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Category: Pakistan

B J P Again Criticized weak kneed policy of Center against terrorism and Opposed Talk Diplomacy With Pakistan

B J P Again Criticized weak kneed policy of Center against terrorism and Opposed Talk Diplomacy With Pakistan Bhartiya Janata Party[ B J P ]strongly condemned the terrorist attack launched today on the police and security forces in Jammu region. Criticized weak kneed policy of Center against terrorism and demanded that meeting of the Prime Minister Dr. Manmohan Singh with his Pakistani counterpart at New York should have been called off.
B J P President Raj Nath Singh said “These terror strikes on Indian soil are carried out by anti- India forces operating from Pakistan. Since the incumbent UPA government has been pursuing a weak kneed policy against terrorism for the past many years, the terrorists have been emboldened to strike anywhere in India, almost at will.
Contrary to the Prime Minister Dr. Manmohan Singh’s belief there is no signs of improvement on the ground in Pakistan as the ISI and Pakistan army continue to play its active role in destabilising India’s internal and external security.
Let the newly elected government led by Miyan Nawaz Sharif be given some time to prepare the ground for talks by taking strong action anti- India forces operating from Pakistan. Therefore the scheduled meeting of the Prime Minister Dr. Manmohan Singh with his Pakistani counterpart at New York later this week should have been immediately be called off.
As per media reports the Prime Minister has shown no indication to cancel his appointment with Pakistan PM. Ever since the UPA government has come to power it has adopted a compromising Pakistan policy. Be it ‘ Havana Declaration’ or the ‘Sharm al Sheikh’ fiasco the UPA govt has considerably weakened India’s position in Indo-Pak bilateral relations.
When the NDA was in power we had engaged Pakistan from a position of strength and achieved the ‘Islamabad Declaration’ in which Pakistan promised to us that terrorist activities would not be carried out from Pakistani soil. The UPA government has lost that diplomatic edge. Pakistan should be pursued compelled to implement ‘ Islamabad Declaration’ signed on January 6, 2004 before initiating any meaningful dialogue.
Pursuing a spineless diplomacy at this juncture will present India as a ‘soft state’ which could be pushed around by any big or small country. The Prime Minister and the UPA government seems to be in a hurry to initiate dialogue with Pakistan. It also gives an impression as if he is motivated by certain conservative political motive instead of safeguarding our national interest. The BJP believes that there should be no talks with Pakistan unless the environment is conducive for dialogue.

डॉ मनमोहन सिंह ने जम्‍मू- कश्‍मीर के कठुआ सांबा क्षेत्र में हीरानगर पोलिस थाने और रसद सेना के शिविर पर आतंकी हमले की कड़ी निंदा की

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने जम्‍मू कश्‍मीर के कठुआ सांबा क्षेत्र में हीरानगर थाने और रसद सेना के शिविर पर आज सवेरे हुए आतंकी हमले की निंदा की है।
उन्‍होंने कहा कि इस जघन्‍य आक्रमण की जितनी भी निंदा की जाए, उतनी कम है। उन्‍होंने इस कायरतापूर्ण हमले में शहीद हुए निर्दोष लोगों और बहादुर सेना तथा पुलिस के अधिकारियों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्‍यक्‍त की है। पी एम् ने कहा कि यह शांति के दुश्‍मनों द्वारा उत्‍तेजना और पाश्विक कार्य की एक और कड़ी है। हम आतंकवादी हमले का मुकाबला करने और उसे परास्‍त करने के लिए दृढ़संकल्‍प है, जो सीमा पार से प्रोत्‍साहन प्राप्‍त करना जारी रखे हुए है। इस प्रकार के आक्रमण हमें रोक नहीं पाएंगे और बातचीत की प्रक्रिया के जरिये सभी समस्‍याओं का समाधान ढूंढ़ने के हमारे प्रयासों को विफल करने में सफल नहीं होंगे। डॉ सिंह वर्तमान में अमेरिका दौरे पर गए हुए हैं वहां उन्होंने पाकिस्तान के अपने समकक्ष से शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की भी करने की घोषणा की हुई है|

रक्षा मंत्री श्री ए. के. एंटनी

ने भी आज जम्‍मू में आतंकवादियों द्वारा भारतीय सुरक्षा चौकियों पर किए गए कायरतापूर्ण हमले की निंदा की है।
श्री एंटनी ने इस घिनौने हमले में शहीद हुए अधिकारियों और जवानों के परिवार वालों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्‍यक्‍त की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सुरक्षा व्‍यवस्‍था आतंकवादियों से कठोरता से निपटने में कोई कोर कसर नंही छोड़ेगी।
[File]photo caption
Dr. Manmohan Singh arrives at the Frankfurt International Airport, on his way to New York to attend the 68th Session of the United Nations General Assembly,

पी आई ऐ के नीजिकरण के लिए सरकारी दौड़ आधी अधूरी ही साबित और अच्छा खासा एस्केलेटर बेचारी बैसाखियों का स्वरूप ले सकता है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्ला

भरतीय सिविल एविएशन मंत्रालय का एक चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा आप लोग ख्वाहमखाह हसाड़े सोणे मन मोहणे पी एम् की सुधारात्मक नीतियों के पीछे हाथ धो कर पड़े रहते हो अब वेखो पड़ोसी मुल्क पकिस्तान के प्रधान मंत्री जनाब नवाज शरीफ और सुधार मंत्री प्रोफ. एहसान इकबाल ने वहां की नेशनल कैरियर को टैक्स पेयर्स की गाढे की कमाई कोहवा में उड़ाने पर पाबंदी लगाने की बात कह दी है और एयर लाइन्स [PIA ]के २६% निजीकरण लिए ढोंडी पीट दी है| इससे केवल पी आई ऐ को ही सालाना ३६ बिलियन रुपयों की बचत होगी |

