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Category: Crime

दिल्ली सरकार की बिजली ,पानी नीति के विरोध में हस्ताक्षर करने वालों की संख्या ५ लाख से ऊपर हुई

दिल्ली सरकार की बिजली ,पानी नीति के विरोध में हस्ताक्षर करने वालों की संख्या ५ लाख से ऊपर हुई

दिल्ली सरकार की बिजली ,पानी नीति के विरोध में हस्ताक्षर करने वालों की संख्या ५ लाख से ऊपर हुई

दिल्ली में बिजली पानी के बिलों का भुगतान करने से इंकार करने वालों की संख्या पञ्च लाख क्रास कर गई है|यह संख्या आन्दोलन के आठवें दिन की शुरुआत के हैं | उपवास के सातवें दिन असहयोगियों की संख्या में १३६२३४ की बढोत्तरी बताई गई है|इससे आन्दोलनके समर्थकों की संख्या ५११२७४ पर जा पहुंची है|यह आंकड़ा अपने आप में उत्साहवर्धक है इसके साथ ही अन्ना बाबू राव हजारे की विजिट से आन्दोलन कारियों के उत्साह में दोगुनी व्रद्धि हुई है|
आम आदमी पार्टी प्रवक्ता अस्वति मुरलीधरन के अनुसार आन्दोलन के सातवें दिन में ही नार्थ वेस्ट और ईस्ट दिल्ली के पीड़ित उपभोक्ताओं ने भरपूर समर्थन दिया है|यहाँ दिल्ली की मुख्य मंत्री की बिजली पानी नीति के विरुद्ध २५००० प्रोटेस्ट साईन की गई है|साउथ &वेस्ट दिल्ली से २०००० प्रोटेस्ट साईन की गई है|
बीती रात अन्ना बाबू राव हजारे ने सुन्दर नगरी में समर्थकों को संबोधित भी किया|अन्ना ने कहा के बेशक अन्ना और अरविन्द के रास्ते अलग अलग हो गए हैं मगर दोनों का लक्ष्य एक ही है| अन्ना ने अरविन्द के आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा के अरविन्द केजरीवाल गरीबों की लड़ाई लड़ रहा है|आम आदमी बिजली पानी के हज़ारों रुपयों के बिल कहाँ से भरेगा| इसीलिए अरविन्द अपने लिए नहीं बल्कि गरीबों के लिए लड़ाई लड़ रहा है|जब भी देश हित में जरुरत होगी वोह[अन्ना] साथ आएंगे और सहयोग करेंगे|

बेनी प्रसाद वर्मा के शाब्दिक बाणों को भाजपा ने अमर्यादित और अप्रासंगिक बता कर टिपण्णी के भी लायक नहीं समझा

कांग्रेस के केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के तीखे शाब्दिक बाणों से उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी बेशक विचलित नज़र आ रही है लेकिन प्रदेश में भाजपा न्रेतत्व बेनी के ब्यानों को अमर्यादित और अप्रासंगिक बता कर टिपण्णी के भी लायक नहीं समझ रही है|बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने पूर्व पार्टी समाजवादी की आलोचना करते हुए भाजपा को भी लपेट लिया |मीडिया के समक्ष बेनी ने कहा कि १६ वी लोक सभा में उत्तर प्रदेश की ८० सीटों में से कांग्रेस को ४० और समाजवादी की अर्थी उठाने के लिए सपा के ४ सांसद ही आयेंगे |अपनी वर्तमान सहयोगी बसपा को उन्होंने ३६ सीट तो केंद्र में मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए मात्र १० सीटों के लिए भविष्यवाणी की |इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर लक्ष्मी कान्त वाजपई से संपर्क किया गया तो उन्होंने बेनी प्रसाद वर्मा की टिपण्णी को अमर्यादित और अप्रसांगिक बताया और कहा कि यह टिपण्णी के लायक भी नहीं है|उन्होंने कहा कि यह जनता तय करेगी कि किसको कितनी सीटें मिलेगी|

 बेनी प्रसाद वर्मा के शाब्दिक बाणों को भाजपा ने अमर्यादित और अप्रासंगिक बता कर टिपण्णी के भी लायक नहीं समझ

बेनी प्रसाद वर्मा के शाब्दिक बाणों को भाजपा ने अमर्यादित और अप्रासंगिक बता कर टिपण्णी के भी लायक नहीं समझ


