहिए| मनीष शिशोदिया ने व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इस केस की सम्बंधित गोपनीय फाईलें गायब होने के लिए उत्तरदाई आधिकारी राजीव रंजन को पी एम् की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण दाईत्व दे दिया गया है|उन्होंने इस मामले में जिम्मेदारी तय करके दोषियों को यथा शीघ्र दण्डित किये जाने की मांग की है| श्री शिशोदिया ने बताया कि इस केस के निर्णय आने के तत्काल पश्चात उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात करके उन्हें ढाढस बंधाने का प्रयास किया|उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवारों की पीड़ा को सुन कर अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी पिघल जायेंगे |उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष्य के हवाले से देश में अराजकता के महौल की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय दिलाने के लिए सी बी आई को अब स्वयम केस को उच्च नयायालय में ले जाकर फ़ास्ट ट्रेक कार्यवाही कराई जानी चाहिए|उन्होंने मामले की कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए एस आई टी [SIT]के गठन की अपनी पुरानी मांग को भी दोहराया |
गौरतलब है कि दिल्ली की कड कड डूमा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे आर आर्यन की अदालत के फैसले पर जहां पीड़ित फरियादियों ने छातियाँ पीट कर अफ़सोस मनाया वहीं उनके वकीलों ने उच्च न्यायलय की शरण में जाने की बात कही है| फैसले के वक्‍त कोर्ट रूम में झड़प भी हुई +गुस्‍साई भीड़ ने कांग्रेसी नेता सज्‍जन कुमार और न्यायाधीश कि तरफ जूता भी फेंका.|पुलिस ने जूता फेंकने वाले व्‍यक्ति को हिरासत में ले लिया है|. फैसला आने के बाद लोगों ने कोर्ट के बाहर हंगामा भी किया | समर्थको का मानना है कि यह फैसला उनके हक में नहीं हुआ+ सो न्याय की लड़ाई जारी रहेगी|
इस मामले में अन्य पांच आरोपियों में से तीन पर हत्या की बात साबित हुई है। इसके अलावा दो अन्य पर दंगा का मामला साबित हुआ है।पूर्व पाषर्द बलवान खोकर+ पूर्व विधायक महेन्द्र यादव+ किशन खोकर+ गिरधारी लाल एवं कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया है+दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है|

माडल रेलवे स्टेशनों पर भी सुरक्षा के नाम पर केवल मजाक ही हो रहा है

रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के नाम पर लगाये गए उपकरण महीनों से ख़राब हैं +यात्रियों की परेशानियों को दूर करने केलिए अधिकारियों का अभाव है+रिजर्वेशन काउंटर पर कोई मानिटरिंग नही है|ये तमाम खामियां आज मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने सिटी रेलवे स्टेशन पर पकड़ी और स्टेशन मास्टर को तत्काल सुधार की चेतावनी दी|
मेरठ हापुड़ से भाजपा के सांसद राजेन्द्र अग्रावाल ने आज सिटी स्टेशन का आकस्मिक निरीक्षण किया |सांसद ने बताया कि उन्हें पिछले कई दिनों से फोन पर अनियमितताओं की शिकायतें आ रही है जिसके फलस्वरूप उन्होंने आज स्टेशन का दौरा किया |यहाँ के स्टेशन को तीन साल पहले माडल स्टेशन घोषित किया जा चुका है लेकिन [१]यहाँ लगाए गए सुरक्षा कैमरा पिछले दो माह से खराब है|[२] स्टेशन पर रुकने वाली गाडी में चड़ने के लिए यात्रियों को उनकी रिजर्व्ड बोग्गी की जानकारी देने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है |जिन गाड़ियों का स्टापेज बेहद कम है उन पर चड़ने के लिए बुजुढ़ और महिलाओं को भी एक कौने से दूसरे कौने तक परेशान भाग दौड़ करते देखा जा सकता है|[३]रिजर्वेशन काउंटर पर कोई मानिटरिंग नहीं है जिसके फलस्वरूप अपात्रों की चांदी कट रही है|
सासंद ने स्टेशन मास्टर को तत्काल सुधार करने की चेतावनी भी दी

मजदूरों के अन्तराष्ट्रीय त्यौहार एक मई को सवेतन राष्ट्रीय अवकाश घोषित करो:लाल झंडे लहराए