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी बेशक ये नीजिकरण का मंत्र विकास और सुधारों के लिए एस्केलेटर [लिफ्ट] का काम कर सकता है लेकिन वड्डे काह गए हैं के विट्ठुओं[बिच्छु] के बिल में हाथ डालने से पहले सांप को पकड़ने का मंत्र सीखना जरुरी होता है| अब देखो [१]इस एयर लाइन्स में ही ५८० स्टाफ फालतू बताया जा रहा है [२]६००० कर्मियों के बोझ के लिए पुराणी पी पी पी सरकार को निशाना बनाया जा रहा है|ऐसे में इन समस्यायों का समाधान निकालने से पहले नीजिकरण के लिए दौड़ आधी अधूरी ही साबित होगीऔर एस्केलेटर बैसाखियों का स्वरूप ले लेगी|

Pakistan Is also Ready to Run for development with the crutches Of Privatization Of 26% P I A

Pakistan Is,Now, also Ready to Run for development with the crutches Of Privatization Of P I A . Nebouring Country Pakistan is also on the track of privatisation . To begin with ailing national carrier Pakistan International Airlines [ PIA ] has been selected .As per Federal Minister for Planning, Development and Reforms Prof Ahsan Iqbal This privatization may save 36 billion Rs annually to the ailing national carrier.Pakistan’s Prime Minister Nawaz Sharif today [Thursday] gave the go ahead for 26 % of ailing national carrier PIA it is expected that this move may boost the quality of the airline. The decision came a day after Sharif chaired a special cabinet meeting which also focused on the loss-making Pakistan International Airlines
Earlier this week, PIA had announced that flights to and from India by over 60 % will be reduced.The Nation has quoted the minister[1] “He made it clear that government would not provide any further financial assistance to PIA in future from the taxpayers’ money”[2]that every aircraft has about 700 staffers as compared to 120 member staff in other international airlines. Terming the previous government responsible, The national airline has faced huge losses during last PPP-led coalition government tenure when it restored its 6,000 employees with their previous dues, besides inducting new employees in its five years tenure.

प्रधानमंत्री ने लाल कि‍ले की प्राचीर से दस बार भाइयो -बहनों का संबोधन दोहराया और दस साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh performing parikrama at the Samadhi of Mahatma Gandhi, at Rajghat on the occasion of the 67th Independence Day, in Delhi on August 15, 2013.

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh performing parikrama at the Samadhi of Mahatma Gandhi, at Rajghat on the occasion of the 67th Independence Day, in Delhi on August 15, 2013.