लोक सभा के चुनावों के लिए भाजपा की तैय्यारियों के विषय में पूछे जाने पर पहले उन्होंने कांग्रेस और सपा की नकारत्मक उपलब्धियों का ब्योरा दिया|उन्होंने बताया कि[१] महंगाई जनक+भ्रष्टाचार पोषक+कांग्रेस[२] बसपा की जातिवादी नीति और सपा के कुशासन से जनता तंग आ चुकी है| इसीलिए जनता अब बदलाव चाहती है|इस संधर्भ में अपनी सकारत्मक उपलब्धियों का वर्णन करते हुए डा. वाजपई ने बताया कि भाजपा के सुशासन+राष्ट्रवाद+अटल बिहारी वाजपई सरकार की स्वछ छवि के आधार पर जनता के बीच जायेंगे और देश में सात भाजपा शासित प्रदेशों में आये क्रांतिकारी विकास से जनता को जागरूक किया जाएगा|
उन्होंने बताया कि[१] लाडली लक्ष्मी यौजना के अंतर्गत बिना धर्म और जाति के भेद भाव किये कन्यायों को १८०००/- दिए जा रहे हैं और १८ साल होने पर १०००००/= दिए जा रहे हैं|[२]गावं से स्कूल जाने वाली छात्रा को एक साईकिल दी जा रही है[३]किसानो को जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन दिया जा रहा है|
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मेरठ शहर[वरिष्ठ] विधायक डाक्टर वाजपई ने गर्व से बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकास की द्रष्टि से भाजपा शासित राज्य गुजरात को विश्व में दूसरा और मध्य प्रदेश को ४२वा राज्य घोषित किया है |इनके अलावा किसी भी और राज्य को शामिल नहीं किया गया है|
डाक्टर वाजपई ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में भी लाडली लक्ष्मी +१८ साल पूरे होने पर एक लाख की राशि+ छात्राओं को साईकिल और किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जाएगा|

५ साल पहले ३ दिन विलंभ से सामान पहुंचाने के लिए एयर इंडिया पर ५०००० का जुर्माना

५ साल पहले ३ दिन विलंभ से सामान पहुंचाने के लिए एयर इंडिया पर ५०००० का जुर्माना

५ साल पहले ३ दिन विलंभ से सामान पहुंचाने के लिए एयर इंडिया पर ५०००० का जुर्माना

पांच साल पहले यात्री का सामान तीन दिन विलंभ से पहुंचाने पर कैरियर एयर इंडिया[Air India] को 50,000 रुपये का जुर्माना अदा करने के आदेश दिए गए हैं|
नई दिल्ली के [Consumer Forum] जिला उपभोक्ता विवाद निस्तारण फोरम ने वर्ष 2007 के एक मामले में यह फैसला सुनाया है। संध्या शर्मा नाम की एक महिला एयर इंडिया की फ्लाईट्स से नई दिल्ली से अबू धाबी गई थी।संध्या को उनका[Luggage] सामान तीन दिन बाद मिला था। फोरम ने कहा कि इससे महिला को काफी परेशानी हुई और इसके हर्जाने के रूप में एयरलाइंस उन्हें 50,000 रुपये का भुगतान करे।
उस समय एयरलाइंस द्वारा मामले को रफा दफा करने के लिए पीड़ित यात्री को 300 दिर्हम्स दिए थे, लेकिन फोरम ने इस रकम को कम माना और कहा कि इतने पैसे में कपड़ों का इंतजाम नहीं हो सकता था।
एक तरफ तो सरकार एयर लाइन्स में सुधार लाने के लिए आये दिन कमीशन बैठा कर पैसा खर्च किया जा रहा है जस्टिस धर्माधिकारी के बाद अब प्रो. ढोलकिया की रिपोर्ट भी आ चुकी है लेकिन इन्हें लागू करने की हिम्मत नहीं जुटाई जा सकी है जिसके फलस्वरूप नागरिक उड्डयन के गवर्नेंस पर प्रश्न लग रहे हैं

मन मोहन सिंह ने हवाई जहाज़ में एक हुंकार क्या भरी धरती पर मुलायम सिंह यादव के सुर बदल गए

