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Category: Religion

विचारों की शक्ति को पहचानों और दूसरों का बुरा विचारने की प्रवृति का त्याग करो

विचारों की शक्ति
हम लोग यह नहीं जानते कि विचार कितने शक्तिशाली होते हैं । इससे सम्बन्धित राजा अकबर और बीरबल की एक स्मरणीय कहानी है – एक बार अकबर के मंत्री बीरबल ने चाह कि राज को सिद्ध करके दिखाए कि विचार कितने शक्तिशाली होते हैं, अतः उसने राजा से कहा कि जब अमुक व्यक्ति उनकी ओर आये तो वे (राजा) उस आदमी के बारे में बुरा सोचते रहें । राजा ने बीरबल की बात मानी और मन ही मन अपनी ओर आते व्यक्ति के बारे में बुरा सोचते रहे । जब वह व्यक्ति पास आया तो राज ने पूछा , ” जब तुमने मुझे पहली बार देखा , तो तुमने क्या सोचा ?” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया , ” अचानक मेरे मन में बहुत जबरदस्त ख्याल आया कि मैं आप के ऊपर प्रहार करूँ । ” उस इन्सान द्वारा ऐसा सोचने की कोई वजह नहीं थी , पर उसके प्रति राजा के हिंसक विचारों का असर अनजाने में उस पर पड़ा और उसने वैसी ही प्रतिक्रिया की ।
हमारी भावनाएं केवल दूसरों को ही नुकसान नहीं पहुंचाती , बल्कि अंत में हमारा अपना नुकसान भी कर सकती हैं । जो समय हम दूसरों का बुरा सोचने में लगाते हैं , वह ऐसा समय है जब हम स्वयं को मिले बेशकीमती साँस बर्बाद करते हैं । दूसरों की आलोचना में लगाया गया समय हमें प्रभु से मिलने के हमारे लक्ष्य को दूर कर देता है । सर्वप्रथम , अगर हम दूसरों का बुरा सोचते हैं , तो हम ध्यानाभ्यास में ध्यान नहीं टिका पाते हैं । दुसरे वो विचार हमारे साथ दिन भर रहेंगे , मन में खटकते रहेंगे । तीसरे, हम नए कर्म पैदा करते हैं , जिनका फल हमें अवश्य भुगतना होता है और आखिर में, हम प्रभु की एक संतान के प्रति प्रेम से खाली हो जाते हैं। प्रभु हमसे कैसे खुश होगा जब हम उसके किसी बच्चे के बारे में बुरा सोचेंगे ?
विचारों की शक्ति,
अकबर बीरबल की रोचक कहानी ,
प्रस्तुती राकेश खुराना

एस ऐ डी के ओंकार सिंह थापर के भाई की पत्नि का देहांत

शिरोमणि अकाली दल [बादल]के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमिटी के कर्मठ सदस्य ओंकार सिंह थापर के छोटे भाई बलविंदर सिंह थापर की धर्मपत्नि बीबी अमृत कौर आज अकाल चलाना[ Death ] कर गए| इनका अंतिम संस्कार सुभाष नगर के बेरी वाले बाग़ स्थित श्मशान घात पर किया गया दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने गुरु के चरणों में अरदास की | | अध्यक्ष मंजीत सिंह+ वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर सिंह+एस ऐ डी के राष्ट्रीय महासचिव अवतार सिंह हित+ विधायक जगदीश मुखी+आदि बड़ी संख्या में छेत्र वासिओं ने श्रधान्जली अर्पित की

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एन डी एम् सी को राजनीतिक षड्यंत्र नहीं रचने के लिए चेतावनी दी है