प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह ने आज स्‍वतंत्रता दि‍वस 2013 के अवसर पर लाल कि‍ले की प्राचीर से देश को संबोधि‍त कि‍या । इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने दस बार भाइयो -बहनों का संबोधन दोहराया और अपने दस साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया|उन्होंने उतराखंड+पनडुब्बी दुर्घटना+पर दुःख व्यक्त किया और बिहार की घटना की पुनरावृति नही होने की कामना भी की| प्रस्तुत है प्रधान मंत्री का संबोधन
“मेरे प्यारे भारतवासियो,
भाइयो-बहनो और प्यारे बच्चो,
मैं आप सभी को इस स्वाधीनता दिवस पर बधाई देता हूँ। आज यकीनन ही खुशी का दिन है। लेकिन आज़ादी के इस त्यौहार पर हमारे दिलों में इस बात का दर्द भी है कि उत्तराखण्ड के हमारे भाई-बहनों को करीब दो महीने पहले भारी तबाही का सामना करना पड़ा। हमारी संवेदना और सहानुभूति उन सभी परिवारों के साथ है जिनको जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा । मैं आज उत्तराखण्ड की जनता को यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस मुश्किल की घड़ी में सारा देश उनके साथ है। हमारी सरकार जल्द से जल्द लोगों के उजड़े हुए घर दोबारा बसाने और बर्बाद हुए Infrastructure को फिर से बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है।
उत्तराखण्ड में कठिन परिस्थितियों में हमारी फौज़, अर्धसैनिक बलों और केन्द्र और राज्य सरकार के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों ने आम लोगों के साथ मिलकर, घिरे हुए लोगों को राहत पहुंचाने का जो काम किया, वह तारीफ के काबिल है। हम ख़ास तौर पर Air Force, ITBP और NDRF के उन अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने दूसरों को बचाने में अपनी जान कुर्बान कर दी।
हमें इस बात का भी बेहद अफसोस है कि कल एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी INS Sindhurakshak को खो दिया। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के शहीद होने की आशंका है। यह नुकसान इसलिए और भी दर्दनाक है क्योंकि अभी हाल में हमारी Navy ने अपनी पहली Nuclear पनडुब्बी Arihant और Aircraft Carrier, INS Vikrant के रूप में दो बड़ी कामयाबियां हासिल की थीं।
हम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। साथ-साथ Navy की सफलताओं के लिए उन्हें मुबारकबाद भी देते हैं।
भाइयो और बहनो,
1947 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में हमने आज़ादी हासिल की। उसके बाद के अपने सफर पर अगर हम ग़ौर करें तो पाएंगे कि हर दस साल पर हमारे देश में बड़े बदलाव आए हैं।
1950 के दशक में पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नेतृत्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत ने अपने पहले कदम रखे। देश में Atomic Energy Commission, योजना आयोग और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई जिन्होंने आगे चलकर राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान दिया। पहली बार आम चुनाव कराए गए और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए पहली पंचवर्षीय योजना बनाने का सिलसिला शुरू किया गया।
1960 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने नए-नए उद्योग और कारखाने लगवाए, नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू की और नए विश्वविद्यालय खोले। राष्ट्र निर्माण में विज्ञान और Technology के महत्व पर ज़ोर देकर उन्होंने इस प्राचीन देश को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया।
1970 के दशक में इंदिरा जी ने हमारे राष्ट्र का आत्मविश्वास बढ़ाया। इस दौरान हमने अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह छोड़ा। हरित क्रांति ने पहली बार हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्रदान की।
राजीव गांधी जी ने अगले दशक में तकनीकी और आर्थिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान Information Technology के क्षेत्र में हमारी प्रगति की नींव रखी गई।
पंचायती राज संस्थाओं के महत्व पर ज़ोर दिया गया जिसकी वजह से आगे चलकर इन संस्थाओं को मज़बूत और अधिकार संपन्न बनाने के लिए हमारे संविधान में संशोधन हुआ।
साल 1991 में हमने श्री नरसिम्हा राव जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़े आर्थिक संकट का सामना बख़ूबी किया और देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए आर्थिक सुधारों को अपनाया। उस समय इन सुधारों का कई राजनैतिक दलों ने विरोध किया। लेकिन ये सुधार राष्ट्र हित में थे और इसीलिए बाद में आने वाली सभी सरकारों ने उनको जारी रखा। साल 1991 से लेकर आज तक सुधारों की ये प्रक्रिया आगे बढ़ती रही है।भाइयो और बहनो,
मेरा मानना है कि पिछला दशक भी हमारे देश के इतिहास में बहुत बड़े बदलावों का दशक रहा है। देश की आर्थिक समृद्धि जितनी इस दशक में बढ़ी है उतनी पहले किसी दशक में नहीं बढ़ी। लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा मिला है और समाज के बहुत से वर्ग विकास की प्रक्रिया से पहली बार जुड़े हैं। आम आदमी को नए अधिकार मिले हैं जिनकी बदौलत उसकी सामाजिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है।
भाइयो और बहनो,
मई 2004 में पहली UPA सरकार सत्ता में आई थी। तब से लेकर आज तक हमने एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के लिए लगन और ईमानदारी से काम किया है।
हमने एक खुशहाल भारत की कल्पना की है। एक ऐसा भारत जो सदियों से चले आ रहे गरीबी, भूख और बीमारी के बोझ से मुक्ति पा चुका हो। जहाँ शिक्षा के उजाले से अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे दूर हो चुके हों।
जहां सामाजिक समानता हो और सबको एक जैसे आर्थिक अवसर प्राप्त हों। जहाँ समाज के किसी भी तबके को अन्याय और शोषण का सामना न करना पड़े।
हमने एक ऐसे भारत का सपना देखा है जहाँ नौजवानों को रोज़गार के ऐसे अवसर मिलें जिनके जरिए वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान कर सकें।
हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ बुलंद करनी चाही है। हमने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहा है जिसे सारी दुनिया आदर और सम्मान के साथ देखे।
इन सपनों को साकार करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं। लेकिन सफर लंबा है, अभी बहुत फासला और तय करना है।
भाइयो और बहनों,
अभी कुछ दिन पहले हमने Food Security कानून बनाने की दिशा में एक Ordinance जारी किया है। Food Security Bill अब संसद के सामने है और हमें उम्मीद है यह जल्द ही पास हो जाएगा। इस कानून का फायदा हमारे गांवों की 75 प्रतिशत और शहरों की आधी आबादी को पहुंचेगा। इसके तहत 81 करोड़ भारतीयों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो मोटा अनाज मिल पाएगा। यह दुनिया भर में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयास है।
हम अपने किसानों की मेहनत की वजह से ही इस कानून को लागू कर पाए हैं। साल 2011-12 में हमारी अनाज पैदावार 25.9 करोड़ टन रही, जो एक रिकार्ड है।