मजदूरों के अन्तराष्ट्रीय त्यौहार एक मई पर फिर मजदूरों के लाल निशान वाले झंडे लहराए |इस अवसर पर केंद्र सरकार के कर्मियों ने सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई|देश भर में धरना प्रदर्शन हुए | केंद्र और राज्य सरकारों को ज्ञापन भी प्रेषित किये गए|मेरठ में भी केंद्रीय ट्रेड युनियन [राज्य/केंद्रीय विभाग]कर्मचारी स्न्ग्थानो की संयुक्त समन्वय समिति के तत्वधान में कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन करके प्रधान मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया|
आरोप लगाया गया है कि विश्व बैंक के दबाब में उदारीकरण के नाम पर मजदूर विरोधी नीतियाँ बनाई जा रहे हैं| मजदूरों की गाड़े कि कमाई को शेयर बाज़ार के हवाले किया जा रहा है|इससे बेरोजगारी के साथ महंगाई भी बढ रही है|एक मई से ही दिल्ली में अमूल का दूध २/= लीटर महँगा कर दिया गया है|
इस ज्ञापन के माध्यम से उठाई गई मांगों में मुख्यत
एक मई को सवेतन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किये जाने की मांग भी की गई है|जन लोक पाल का समर्थन किया गया|रसोई गैस के रेट्स तत्काल घटाए जाएँ|पल्स पोलियो अभियान के कर्मियों का मानदेय बढाया जाये|उत्तर प्रदेश में बंद किये गए प्रतिष्ठानों के कर्मियों का बकाया भुगतान किया जाए|
इस विरोध प्रदर्शन में सी आई टी यु+आयकर +उत्तर प्रदेश राज्य का. महासंघ+सी जी एच एस+यू पी बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन+एल आई सी+कैंट बोर्ड+इंटक+ बी एस एन एल+५१० वर्कशाप+पोस्टल एम्पलाईज आदि के कर्मचारी नेता उपस्थित थे|

उत्तर भारत में भूकंप के झटके

उत्तर भारत में १२.२७ बजे ५.८ मेग्नित्युड के भूकंप को नोट किया गया है|इसका दायरा जे &के और हिमाचल प्रदेश के सीमांत और दिल्ली के आस पास के छेत्र बताया जा रहा है|अभी तक किसी जान मॉल की हानि के समाचार नहीं है| मेरठ से दीपक शर्मा ने सिस्मिक मॉनिटरिंग नेटवर्क के हवाले से यह समाचार दिया है|

अमेरिकन नागर कार्गो विमान अफगानिस्तान में क्रैश :सातों सवार मरे

अमेरिका के नॅशनल एयर कार्गो के नागर कार्गो विमान , अफगानिस्तान के काबुल के नजदीक बगराम एयर बेस के समीप, क्रैश हो गया| इसमें सवार सभी सातों अमेरिकी नागरिक मारे गए हैं| नाटो के अनुसार टेक ऑफ करने के कुछ समय पश्चात ही विमान को नीचे गिरते देखा गया| यधपि तालिबान ने इस क्रैश की जिम्मेदारी ली है मगर इस अभी तक स्वीकार नही किया गया है|

जम्पिंग जैक हीरो जीतेन्द्र के परिवार पर आयकर विभाग का बड़ा छापा :बाला जी टेली फिल्म्स के शेयर गिरे

अपने ज़माने के फ़िल्मी जम्पिंग जैक हीरो जीतेन्द्र के कृष्णा निवास और वर्तमान में टेली क्वीन उनकी पुत्री एकता कपूर की कंपनी बाला जी टेली फिल्म्स के ८ स्थानों पर आय कर विभाग के लगभग १०० अधिकारियों की टीम द्वारा छापा डाला गया | टेलीविजन धारावाहिक और फिल्में बनाने के लिए मशहूर बालाजी टेलीफिल्म्स के दफ्तरों पर इनकम टैक्स के छापे मारे जा रहे हैं। इस कंपनी के चेयर मैन जीतेन्द्र हैं| जीतेन्द्र के पुत्र तुषार कपूर के घर और दफ्तर भी शामिल हैं।सुबह साढ़े सात बजे से लगभग आठ जगहों पर छापेमारी जारी है। कहा जा रहा है कि आय एवं लाभ को कथित रूप से छुपाने एवं इसकी गलत जानकारी देने के संबंध में यह कार्यवाही की गई है। एकता के परिवार में जितने भी सदस्य हैं, सबके यहां छापे पड़ रहे हैं। इसे आईटी की बड़ी रेड बताया जा रहा है। अभी तक आयकर विभाग द्वारा किसी भी जानकारी को प्रकाशित नही किया गया है लेकिन इससे एनएसई पर बालाजी टेलिफिल्म्स के शेयर 5 फीसदी तक टूटकर 43.20 रुपये तक जरुर आ गए
एकता कपूर का सितारा लंबे समय से बुलंदी पर है। उनके बनाए धारावाहिक तो हिट हुए ही हैं, फिल्मों में भी उन्हें जबरदस्त सफलता मिली है। इन दिनों उनकी प्रोड्यूस की गई फिल्म शूटआउट एट वडाला की खासी चर्चा है।
गौरतलब है कि बालाजी ने साल 2002 में फिल्म व्यवसाय में कदम रखा था। इस प्रोडक्शन हाउस ने भूल भुलैया, सरकार राज, वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई, शूट आउट एट लोखंडवाला और क्या कूल है हम जैसी हिट फिल्मों का निर्माण किया है।
गौरतलब है कि एकता कपूर इन दिनों सफलता के शीर्ष पर हैं। उनके बनाए धारावाहिक तो हिट हो ही रहे हैं साथ ही उनकी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाई कर रही हैं। सौर्सेस से प्राप्त जानकारी पर यदि विश्वास किया जाये तो जीतेन्द्र की नजदीकियां योग गुरु बाबा राम देव से हैं जिसका खामियाजा भुगतना पडा है|