डाक्टर मन मोहन सिंह ने हवाई जहाज़ में एक हुंकार क्या भरी धरती पर मुलायम सिंह यादव के सुर बदल गए|पी एम् ने हवाई जहाज़ में समाजवादी के समर्थन वापिसी और अपने लिए पी एम् पद की हैट्रिक बनाने के सवालों के जवाब में थोड़ा सा मुस्कुराए तो समाज वादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को कह दिया कि फिलहाल केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से समर्थन वापस लेने का और प्रधान मंत्री की रेस में भाग लेने का उनका कोई इरादा नहीं है।
मुलायम यादव ने ने दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला के समक्ष टी वी चैनल पर एक विशेष बातचीत में कहा कि वह संप्रग सरकार से समर्थन वापस नहीं लेंगे, क्योंकि साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है।
मुलायम ने कहा, ”यह (कांग्रेस को समर्थन देना) एक राजनीतिक मजबूरी है। हम साम्प्रदायिक ताकतों (भाजपा) के खिलाफ लड़ रहे हैं। जब हम साम्प्रदायिक ताकतों से अकेले लड़ रहे थे

मन मोहन सिंह ने हवाई जहाज़ में एक हुंकार क्या भरी धरती पर मुलायम सिंह यादव के सुर बदल गए

मन मोहन सिंह ने हवाई जहाज़ में एक हुंकार क्या भरी धरती पर मुलायम सिंह यादव के सुर बदल गए

मुलायम सिंह यादव का यह यु टर्न वाला बयान ऐसे समय में आया है, जब एक दिन पहले ही गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के डरबन से लौटते समय प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था कि केंद्र सरकार पूरी तरह से स्थिर है और वह अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
मुलायम ने यहां लखनऊ में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा, ”संबंधों में कड़वाहट नहीं आई है। मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री ने इस तरह का बयान क्यों दिया है। केंद्र सरकार से समर्थन वापसी को लेकर पार्टी के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी केंद्र सरकार से फिलहाल समर्थन लेने का कोई इरादा नहीं है।”
मुलायम ने कहा, ”हम समर्थन वापस लेकर सरकार क्यों गिराएं जब महज आठ-नौ महीने ही बचे हैं।”
मुलायम ने एक तरफ तो केंद्र से समर्थन वापस न लेने की बात कही, वहीं दूसरी ओर उन्होंने केंद्र सरकार को घोटालों की सरकार भी कहा के अगर समय पर वह केंद्र सरकार को नहीं बचाते तो यह सरकार कब की गिर गई होती।
उन्होंने कहा, ”सभी घोटाले केंद्र सरकार की देन हैं। चुनाव के बाद अगली सरकार बिना हमारे सहयोग की नहीं बनेगी। मैंने किसी को धोखा नहीं दिया, बल्कि हमेशा मुझे ही धोखा दिया गया है।”
मुलायम ने हालांकि इस दौरान बेनी प्रसाद वर्मा प्रकरण की याद दिलाते हुए कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा माफ़ी मांगे जाने की तारीफ भी की।
सपा सुप्रीमो ने आगे कहा, ”जब भी तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आया है, इसके गठन के बारे में किसी को भी अंदाजा नहीं रहा। यह अपने आप बना है। मैं समझता हूं कि इस बार भी ऐसा ही होगा। कई पार्टियां हमारे साथ आएंगी।”
मुलायम ने कहा, ”चुनाव बाद यदि स्थिति की मांग होती है, तो पार्टियां एकजुट हो सकती हैं और तीसरा मोर्चा बन सकता है। तीसरा मोर्चा हमेशा चुनाव बाद अस्तित्व में आया है।”

आम आदमी पार्टी के बिजली+ पानी आन्दोलन के साथ आम के साथ ख़ास[वी आई पी] भी जुड़ने लगे हैं

आम आदमी पार्टी के बिजली+ पानी आन्दोलन के साथ अब आम आदमी के साथ ख़ास लोग भी जुड़ने लगे हैं|पार्टी प्रवक्ता के अनुसार अति विशिष्ठ लोगों ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया है|अति विशिष्ठ लोगों की जारी की गई लिस्ट में निम्न लोग शामिल हैं:
[१]जस्टिस कृष्णा अय्यर [२]एडमिरल[पूर्व] रामडॉस[३]एडमिरल [पूर्व]ताहिलियानी[४] पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी जे एम् लिग्दोह[५]डा.पी एम् भार्गव [एन के सी][६]पूर्व चीफ सेक्रेटरी एम् पी एस सी बेहर[७] पुर्व चेयर मैन ऐ ई आर बी डा. ऐ के गोपाल कृष्णन[८]पूर्व पावर सचिवई ऐ एस सरमा [९]डा. बिनायक सेन [१०]एस पी उदयकुमार[११]जे एन यु के अमित भादुरी[१२] ग्रीन पीस से जुड़ी ललिता राम दास[१३] पूर्व राजदूत मधु भादुरी[१४] पीपल साईंस के रवि चोपड़ा[ १५] कमल जसवाल और प्रफ़ुल्ल|
अरविन्द केजरीवाल द्वारा छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आन्दोलन के साथ जुड़ने वाले असहयोगियों द्वारा जो