बिना तेज़ कृषि विकास के हम अपने गांवों में खुशहाली पहुंचाने का मक़सद हासिल नहीं कर सकते हैं। पैदावार बढ़ाने और किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलवाने के लिए हमने लगातार कोशिशें की है। फसलों के खरीद मूल्यों में पिछले 9 सालों में पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ोत्तरी की गई है। गेहूं और धान के खरीद मूल्य दुगुने से भी अधिक किए गए हैं। कई ऐसे राज्यों में जहां पहले अनाज की कमी रहती थी आज उनकी अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पैदावार हो रही है।
11 वीं पंच-वर्षीय योजना के दौरान कृषि विकास की औसत सालाना दर 3.6 प्रतिशत रही है जो 9वीं और 10वीं योजना, दोनों से ज्यादा है।
अब ग्रामीण इलाकों में खुशहाली बढ़ने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं। साल 2004 से लेकर 2011 तक प्रतिव्यक्ति उपभोग किया जा रहा सामान और सुविधाएं पहले के मुकाबले चार गुना तेजी से बढ़े हैं।
ग्रामीण मजदूरी दर में भी कहीं अधिक तेजी से वृद्धि हुई है। मनरेगा की बदौलत ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों गरीब लोगों को रोज़गार मिल रहा है।
गरीबी को नापना एक मुश्किल काम है। गरीबी की परिभाषा को लेकर लोगों के अलग-अलग मत हैं। लेकिन हम गरीबी की चाहे कोई भी परिभाषा अपनाएं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 2004 के बाद गरीबी कम होने की गति तेज़ हुई है।
कई ऐसे राज्य, जो बहुत समय से पिछड़े माने जाते थे और जिनमें से कुछ को “बीमारू” कहा जाता था, आज तेज़ी से विकास कर रहे हैं।
भारत में हर बच्चे को शिक्षा के अवसर देने के लिए हमने शिक्षा का अधिकार कानून बनाया है। आज देश में लगभग सभी बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या पिछले नौ सालों में दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। गरीबों और कमजोर तबकों के बच्चों को शिक्षा के अवसरों का फायदा दिलाने के लिए हमने बड़े पैमाने पर वज़ीफों के कार्यक्रम शुरू किए हैं। आज देश भर में 2 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को केन्द्र सरकार द्वारा वज़ीफे दिए जा रहे हैं।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई नए संस्थान खोले गए हैं। जैसे 8 नए IIT, 7 नए IIM, 16 नई Central Universities और 10 नए NIT । Scientific Research को बढ़ावा देने के लिए भी नई संस्थाएं खोली गई हैं। Science की पढ़ाई में ज्यादा छात्रों को शामिल करने के लिए और विदेशों से भारतीय Scientists की वापसी आसान करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।
लेकिन शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बहुत सारे स्कूलों में अभी भी पीने का साफ पानी, शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। शिक्षा की Quality को बेहतर बनाने की ज़रूरत है। इसके लिए अध्यापकों की training पर ज़्यादा जोर दिया जाना आवश्यक है।
Mid-day-Meal योजना में रोज करीब 11 करोड़ बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना दिया जा रहा है। यह योजना बच्चों की पढ़ाई और पोषण दोनों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन इसको बेहतर तरह से लागू करना भी बहुत ज़रूरी है। बिहार में पिछले दिनों जो दर्दनाक हादसा हुआ वह देश में कहीं भी दोबारा नहीं होना चाहिए।
2005 में हमने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरूआत की थी। इस मिशन के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। देश में Maternal Mortality Rate और Infant Mortality Rate दोनों तेज़ी से घटे हैं। पहले से कहीं अधिक बच्चों का जन्म आज अस्पतालों में होता है। टीकाकरण के प्रतिशत में भी काफी वृद्धि हुई है।
पिछले दो सालों से हमारे देश में पोलियो का कोई भी केस सामने नहीं आया है। हमें एक ऐसे रोग को मिटाने में कामयाबी मिली है जो लाखों लोगों को अपंग बना दिया करता था।
हमारे ग़रीब भाई-बहनों को अस्पतालों में इलाज के लिए मुफ्त बीमा सुविधा प्रदान कराने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अब साढ़े तीन करोड़ परिवारों को फायदा पहुंचा रही है।
हमने शहरी क्षेत्रों में भी Health Mission लागू किया है जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा और उनमें सुधार आएगा। महिलाओं की सुरक्षा को बेहतर करने के लिए, हमने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित कानून को मज़बूत बनाया है।
Infrastructure यानि सड़कों, रेलगाड़ी, बिजली उत्पादन, Civil Aviation, बंदरगाहों और Telecom जैसे क्षेत्रों में भी पिछले 9 सालों में काफी तरक्की हुई है। गांवों को जोड़ने वाली प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2 लाख किलोमीटर नई सड़कें बनाई गई हैं। सैंतीस हजार Kilometer से ज़्यादा नए Highway बनाए गए हैं जिनसे व्यापार और यात्रा अब ज़्यादा आसान हो गए हैं। चालीस से ज़्यादा हवाई अड्डों का निर्माण या नवीनीकरण किया गया है। सन् 2004 में सिर्फ 7 प्रतिशत लागों के पास telephone connection थे। आज 73 प्रतिशत लोगों को यह सुविधा प्राप्त है। ग्रामीण इलाकों में यह प्रतिशत 2 से बढ़कर 40 हो गया है। बिजली उत्पादन में रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुई है।
भाइयो और बहनो,
हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में यह बात चर्चा में रही है कि पिछले साल हमारी विकास दर कम होकर 5% रह गई है। यह बात सच है और हम इस हालत में सुधार लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ हमारा देश ही अकेला आर्थिक कठिनाईयों का सामना नहीं कर रहा है। पूरी विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पिछला साल मुश्किल भरा रहा है। यूरोप के बड़े देशों में इस वक्त मंदी चल रही है। दुनिया भर में हर जगह निर्यात बाज़ारों की स्थिति में गिरावट आई है। सभी विकासशील देशों को मंदी का सामना करना पड़ा है।
मेरा मानना है कि भारत में धीमे विकास का दौर बहुत दिन नहीं चलेगा। पिछले 9 सालों में हमारी अर्थव्यवस्था में औसतन 7.9 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है। विकास की यह रफ्तार अब तक किसी भी दशक में हुई प्रगति से कहीं ज्यादा है। भाइयो और बहनो,
आज दुनिया के देश एक दूसरे से जितना जुड़े हुए हैं उतना पहले कभी नहीं रहे। हमने अपनी विदेश नीति के जरिए यह कोशिश की है कि भारत को इस बात का पूरा फायदा मिले। दुनिया की बड़ी ताकतों से पिछले 9 सालों में हमारे संबंध लगातार सुधरे हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व Asia में स्थित दस ASEAN राष्ट्रों के साथ हमारी Look East Policy के अच्छे नतीजे सामने आए हैं, खासकर आर्थिक मामलों में। हमारी यह भी कोशिश रही है कि पड़ोसी देशों के साथ हमारी दोस्ती बढ़े। लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होने के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपनी सरज़मीन और अपने नियंत्रण वाली ज़मीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए न होने दे।
राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी स्थिति में सुधार हुआ है। 2012 में और इस साल कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की चिंताजनक घटनाओं के बावजूद, पिछले 9 साल सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से अच्छे गुजरे हैं। आतंकवादी और नक्सली हिंसा में भी कमी आई है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हमें लगातार सावधानी बरतने की ज़रूरत है। समय-समय पर हो रहे नक्सली हमलों को पूरी तरह रोकने में हम सफल नहीं हो पाए हैं। छत्तीसगढ़ में पिछली 25 मई को जो नक्सली हिंसा हुई वह भारत के लोकतंत्र पर एक सीधा हमला था। भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर हाल में हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश करेंगे।
भाइयो और बहनो,
सरकार के काम को ज़्यादा संवेदनशील, पारदर्शी, और ईमानदार बनाने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से मैं सिर्फ दो का ज़िक्र यहां करना चाहूंगा।
RTI कानून के जरिए आम आदमी को अब सरकारी कामकाज के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा जानकारी मिल रही है। इस कानून का इस्तेमाल एक बड़े पैमाने पर, हर स्तर पर हो रहा है। यह कानून अक्सर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सामने लाता है और सुधार का रास्ता खोलता है। मुझे यकीन है कि आने वाले समय में RTI की वजह से सरकारी कामकाज में और सुधार आएगा ।
हमने संसद में लोकपाल बिल प्रस्तुत किया है। लोक सभा ने इसे pass कर दिया है और अब इस पर राज्य सभा विचार कर रही है। यह कानून हमारी राजनैतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
भाइयो और बहनो,
हमने पिछले दशक में एक लंबा सफर तय किया है। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बदलाव का जो सिलसिला हमने शुरू किया है उसे आने वाले वक्त में जारी रखा जाएगा।
जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, तेज़ आर्थिक विकास हमारे देश के लिए बेहद ज़रूरी है। गरीबी दूर करना, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना और रोज़गार के नए-नए अवसर पैदा करना – यह सब तेज़ आर्थिक विकास के बगैर मुमकिन नहीं है। पिछले 9 साल में हमने आर्थिक विकास की जो औसत रफ्तार हासिल की है उससे हमारे देश की क्षमताओं का पता चलता है। लेकिन इस वक्त देश के आर्थिक विकास की दर में कमी आई है। हम इस कमी को दूर करने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं।
उद्योगों के लिए सरकारी मंज़ूरियों की प्रक्रिया को तेज़ करने, देश में उद्योग और व्यापार के लिए बेहतर माहौल बनाने और निवेश को बढ़ाने के लिए हमने हाल ही में कई कदम उठाए हैं। बड़ी परियोजनाओं की मंजूरियों की प्रक्रिया में मदद करने के लिए एक विशेष cell की स्थापना की गई है। Cabinet Committee on Investment रुकी हुई परियोजनाओं की अड़चनें दूर करने का काम कर रही है।
बिजली उत्पादन बढ़ाने के रास्ते में कोयले की आपूर्ति एक समस्या बन गई थी। इसको हमने काफी हद तक सुलझा लिया है।
आने वाले महीनों में Infrastructure के क्षेत्र में बहुत सी बड़ी परियोजनाओं पर हम काम शुरू करने वाले हैं। इनमें 2 नए बंदरगाह, 8 नए हवाईअड्डे, नए Industrial Corridors और रेल परियोजनाएं शामिल हैं।
Foreign Direct Investment को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में हमने कई क्षेत्रों में ऐसे निवेश की सीमा बढ़ाई है और इसकी प्रक्रिया को आसान बनाया है।
निवेश बढ़ाने की इन कोशिशों के अच्छे नतीजे हमें अगले कुछ महीनों में साफ देखने को मिलेंगे। इससे आर्थिक विकास की रफ्तार तेज़ होगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और infrastructure में भी सुधार आएगा।
भाइयो और बहनो,
Food Security कानून बनने के बाद उसे प्रभावी ढंग से लागू करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक रहेगी। इस दिशा में हमने राज्यों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। Public Distribution System के Computerization के काम में तेज़ी लाई जाएगी।
Mid-day-Meal Scheme में सुधार लाए जाएंगे। बच्चों को स्कूल में मिल रहा भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ साफ सुथरे ढंग से बना हुआ होना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए हम ठोस कदम उठाएंगे।
Skill Development के क्षेत्र में शुरुआत में हम उतनी अच्छी प्रगति नहीं कर पाए जितनी चाहते थे, लेकिन अब इसमें तेज़ी आई है। हमने कुछ महीने पहले National Skill Development Authority का गठन किया है। हम जल्द ही एक नई योजना शुरू करेंगे जिसके तहत उन नौजवानों को लगभग 10 हज़ार रुपये की राशि दी जाएगी, जिन्होंने सफलतापूर्वक नई Skills हासिल की हैं। इस योजना से अगले 12 महीने में करीब 10 लाख नौजवानों को फायदा पहुंचेगा।
अल्पसंख्यकों के लिए बनाए गए Multi-Sectoral Development Programme में हाल ही में सुधार लाए गए हैं। अब इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।Minor Forest Produce के लिए खरीद मूल्य निर्धारित करने की स्कीम को मंजूरी दे दी गई है। इससे हमारे आदिवासी भाई-बहनों को लघु वन उपज के सही दाम मिलेंगे। इस योजना को हम जल्द-से-जल्द लागू करेंगे।
आदिवासी भाई-बहनों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर के बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति की Report से हमें उनके लिए बेहतर योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
हम अपने देश में बहुत सी समस्याओं को बेहतर Technology के ज़रिए हल कर सकते हैं। इसकी एक मिसाल है आधार योजना। इस योजना के तहत इस साल के आख़िर तक पचास करोड़ लोगों को अपनी पहचान साबित करने का जरिया मिलेगा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उनको सहूलियत पहुंचेगी। इसके ज़रिए हम करोड़ों लोगों को पहली बार बैंकों की सुविधाओं का लाभ दे पाएंगे।
भाइयो और बहनो,
एक आधुनिक, प्रगतिशील और Secular देश में तंग और सांप्रदायिक ख्यालों की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। ऐसी सोच हमारे समाज को बांटती है और हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर करती है। हमें इसे रोकना होगा। हमें अपनी संस्कृति की उन परंपराओं को मज़बूत करना होगा, जो हमें अन्य विचारधाराओं के प्रति सहनशील होना और उनका सम्मान करना सिखाती हैं। मैं आज सभी राजनैतिक दलों, समाज के सभी वर्गों और आम जनता से इस दिशा में प्रयास करने की अपील करता हूँ ।
भाइयो और बहनो,
कुछ देर पहले मैंने कहा था कि आज़ादी के बाद के हर दशक में भारत में बड़े परिवर्तन आये हैं। हमें आज यह सोचना है कि आने वाले दस सालों में हम किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं। पिछले दस सालों में जैसी प्रगति हमने की है यदि हम उसे आगे भी जारी रखें तो वह वक्त दूर नहीं जब भारत को ग़रीबी, भूख, बीमारी और अशिक्षा से complete मुक्ति मिल जाएगी। हमारा भारत खुशहाल होगा और उसकी खुशहाली में सभी नागरिक बराबर के शरीक होंगे चाहे उनका धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा कुछ भी हो।
इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल भी बनाना होगा।
आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाने के लिए अपने आपको फिर से समर्पित करें।
प्यारे बच्चों, अब आप मेरे साथ मिलकर तीन बार बोलिए…
जय हिन्द – जय हिन्द – जय हिन्द ।”
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh paying floral tributes at the Samadhi of Mahatma Gandhi, at Rajghat on the occasion of the 67th Independence Day, in Delhi on August 15, 2013.