१९८४ के दंगों के आरोप से सज्जन कुमार बरी हुए:फरियादियों ने छातियाँ पीटी:भाजपा ने एस आई टी की मांग की

1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किये जाने के दिल्ली की कड कड डूमा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे आर आर्यन की अदालत के फैसले पर जहां पीड़ित फरियादियों ने छातियाँ पीट कर अफ़सोस मनाया वहीं उनके वकीलों ने उच्च न्यायलय की शरण में जाने की बात कही है| फैसले के वक्‍त कोर्ट रूम में झड़प भी हुई +गुस्‍साई भीड़ ने कांग्रेसी नेता सज्‍जन कुमार पर जूता भी फेंका.|पुलिस ने जूता फेंकने वाले व्‍यक्ति को हिरासत में ले लिया है|. फैसला आने के बाद लोगों ने कोर्ट के बाहर हंगामा भी किया | समर्थको का मानना है कि यह फैसला उनके हक में नहीं हुआ+ सो न्याय की लड़ाई जारी रहेगी| प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भाजपा ने इस मामले में भी गुजरात दंगों की तरह उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाले विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किये जाने की मांग की है| भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने संवाददाताओं से कहा कि अभी निचली अदालत का फैसला आया है और मामला किसी उच्च अदालत में जा सकता है इसलिए इंसाफ की उम्मीद बची है।उन्होंने कहा कि जिस तरह गुजरात दंगों में शीर्ष अदालत की निगरानी वाली एसआईटी का गठन किया गया, उसी तरह 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में भी उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।
कानपुर में सज्जन कुमार का सिखों ने संतनगर चौराहे पर पुतला भी फूंका।सज्जन कुमार के बरी होने की सूचना आते ही संतनगर चौराहे पर अकाली जत्था ने केंद्र सरकार और सज्जन कुमार विरोधी प्रदर्शन किया। जत्था के प्रधान सरदार हरचरन सिंह, बलबीर सिंह भाटिया, थे।
सज्जन कुमार पर दिल्ली कैंट में पांच लोगों की हत्या का आरोप था।
इस मामले में अन्य पांच आरोपियों में से तीन पर हत्या की बात साबित हुई है। इसके अलावा दो अन्य पर दंगा का मामला साबित हुआ है।पूर्व पाषर्द बलवान खोकर+ पूर्व विधायक महेन्द्र यादव+ किशन खोकर+ गिरधारी लाल एवं कैप्टन भागमल को दोषी ठहराया है+दो आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है|

केस हिस्टरी

आपरेशन ब्ल्यू स्टार से क्षुब्ध दो सिख सुरक्षा कर्मियों ने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की ह्त्या कर दी थी जिसके फलस्वरूप देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे| दिल्ली कैंट पालम के राजनगर में १ नवम्बर १९८४ को केहर सिंह+ गुरप्रीत सिंह+रघुविंदर सिंह+ नरेंद्र पाल सिंह + कुलदीप सिंह की न्रिशंश हत्या कर दी गई थी|केहर सिंह की पत्नी जगदीश कौर + गुरप्रीत सिंह की माता ने अदालत का रुख किया था|
सीबीआई ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार+ कैप्टन भागमल+ पूर्व विधायक महेंद्र यादव+ गिरधारी लाल+कृष्ण खोखर + पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था|
इसके बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था. इनमें से सज्जन कुमार को कोर्ट ने बरी किया जबकि बाकी पांचों लोगों को दोषी करार दिया गया है|