प्रपत्र साईन किया जा रहा है उसका हिंदी रुपंतार्ण इस प्रकार है

:अरविन्द केजरीवाल बिजली पानी के मुद्दों पर सविनय अवज्ञा और असहयोग आन्दोलन का आह्वान करते हुए 23 मार्च से अनिश्चितकालीन उपवास पर हैं। दिल्ली में बिजली-पानी के बिल निजी कंपनियों और सरकार की मिली-भगत से बढ़ाये गए है।
अरविन्द केजरीवाल ने दस्तावेज़ों के जरिये ये खुलासा किया भी किया है। ये कंपनियां बिजली उपकरण अपनी ही सहयोगी कंपनियों से ऊंचे दामों पर खरीद रही है और इससे होने वाले नुकसान की भरपाई लोगों के बिल बढ़ाकर की जा रही है, बिजली बिलों के भुगतान से हुई कमाई को कम करके दिखाया जा रहा है और अतिरिक्त बिजली को अपनी ही कंपनियों को कम दाम पर बेचकर बनावटी नुकसान दिखाया जा रहा है। (जानकारी के लिए :
इस अंधी लूट पर सत्ता पक्ष और निजी कंपनियों के इस भ्रष्ट गठबंधन पर विपक्ष भी बरसो से चुप्पी साधे था। इस निर्मम लूट पर अकेले पड़े आम आदमी का मनोबल बढ़ने के लिए सितम्बर में आम आदमी से आवाहन किया था कि बिजली पानी दिल्ली की जनता का है इसलिए ये नाजायज़ बिल देने बंद किये जाये.
जब इस भ्रष्टाचार को रोकने की हर कोशिश बेकार रही तो अरविन्द केजरीवाल ने असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिल्ली के लोगों से अपील की कि वो बिजली और पानी के नाजायज़ बिल तब तक न भरें जब तक बिजली और पानी की सप्लाई में हुए घोटाले की CAG से जांच न कराई जाय और बिजली के बढ़े हुए दामों को कम करके जायज़ स्तर पर नहीं लाया जाए। गाँधी जी ने कहा था कि जब नियम और कानून नाजायज़ और आम लोगों को दमन करने वाले हों तो ये जनता का अधिकार भी है और कर्तव्य भी है कि वो ऐसे नियम और कानूनों को मानने से इंकार कर दें। दिल्ली की जनता पहले ही महंगाई की मार झेल रही है और बढ़े हुए बिल चुकाने में असमर्थ हैं इसलिए उन्हें भी कानून की अवमानना के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। जनता अपने इस अधिकार का इस्तेमाल अहिंसात्मक तरीके से कर रही है और इसके नतीजे और जुर्माना भुगतने के लिए तैयार है।
इन परिस्तिथियों में हम इस असहयोग आन्दोलन को अपना समर्थन देते हैं। हम दिल्ली सरकार और सम्बंधित विभागों से मांग करते हैं कि इस आन्दोलन के जरिये सामने लाई गई बिजली और पानी के बिलों की समस्या पर ध्यान दें और उन्हें सुधारने की दिशा में तुरंत कार्यवाही करें।

पार्टी द्वारा जारीउपवासी नेता के स्वास्थ्य रिपोर्ट

के अनुसार स्वास्थय में गिरावट जारी है मगर यूरिन में कीटोन की मात्रा संतोषजनक होने से हेल्थ स्टेबल है |
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[ २९ मार्च२०१३] [२८ मार्च 2013] [ २७ मार्च २०१३]
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[१] ब्लड प्रेशर १०८/66 ======== ==== १२० /७४ ======== ११४ /७०
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[२]पल्स===========६७ === ==== =६६ ==== ७४
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[३]शुगर=========== १२३=== ===== 106 === १०८
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[४] यूरिन में कीटों[ketone] २+========== ===== =३+ === ४+
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[५]वजन ============५९ क ग ============== ====== ५९.५ क ग ======
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आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की आवाज पर दिल्ली सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वालों की संख्या पौने चार लाख हुई