लोकसभा ने पारित किया ,आतंकवाद के लिए ,पाकिस्तान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव

लोकसभा ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया
सदन में ये प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने रखा था। प्रस्ताव में जम्‍मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर ‌पाकिस्तान द्वारा की जा रही गोलीबारी की निंदा की गई है।
गौर तलब है कि प‌ाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना की कार्यवाही की आलोचना की थी। जिसके विरोध में भाजपा ने आज पाकिस्तान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की थी।
,इससे पूर्व भारत ने मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वार्ता की नए सिरे से पेशकश को ठुकराया दिया।
नई दिल्ली ने वार्ता से पहले पुंछ हमला और मुंबई आतंकी हमले के दोषियों को दंडित करने और सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन बंद करने की शर्त रखी है।
भारत की ओर से यह तीखी प्रतिक्रिया विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पाकिस्तान सरकार को पुंछ हमले की जिम्मेदारी लेने की नसीहत देने के बाद आई है।
बहरहाल भारत के इस कड़े रुख से अगले महीने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की न्यूयार्क में होने वाली संभावित मुलाकात पर भी सस्पेंस गहरा गया हैउधर पाकिस्तान ने भी एक नया शगूफा छोड़ते हुए कहा है कि भारत में नई सरकार बनाने पर वार्ता शुरू की जायेगी|