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी[ DSGMC ] ने आज न्यू दिल्ली म्युनिसिपल कमेटी[एन डी एम् सी ]को गुरुद्वारे रकाब गंज में प्रस्तावित १९८४ कत्ले आम यादगार के विरुद्ध राजनीतिक षड्यंत्र नहीं रचने के लिए चेतावनी दी है|
एन डी एम् सी के दूसरे नोटिस के जवाब में आज डी एस जी एम् सी [ DSGMC ]ने कहा है कि एन डी एम् सी के पहले नोटिस का जवाब १० जून को ही दिया चुका है|इसके अलावा इससे सम्बंधित तथ्य दिल्ली उच्च न्यायलय में भी प्रस्तुत किये जा चुके हैं|स्मारक को रोकने के लिए की जा रही तमाम शिकायतें घटिया राजनीति से प्रेरित हैं और धार्मिक कार्यों में सीधे दखलंदाजी है|
इन तमाम राजनीती से प्रेरित शिकायतों की आड़ में जो स्मारक को रोकने का षड्यंत्र रचा जा रहा है उसे तत्काल बंद कर देना चाहिए और वी आई पी भवन+गुरुद्वारा रकाब गंज में मौजूदा अवैध निर्माणों को ढाने में एनेर्जी लगाएं|कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह के अनुसार अभी तक कोई निर्माण कार्य प्रारम्भ नही किया गया है केवल मुख्य मंत्री के नाम का शिला पट्ट ही बदला गया है|
कमेटी प्रधान के अनुसार गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में स्थित २५००० वर्ग फीट के पुराने ढाँचे को गिरा कर १९८४ सिख अत्लेआम यादगार बनाया जाना है|१९८४ में १५००० सिख मारे गएथे|इस निर्माण के लिए सभी कायदे कानून का पालन किया जाएगा लेकिन दिल्ली और केंद्र की सरकार इसमें अडचने पैदा करके सिखों के जख्मो पर नमक छिड़क रही है|इसीलिए एन डी एम् सी को दायरे में रह कर कार्य करने की चेतावनी दी गई है|
इस नोटिस को लेकर यह भी आरोप लगाया गया है कि एन डी एम् सी ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को कत्ले आम यादगार के निर्माण को रोकने के लिए कहा है |इस बाबत नोटिस आज मिला हैजबकि इस की सूचना पहले ही लीक की जा चुकी है|

गुरु हरि कृषण पोली क्लिनिक के जांच शिविरों में ११७६ चश्मे,२४२ कान की मशीने वितरित की गई

गुरुद्वारा बंगला साहब और गुरुद्वारे सिंह सभा कल्याण पुरी में आज ३ विशेष स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किया गया|इसमें निशुल्क ११७६ चश्मे और २४२ कान की मशीने वितरित किये गए
गुरु हरिकृषण पोली क्लिनिक बंगला साहब के चेयर मैन दर्शन सिंह [दिल्ली कमेटी सदस्य] के कुशल न्रेतत्व में आयोजित इन शिविरों में गुरुद्वारा बंगला साहब में आँख और कान के क्रमश ५७६ और १७२ रोगियो को निशुल्क चश्मे तथा कान की मशीने वितरित की गई|कल्याण पुरी में मधुमेह +ब्लड प्रेशर+ जोड़ों के सैकड़ों रोगियो का इलाज एक्वाअप्रेशर पद्धति से किया गया|तीसरे कैम्प में ६०० चश्मे और ७० कान की मशीने वितरित की गई|इस अवसर पर चेयर मैन दर्शन सिंह ने कहा कि गुरु साहब ने हमें समाज सेवा के लिए जो हुक्म दिया है उसका पालन करते हुए दिल्ली कमिटी द्वारा यह कैम्प लगाये जा रहे हैं|

परमात्मा के नाम रुपी अमृत को चखने से चौरासी लाख जियाजून के चक्कर से निकला जा सकता है

ता कउ बिघनु न कोऊ लागै जो सतिगुरु अपुनै राखे ।
चरण कमल बसे रिद अंतरि अम्रित हरि रसु चाखे ।
भाव: गुरु अर्जन देव जी फरमा रहे हैं , जिसको सतगुरु ने अपना बनाकर रख लिया है उसे कोई विघ्न नहीं आ सकता , उसे कोई भी फ़िक्र नहीं हो सकती । उसके अन्दर परमात्मा के चरण कमल बसे हुए हैं , वह अपने परमात्मा के नाम रुपी अमृत को चखता है अर्थात जब हम उस नाम रुपी रस को चखते हैं , तब ही हम चौरासी लाख जियाजून के चक्कर से निकल पाते हैं अन्यथा हमारी आत्मा एक चोला छोड़ेगी , उसे दूसरा चोला मिलेगा इसी तरह यह क्रम चलता रहेगा । हमारी आत्मा सृष्टि की शुरुआत से ही भटक रही है । जब सतगुरु की हमारे ऊपर मेहर होती है तो वह अपने अन्दर बसे हुए परमात्मा की ओर खींचता है और जब हम परमात्मा की ओर खिंचे चले जाते हैं और उस शब्द के साथ जुड़ते चले जाते हैं , हमारे कर्म कटने शुरू हो जाते हैं और हम चौरासी लाख के जियाजून के चक्कर से निकलना शुरू हो जाते हैं ।
वाणी : गुरु अर्जन देव जी ,
प्रस्तुति राकेश खुराना