आम आदमी पार्टी की मुहीम रंग लाने लगी है|पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविन्द केजरीवाल के उपवास के सातवें दिन में प्रवेश के साथ ही दिल्ली की सरकार के विरुद्ध असहयोगियों की संख्या 3,75,040. हो गई है|पार्टी प्रवक्ता ऐ, मुरलीधरण के अनुसार असहयोग केन्द्रों पर सव्यम सेवकों[वालंटीयर्स] की संख्या निरंतर बढ रही है|२६४ केन्द्रों के अलावा ३००० वालंटीयर्स ने अपने घरों को मिनी असहयोग केंद्र बनाने की घोषणा कर दी है| इन घरों में भी दिल्ली सरकार के विरुद्ध भरे जाने वाले फार्म उपलब्ध होंगे|गौरतलब है कि दिल्ली में बिजली पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि के विरुद्ध अरविन्द केजरीवाल २३ मार्च से सुन्दर नगरी में उपवास पर है|

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में वर्तमान न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे लोक तंत्र के लिए इमरजेंसी कल से भी ज्यादा घातक बताया है उन्होंने इस कॉलिजियम पध्दति की पुनरीक्षा की जरूरत पर बल दिया है|इस ब्लाग में श्री अडवाणी ने टेलपीस नही दिया है
प्रस्तुत है एल के अडवाणी के ब्लाग से एक वरिष्ठ पत्रकार की चिंता
भारत को स्वतंत्र हुए 65 से ज्यादा वर्ष हो गए हैं। यदि कोई मुझसे पूछे कि साढ़े छ: दशकों की इस अवधि में देश की सर्वाधिक बड़ी उपलब्धि क्या रही है, तो निस्संकोच मेरा जवाब होगा : लोकतंत्र।

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

एल के अडवाणी के ब्लाग से :न्यायिक नियुक्तियों सम्बन्धी कॉलिजियम पध्दति इमरजेंसी से भी ज्यादा घातक