अडवाणी ने थल सेना अध्यक्ष का अभिनन्दन किया और एल ओ सी पर गलत बयानी के लिए मंत्रियों की आलोचना भी की : सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा]के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने, सेना के नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर दिए प्रेस बयान की पुष्टि और रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से इसे शामिल करवाने के लिए, थल सेना अध्यक्ष बी के सिंह को बधाई दी है लेकिन इसके साथ ही रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी द्वारा संसद में बयानों की गड़ बड़ी के लिए क्षमा याचना की आशा भी व्यक्त की है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
गत् सप्ताह 6 अगस्त को विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद में हमारे चार नेताओं -राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और मुझे सूचित किया कि प्रधानमंत्री हमसे उस विषय पर विचार-विमर्श करना चाहते हैं जिसका उन्होंने अपनी बंगलादेश यात्रा पर जाने से पूर्व संक्षिप्त रूप से संदर्भ दिया था। यानी दोनों देशों के बीच सीमा समझौता। इस मुद्दे के संदर्भ में, बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा सहित पश्चिम बंगाल और असम से अन्य अनेक नेताओं के एक बड़े भाजपा समूह के सामने सम्बन्धित तथ्यों को रखा था।
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक के निर्धारित समय सायं साढ़े पांच बजे से कुछ मिनट पूर्व मैं रेसकोर्स रोड पहुंच गया, लगभग उसी समय ए.के. एंटोनी भी पहुंचे। मैंने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को बंगलादेश से सटे एनक्लेव्स के मुद्दे पर विचार-विमर्श हेतु बुलाया है। मैंने पूछा कि क्या वह भी इसी मुद्दे पर होने वाली बैठक में आए हैं। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें ‘बुलाया‘ गया है परन्तु उन्हें विषय के मामले में पता नहीं है।
यह उस दिन की बात है जिस दिन पाक सैनिकों और पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर हमारे पांच जवानों की हत्या की थी। यह उस दिन सुबह सेना के जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया था। हालांकि उस दिन दोपहर बाद सदन में वक्तव्य देते हुए रक्षा मंत्री ने उस घटना के बारे में सेना द्वारा दिए गए ब्यौरे को इस तरह से बदला कि इन हत्याओं का आरोप सिर्फ आतंकवादियों पर लगा। इस वक्तव्य ने न केवल संसद को क्रोधित किया अपितु शहीद जवानों के परिवारों को भी इस हद तक नाराज किया कि एक जवान की विधवा ने सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 लाख रूपये के मुआवजे को भी लेने से मना कर दिया। एक समाचारपत्र की रिपोर्ट के मुताबिक विजय राय की पत्नी पुष्पा राय ने अपनी मनोव्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ”क्या 10 लाख रूपये का मुआवजा मेरे पति को वापस ला सकता है? हमें मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई चाहिए।”
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक में न केवल सलमान खुर्शीद अपितु ए.के. एंटोनी भी मौजूद थे। बंगलादेश एनक्लेव्स और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी हमले -दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। हमने दोनों मुद्दों पर दृढ़ता से अपना पक्ष रखा।
बंगलादेश सम्बन्धी मुद्दे पर हमने प्रधानमंत्री को बताया कि इस प्रस्ताव पर हमारी राज्य इकाइयों का मुखर विरोध है, इसलिए हम इस पर राजी नहीं हैं।
पाकिस्तान द्वारा हमारे जवानों के कत्लेआम पर भी हमारी इसी प्रकार की दृढ़ प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के साथ इसी बैठक में उस दिन के रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में मैंने एक कठोर शब्द ‘गड़बड़ करना‘ उपयोग किया। मेरे मन में सदैव ए.के. एंटोनी के लिए गर्मजोशी और सम्मान रहा है। इसलिए उस दिन के उनके वक्तव्य पर मैं सचमुच काफी हैरान था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सलमान खुर्शीद को रक्षामंत्री से सेना के बयान को बदलने को राजी किया।
रेसकोर्स रोड की इस बैठक में यह सहमति बनी कि सेनाध्यक्ष से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद अगले दिन रक्षा मंत्री एक संशोधित बयान देंगे। सेनाध्यक्ष जम्मू गए ताकि वे घटना की जानकारी स्वयं ले सकें। हमने कहा कि हम संशोधित वक्तव्य की प्रतीक्षा करेंगे।
मैं सेनाध्यक्ष को बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने सेना के प्रेस बयान की न केवल पुष्टि की अपितु रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से यह शामिल करने में सफलता पाई कि ”इस हमने में पाकिस्तानी सेना से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान शामिल थे।” संसद में हम सबको इस पर प्रसन्नता महसूस हुई कि एंटोनी अपने संशोधित वक्तव्य में न केवल नियंत्रण रेखा तक सीमित रहे अपितु उन्होंने आगे बढ़कर यह दोहराया कि पाकिस्तान से तब तक सामान्य सम्बन्ध नहीं हो सकते जब तक कि वह इन तीन निम्न बातों को पूरा नहीं करता:
(1) आतंकवादी बुनियादी ढांचे को समाप्त किया जाए।
( 2) ऐसे प्रयास करने चाहिए जिनसे नवम्बर, 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के
जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो।
( 3) इस सप्ताह मारे गए हमारे जवानों के लिए पाकिस्तान में मौजूद जिम्मेदार और कुछ
समय पूर्व हमारे जवानों के धड़ काट कर ले जाने वालों को दण्डित नहीं किया जाता।
सामान्यतया, सेनाध्यक्ष को उपरोक्त दी गई बधाई के साथ मैं रक्षामंत्री को भी बधाई देता हूं। लेकिन तभी यदि वह 6 अगस्त के अपने वक्तव्य को औपचारिक रूप से वापस लेने का साहस दिखाते तथा सेना से माफी मांगते कि उन्होंने उनके ब्यौरे जो एकदम सही था, में भद्दे ढंग से बदलाव कर प्रस्तुत किया। कोई भी मंत्री सदन में ऐसी बात नहीं कह सकता जो झूठ हो। यदि गलत सूचना के चलते वह कुछ असत्य कहता है तो उसे कम से कम खेद तो प्रकट करना चाहिए।
मंत्री और सेना द्वारा अपनाए गये इस तरह के सख्त रवैये के बाद देश आशा करता है कि प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से शांति वार्ता करने की अपनी उत्सुकता त्याग देगें। इन दिनों समूचा विश्व देख रहा है कि कैसे स्नोडेन को शरण देने के बाद ओबामा ने पुतिन से निर्धारित अपनी मुलाकात ही रद्द कर दी!