अकाली दल बादल के उपाध्यक्ष जत्थेदार ओंकार सिंह थापर को सरोपा भेंट करके दीर्घायु होने की अरदास की गई

शिरोमणि अकाली दल[बादल]के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वरिष्ठ सदस्य जत्थेदार ओंकार सिंह थापर को आज उनके ६०वे जन्म दिन पर सरोपा भेंट करके दीर्घायु होने की अरदास की गई|
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार मंजीत सिंह+वरिष्ठ उपप्रधान रविन्द्र सिंह खुराना +कुलवंत सिंह बाठ+अमरजीत सिंह पप्पू+गुरमीत सिंह मीता + आदि समाज सेवियों ने ओंकार सिंह थापर को हार्दिक वधाइयां दी

पंथ विरोधी कार्यवाही के लिए परमजीत सिंह सरना के विरुद्ध श्री अकाल तख़्त में भी फरयाद

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी[ DSGMC ] के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह हित और वरिष्ठ अकाली नेता कुलदीप सिंह भोगल[अखिल भारतीय १९८४ दंगा पीड़ित राहत कमिटी] ने सिखों की सर्वोच्च न्यायलय श्री अकाल तख्त साहब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से मुलाकात की और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के पूर्व अध्यक्ष परम जीत सिंह सरना के विरुद्ध पंथक नियमों के अंतर्गत कार्यवाही की मांग की है| ज्ञानी जी ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है| ज्ञानी गुरबचन सिंह से मुलाक़ात के पश्चात अमृतसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए इन्होने बताया के सरना पलायन वादी मानसिकता के अंतर्गत पंथ विरोधी कार्य कर रहे हैं| यहाँ तक की अकाल तख़्त के तलब किये जाने पर भी सरना यहाँ हाजरी भरने नही आये|
सरना ने ही बाला साहब और गुरुद्वारा बँगला साहब [नवम्बर २००९+२०१०+२०११] में १९८४ में मारे गए सिखों की आत्मा की शांति के लिए बुकिंग के पश्चात भी अखंड पाठ नही रखने दिया | मार्च २०१२ में बी एल कपूर को कब्जा देने के समय गोली और आंसू गेस तक चलवाए गए और अखंड पथ को खंडित किया गया|इन सभी आरोपों को संज्ञान में लेकर सरना के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की गई है|इन्होने बताया के श्री अकाल तख़्त के जत्थेदार ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है|

१९८४ के सिख कत्लेआम के पीड़ित परिवारों ने आज परमजीत सिंह सरना के निवास के बाहर प्रदर्शन किया और पुतला फूँका

जस्टिस फार विक्टिम्स की प्रमुख बीबी निरप्रीत कौर ने आज १९८४ के सिख कत्लेआम के पीड़ित परिवारों के साथ दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना के निवास के बाहर धरना +प्रदर्शन किया और सरना का पुतला फूँका|

 १९८४ के सिख कत्लेआम के पीड़ित परिवारों ने आज परमजीत सिंह सरना के निवास के बाहर प्रदर्शन किया और पुतला फूँका

१९८४ के सिख कत्लेआम के पीड़ित परिवारों ने आज परमजीत सिंह सरना के निवास के बाहर प्रदर्शन किया और पुतला फूँका