हम गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण पर विजय नहीं पा सके हैं। लेकिन पश्चिमी विद्वानों के प्रचंड निराशावाद के विपरीत 1947 के बाद से औपनिवेशिक दासता से मुक्त होने वाले देशों में विशेष रूप से भारत जीवंत और बहुदलीय लोकतंत्र बना हुआ है।
यह भी सत्य है कि 1975-77 के आपातकाल की अवधि के दो वर्ष का कालखण्ड एक काले धब्बे की तरह है, जब कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की अन्य जरूरी विशेषताओं पर ग्रहण लग गया था।
मेरा मानना है कि 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय जिसने न केवल प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी के चुनाव को अवैध करार दिया था अपितु उनके 6 वर्षों तक कोई भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाई थी, की आड़ में सत्ता में बैठे लोगों ने हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त लोकतंत्र को ही समाप्त करने का गंभीर प्रयास किया।
पं. नेहरू द्वारा शुरू किये गये नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र नेशनल हेराल्ड ने तंजानिया जैसे अफ्रीकी देशों में लागू एकदलीय प्रणाली की प्रशंसा करते हुए एक सम्पादकीय लिखा:
जरूरी नहीं कि वेस्टमिनिस्टर मॉडल सबसे उत्तम मॉडल हो और कई अफ्रीकी देशों ने इस बात का प्रदर्शन कर दिया है कि लोकतंत्र का बाहरी स्वरूप कुछ भी हो, जनता की आवाज का महत्व बना रहेगा। एक मजबूत केन्द्र की आवश्यकता पर जोर देकर प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की शक्ति की ओर संकेत किया है। एक कमजोर केंद्र होने से देश की एकता, अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा को खतरा पहुंच सकता है। उन्होंने एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है : यदि देश की स्वतंत्रता कायम नहीं रह सकती तो लोकतंत्र कैसे कायम रह सकता है?
दो सदियों के ब्रिटिश राज में भी अभिव्यक्ति के अधिकार को इतनी निर्ममता से नहीं कुचला गया जितना कि 1975-77 के आपातकाल के दौरान। 1,10,806 लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, जिनमें 253 पत्रकार थे।
इस सबके बावजूद यदि लोकतंत्र जीवित है तो इसका श्रेय मुख्य रूप से मैं दो कारणों को दूंगा: पहला, न्यायपालिका; और दूसरा मतदाताओं को जिन्होंने 1977 में कांग्रेस पार्टी को इतनी कठोरता से दण्डित किया कि कोई भी सरकार आपातकाल के प्रावधान का दुरूपयोग करने की हिम्मत नहीं कर पाएगी जैसा कि 1975 में किया गया।
सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं, सांसदों इत्यादि को आपातकाल में मीसा-आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने वाले कानून-के तहत बंदी बना लिया गया था। इनमें जयप्रकाश नारायण के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, चन्द्रशेखरजी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता भी थे। कुल मिलाकर मीसाबंदियों की संख्या 34,988 थी। कानून के तहत मीसाबंदियों को कोई राहत नहीं मिल सकती थी।
सभी मीसाबंदियों ने अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की हुई थी। सभी स्थानों पर सरकार ने एक सी आपत्ति उठाई: आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निलम्बित हैं और इसलिए किसी बंदी को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। लगभग सभी उच्च न्यायालयों ने सरकारी आपत्ति को रद्द करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिए। सरकार ने इसके विरोध में न केवल सर्वोच्च न्यायालय में अपील की अपितु उसने इन याचिकाओं की अनुमति देने वाले न्यायाधीशों को दण्डित भी किया। अपने बंदीकाल के दौरान मैं जो डायरी लिखता था उसमें मैंने 19 न्यायाधीशों के नाम दर्ज किए हैं जिनको एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में इसलिए स्थानांतरित किया गया कि उन्होंने सरकार के खिलाफ निर्णय दिया था!
16 दिसम्बर, 1975 की मेरी डायरी के अनुसार:
सर्वोच्च न्यायालय मीसाबन्दियों के पक्ष में दिये गये उच्च न्यायालय के फैसलों के विरूध्द भारत सरकार की अपील सुनवाई कर रहा है। इसमें हमारा केस (चार सांसद जो एक संसदीय समिति की बैठक हेतु बंगलौर गए थे लेकिन उन्हें वहां बंदी बना लिया गया) भी है। न्यायमूर्ति खन्ना ने निरेन डे से पूछा कि : संविधान की धारा 21 में केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं बल्कि जिंदा रहने के अधिकार का भी उल्लेख है। क्या महान्यायवादी का यह भी अभिमत है कि चूंकि इस धारा को निलंबित कर दिया गया है और यह न्यायसंगत नहीं है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति मार डाला जाता है तो भी इसका कोई संवैधानिक इलाज नहीं है? निरेन डे ने उत्तर दिया कि : ”मेरा विवेक झकझोरता है, पर कानूनी स्थिति यही है।”
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के अधिकांश न्यायाधीशों ने बाद में स्वीकारा कि उक्त कुख्यात केस में फैसला गलत था। इनमें से कई ने सार्वजनिक रूप् से अपने विचारों को प्रकट किया।
सन् 2011 में, सर्वोच्च न्यायालय ने औपचारिक रुप से घोषित किया कि सन् 1976 में इस अदालत की संवैधानिक पीठ द्वारा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस में दिया गया निर्णय ”त्रुटिपूर्ण‘ था, चूंकि बहुमत निर्णय ”इस देश में बहुसंख्यक लोगों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है,” और यह कि न्यायमूर्ति खन्ना का असहमति वाला निर्णय देश का कानून बन गया है।
इन दिनों देश में सर्वाधिक चर्चा का विषय भ्रष्टाचार है। एक समय था जब भ्रष्टाचार की बात कार्यपालिका-राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के संदर्भ में की जाती थी। कोई भी न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बात नहीं करता था, विशेषकर उच्च न्यायपालिका के बारे में तो नही ही।
परन्तु हाल ही के वर्षों में इसमें बदलाव आया है। सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व न्यायाधीश रूमा पाल ने नवम्बर, 2011 में तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में बोलते हुए ”न्यायाधीशों के सात घातक पापों” को गिनाया। इनमें भ्रष्टाचार भी एक था।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि यह मानना कि आजकल न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, भी ”न्यायपालिका की स्वतंत्रता की विश्वसनीयता के लिए उतना ही हानिकारक है जितना कि भ्रष्टाचार।”
मैं अक्सर इस पर आश्चर्य व्यक्त करता हूं कि यदि जून 1975 जैसी स्थिति आज देखने को मिले तो न्यायपालिका की प्रतिक्रिया कैसी होगी। क्या उच्च न्यायालयों के कम से कम 19 न्यायाधीश मीसाबंदियों के पक्ष में निर्णय कर कार्यपालिका की नाराजगी मोल लेने का साहस जुटा पाएंगे? सचमुच में मुझे संदेह है।
कालान्तर में, चयनित न्यायाधीशों के स्तर के सम्बन्ध में काफी बदलाव आया है जब रूमा पाल ने न्यायाधीशों के सात पापों के बारे में बोला तो, स्वयं एक सम्मानित न्यायविद् होने के नाते उन्होंने अपने भाषण में जानबूझकर यह चेतावनी जोड़ी कि वह ”सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित” होकर बोल रही हैं।
वर्तमान में, न्यायिक नियुक्तियों और न्यायाधीशों के तबादले – भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की एक समिति जिसे ‘कॉलिजियम‘ कहा जाता है, द्वारा किए जाते हैं। इस कॉलिजियम प्रणाली की जड़ें तीन न्यायिक फैसलों (1993, 1994 और 1998) में निहित हैं। इनमें से पहला और दूसरा निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा ने दिया। फ्रंटलाइन पत्रिका (10 अक्तूबर, 2008) को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा ”सन् 1993 का मेरा निर्णय जिसका हवाला दिया जाता है को बहुत ज्यादा गलत समझा गया, दुरूपयोग किया गया। यह उस संदर्भ में कहा गया कि कुछ समय से निर्णयों की कार्यपध्दति के बारे में जो गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं उन्हें गलत नहीं कहा जा सकता। इसलिए पुनर्विचार जैसा कुछ होना चाहिए।”
सन् 2008 में, विधि आयोग ने अपनी 214वीं रिपोर्ट में विभिन्न देशों की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए कहा: ”अन्य सभी संविधानों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में या तो कार्यपालिका एकमात्र प्राधिकरण्ा है या कार्यपालिका मुख्य न्यायाधीशों की सलाह से न्यायधीशों की नियुक्ति करती है। भारतीय संविधान दूसरी प्रणाली का अवलम्बन करता है। हालांकि, दूसरा निर्णय कार्यपालिका को पूर्णतया विलोपित अथवा बाहर करता है।”
‘फ्रंटलाइन‘ में प्रकाशित न्यायमूर्ति वर्मा के साक्षात्कार को उदृत करते हुए विधि आयोग लिखता है: ”भारतीय संविधान अनुच्छेद 124 (2) और 217(1) के तहत नियंत्रण और संतुलन की सुंदर पध्दति का प्रावधान करता है कि सर्वोच्च न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका और न्यायपालिका की संतुलित भूमिका का उल्लेख है। यही समय है कि अधिकारों के संतुलन का वास्तविक स्वरुप पुर्नस्थापित किया जाए।”
हम, विश्व का सर्वाधिक बड़ा लोकतंत्र हैं जिसमें स्वाभाविक रुप से आशा की जाती है कि कम से कम उच्च न्यायिक पदों से जुड़ी नियुक्तियां पारदर्शी, निष्पक्ष और योग्यता आधारित पध्दति से हों। तारकुण्डे स्मृति व्याख्यानमाला में न्यायमूर्ति रुमा पाल ने टिप्पणी की कि ”सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया देश में सर्वाधिक रुप में गुप्त रखे जाने वाला विषय है।”
उन्होंने कहा कि ”इस प्रक्रिया की ‘रहस्यात्मकता‘ जिस छोटे से समूह से यह चयन किया जाता है और बरती जाने वाली ‘गुप्तता और गोपनीयता‘ सुनिश्चित करती है कि ‘अवसरों पर प्रक्रिया में गलत नियुक्तियां हो जाती हैं और इससे ज्यादा अपने आप को भाईभतीजावाद में फंसा देती हैं।”
वे कहती हैं कि एक अविवेकपूर्ण टिप्पणी या अनायास अफवाह ही पद के लिए किसी व्यक्ति की दृष्टव्य सुयोग्यता को बाहर कर सकती है। उनके अनुसार मित्रता और एहसान कभी-कभी अनुशंसाओं को सार्थक बना देते हैं।