पंजाबी बाग़ रिंग रोड पर सरना का पुतला फूंकते समय ट्रेफिक जाम की स्थिति रही|इस अवसर पर बीबी निरप्रीत कौर ने कहा कि १९८४ में सिखों ने संताप झेला है इसका न्याय नहीं मिला है २९ साल बाद इसके जख्म आज भी ज़िंदा हैं| उन्होंने बताया कि न्याय तो दूर रहा पीड़ितों की यादगार बनाने के लिए दिल्ली कि सरकार ने जमीन तक देने से इनकार का दिया|इस कारण अब गुरुद्वारा रकाब गंज परिसर में मेमोरियल बनाने का निर्णय लिया गया है तो पूर्व अध्यक्ष सरना अपने राजनीतिक फायदे के लिए ना केवल इसका विरोध कर रहे हैं वरन कांग्रेस सरकार के इशारों पर उच्च नयायालय में गलत हलफ नाम तक डाल रहे हैं| सरना ने कहा है कि १९८४ के दंगों को सिख भूल चुके हैं और सिखों को शहीद का दर्जा नही दिया गया है|
इस पर प्रति प्रश्न उठाते हुए कौर ने पूछा है कि अगर १९८४ के कत्लेआम में मारे गए सिख शहीद नही थे तो क्या सरना के दामाद[पोंटी चड्डा] शहीद हैं जो सारी उम्र शराब का व्यवसाय करते रहे और पारिवारिक संपत्ति के विवाद में मारे गए|

रूहानियत के लिए अहिंसा आवश्यक है

रूहानियत के लिए अहिंसा की आवश्यकता
जो लोग रूहानी रास्ते पर चलते हैं , उन्हें कई कारणों से अहिंसा अपनाने की जरुरत होती है । एक कारण है – कर्मों का विधान । इस विधान के अनुसार हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । जो भी हम करते हैं , वह हमारे कर्मों के खाते में लिख दिया जाता है । यदि हम किसी को चोट पहुंचाते हैं , तो हमें अवश्य ही उसका भुगतान करना होता है , चाहे ऐसा मौजूदा जिंदगी में हो या फिर अगली में । दूसरे किस्म के जीवों के प्रति हिंसा करना भी प्रभु की सृष्टि में दखल अंदाजी करना है । हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि प्रभु हमें रूहानी मंडलों में जाने की अनुमति दे देगा , अगर हम उसकी संतानों से दुर्व्यवहार करेंगे । हम निम्नतर जीवों के प्रति हिंसा करेंगे , उन्हें बेकार का जीव समझेंगे ,प्रभु ने हर जीव को बनाया है । उसके लिए सभी उसके बच्चे हैं । अगर हम अपने बच्चों के लिए प्रेम महसूस करते हैं तो प्रभु कितना अधिक महसूस करता होगा जिसने उन्हें बनाया है । इसलिए हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम उन उच्च आदर्शों का पालन करें जिसके लिए प्रभु ने हमें बनाया है ।
प्रस्तुती राकेश खुराना

कहत कबीर सुनो भाई साधो , होनी होके रही

कर्मों के विधान से कोई भी नहीं बच नहीं सका। एक पौराणिक आख्यान के माध्यम से कबीर दास जी हमें समझाते हैं :-
राहु केतु औ भानु चंद्रमा , विधि संयोग परी ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो , होनी होके रही ।
कबीर दास जी फरमाते हैं कि जो राहु और केतु हैं उनका ग्रहण भानु और चंद्रमा को लगता है । उसकी कहानी इस प्रकार है – समुद्र मंथन हो रहा था । उसमें से अमृत , शराब और जहर तीनों ही निकले । जो देवता थे उन्होंने सोचा कि हम अमृत पीयें और शराब राक्षसों को पिलायें , विष तो महादेव जी ने पी लिया था । देवताओं ने अमृत पीना शुरू कर दिया तो एक राक्षस जिसका नाम राहु था, उसको मालुम हो गया । उसने अपना भेष बदला और देवताओं की पंक्ति मेंजाकर बैठ गया । उसने अमृत पीया , अमृत अभी मुंह में ही था , गले के नीचे भी नहीं उतरा था कि भगवान विष्णु को पता चल गया , भगवान विष्णु ने तुरंत उसका सिर काट दिया । अब जो सिर कटा हुआ है उसको केतु बोलते हैं और जो नीचे का धड़ है , उसको राहु बोलते है। चंद्रमा और सूर्य ने यह बात भगवान विष्णु को बताई थी । चंद्रमा और सूर्य को कुछ – कुछ समय बाद जो ग्रहण लगता है , राहु और केतु ही उसका निमित्त होते हैं । इस दोहे का कोई सम्बन्ध जे दी यूं और भाजपा के गठबंधन से नही है|
संत कबीर दास जी,
प्रस्तुति राकेश खुराना