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

उपवास के छठे दिन आज आप पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि सरकार के भय को दिल्ली वालों के दिल से समाप्त किये बगैर वोह चैन से नहीं बैठेंगे|उन्होंने समर्थकों को एड्रेस करते हुए कहा कि जब सच्चे दिल से आवाज निकलती है तो अपने आप घर घर हर दिल तक पहुँच जाती है| मेरा दिल कहता है देश जरुर बदलेगा |
सुन्दर नगरी में उपवास पर बैठे आप के नेता अरविन्द केजरीवाल ने आज भाजपा और कांग्रेस पर भी निशाना साधा उन्होंने कहा कि ये दोनों पार्टियां बदलाव की बयार से परेशान हैं|अभी तक ये दल बाहु बल और मनी के बल पर चुनाव जीत कर आते रहे हैं लेकिन अब एक तरह का चुनाव होगा|और यह चुनाव महज चुनाव नहीं बल्कि क्रांति होगी|

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

दिल कहता है कि देश जरुर बदलेगा और यह आवाज दिलों तक पहुंचेगी :अरविन्द केजरीवाल

इस अवसर पर किसान नेता गुरनाम सिंह ने बताया कि हरियाणा में किसानो ने बिजली १४ साल से बिजली के बिल देने बंद कर रखे हैं|मनीष शिशोदिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में ८०० गावों ने बिजली के बिलों को देना बंद किया हुआ है| इन नेताओं ने दिल्ली के नागरिकों को भी एक जुट होकर बिजली पानी के अनाप शनाप बिलों को नहीं देने को प्रेरित किया |
आप के प्रवक्ता के अनुसार होली के बाद कार्यकर्ताओं ने और जोशो खरोश से जन संपर्क अभियान तेज कर दिया है| नार्थ वेस्ट के मुन्द्का में ट्रेक्टर पर ओसतन २५० समर्थक प्रति दिनके हिसाब से जुटाए जा रहे हैं| करावल में एक पोलिस कांस्टेबिल ने आन्दोलन के लिए लगातार दो दिन कार्य करने का ऐलान किया | बताया गया है कि ७००० कार्यकर्ताओं द्वारा पूरी दिल्ली में जन संपर्क में जुटे हैं इनके अलावा पड़ोसी राज्यों से भी स्वयम सेवक आने लग गए हैं|अभी तक इनकी संख्या ५०० बताई गई है|

पोलिस ने आज होली मनाई

पोलिस ने आज होली मनाई

पोलिस ने आज होली मनाई

मेरठ की पोलिस ने आज होली मनाई दरअसल होली पर पोलिस वाले कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए त्यौहार में भी ड्यूटी पर होते है इसीलिए होली के अगले दिन अर्थात आज होली मानी गई|प्रस्तुत है महिला थाना आदि में मनाई गई होली के कुछ द्रश्य

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट HEALTH OF ARVIND KEJRIWAL DETERIORATED

आम आदमी पार्टी[आप ] के सर्वोच्च नेता के उपवास का छठा दिन है आज सुबह के हेल्थ बुलेटिन में डाक्टरों की टीम ने उपवास पर बैठे नेता के हेल्थ की जांच की | आप के नेता के स्वास्थ्य में गिरावट नोट की| शुगर+किटों और पल्स में बीते दिन के मुकाबिले आज सुबह गिरावट दर्ज़ की गई है| पार्टी का दावा है के बेशक अरविन्द केजरीवाल का स्वास्थ्य गिर रहा है मगर भ्रस्टाचार के विरुद्ध लड़ाई के लिए उनका हौंसला बुलंद है और उनके असहयोग आन्दोलन के साथ जुड़ने वालों की संख्या में लगातार बढोत्तरी हो रही है| बीते दिन का रिकार्ड २.६९ ४२३ है|पार्टी के दावे के अनुसार दिल्ली के निवासियों का सरकार के विरुद्ध अब जुड़ना शुरू हो गया है और यही इस उपवास का उद्देश्य भी है|

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट

अरविन्द केजरीवाल के उपवास के छठे दिन स्वास्थ्य गिरा : पल्स रेट में गिरावट

28 march 2013 27march २०१३
[१] ब्लड प्रेशर ========१२० /७४ ======== ११४ /७०
[२]पल्स==============६६ ७४
[३]शुगर==============१०६ =१०८
[४] यूरिन में कीटोंKetone==3+ ==============4+
[५]वजन ============================५९.५ के जी