लाल कृषण अडवाणी ने भी रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी का उपहास उड़ाया

भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने भी अपने ब्लॉग में एक अन्य लेख के माध्यम से रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी का उपहास उड़ाया है |
ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में अडवाणी ने बताया है कि इण्डियन एक्सप्रेस के मुख्य सम्पादक शेखर गुप्ता के सम्पादकीय पृष्ठ पर ‘स्केर्ड विट्लस‘ (SCARED WITLESS) शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ है जिसमे ए.के. एंटोनी की तुलना शेक्सपीयर के नाटक ”जूलियस सीजर” के मार्क एंटोनी से की गई है इस लेख के साथ समाचारपत्र के कार्टूनिस्ट इ.पी. उन्नी द्वारा चोगे में रक्षामंत्री ए.के. एंटोनी के रेखाचित्र भी रेखांकित किया गया है जिसमें ऐ के अंटोनी को ‘मार्क-II एंटोनी स्पीच!‘ के रूप में वर्णित किया है |अडवाणी ने ”इतनी निर्दयता और शानदार ढंग” की इस प्रस्तुति की प्रशंसा की है।
लेख कहता है: ”आपके पास अन्य मंत्रीगण हैं और नानाविध मुद्दों पर उनके वक्तव्य हो सकते हैं। लेकिन नियंत्रण रेखा पर हुई घटना के बारे में रक्षामंत्री ऐसा करें? वह अब कहते हैं कि पहले वह ‘उपलब्ध‘ सूचनाओं के आधार पर बोले और अब वे ज्यादा अच्छा जानते हैं कि आतंकवादी सेना के वेश में न केवल पाकिस्तानी रेगुलर्स (नियमित सैनिक) बन गए अपितु उनकी विशेष फोर्स से भी हैं।

President of India extended greetings to the Government and People of Pakistan on the Occasion of the Independence Day of this neighboring Country

India extends greetings and felicitations to the Government and People of Pakistan on the Occasion of the Independence Day of this neighboring Country
The President of India, Shri Pranab Mukherjee has extended greetings and felicitations to the Government and people of Pakistan on the occasion of the Independence Day of Pakistan (August 14, 2013)
In a message to his counter part in Pakistan Asif Ali Zardari, the President has said, “on the occasion of the Independence Day of Pakistan, I have the pleasure of conveying, on behalf of the Government and the people of India, our felicitations to the Government and the people of Pakistan.
I take this opportunity to reiterate India`s commitment to building a friendly and cooperative relationship with Pakistan that leads to peace in our region and progress and prosperity of our peoples”.President of India to address the nation tomorrow on the eve of Independence Day 2013
Apart from the above Shri Mukherjee will address nation tomorrow on the eve of India’s 67th Independence Day.
The address will be telecast over all channels of Doordarshan in English from 7 P.M. onwards followed immediately by its Hindi translation. AIR will broadcast the regional language versions of the address over its regional channels from 9.30 P.M. onwards.

पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है : लाल कृषण अडवाणी

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा] के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने संसद सत्र को व्यर्थ करने के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की | अडवाणी ने अपने ब्लाग में बताया है कि संसद के मानसून सत्र में तेलंगाना के गठन को लेकर सरकार की ढुल मुल नीति + सीमा पर हुए पाकिस्तान के आक्रमण पर बदल बदल कर दिए गए रक्षा मंत्री के बयानों से देश और सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंची है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
इन इकतालीस वर्षों के अपने संसदीय जीवन में मैंने पहले कभी भी नहीं देखा कि किसी सरकार ने संसद सत्र को इतनी बुरी तरह से व्यर्थ कर दिया हो जैसाकि यूपीए सरकार ने संसद के वर्तमान मानसून सत्र को किया है।
तीन सप्ताह का सत्र घोषित किया गया था। पहला सप्ताह समाप्त हो गया है। एक दिन भी न तो प्रश्नकाल हो सका या न ही कोई अन्य कामकाज। समूचे सप्ताह में रोज हंगामा होता रहा। और यह हंगामा मुख्य रुप से आंध्र से जुड़े कांग्रेसजनों ने किया-जो तेलंगाना का विरोध और आंधा प्रदेश को संयुक्त रखने की मांग कर रहे थे।
पहले सप्ताह के व्यर्थ जाने में मुख्य कारण तेलंगाना के बारे में घोषणा करना रहा। भाजपा सदस्य सरकार से बार-बार अनुरोध करते रहे कि वह अपनी पार्टी के सदस्यों को संयम में रखें परन्तु इस दिशा में कोई कोशिश होती भी नहीं दिखाई दी! इससे आश्चर्य होता है कि आने वाले दो सप्ताहों के सत्र की सत्तारुढ़ दल कैसे योजना बनाएगा!
तेलंगाना आंदोलन के दशकों पुराने इतिहास में जाए बगैर मुझे स्मरण आता है कि 9 दिसम्बर, 2009 का, जब यूपीए सरकार ने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री श्री पी. चिदम्बरम ने घोषणा की कि भारत सरकार एक पृथक राज्य तेलंगाना बनाने की रुकी हुई प्रक्रिया को राज्य विधानसभा में विधेयक पारित कराकर शुरु करेगी। सभी को लगा था कि इस हेतु आवश्यक विचार-विमर्श कांग्रेस पार्टी के भीतर हो गया होगा। लेकिन इस घोषणा से आंध्र और रायलसीमा में विरोध शुरु हो गया। 23 दिसम्बर, 2009 को भारत सरकार ने दूसरी घोषणा की कि जब तक सभी दलों से एक आम सहमति नहीं बन जाती तब तक तेलंगाना पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इसका अर्थ हुआ गृह मंत्रालय की घोषणा का उलट होना। अब जो हो रहा है उससे तेलंगाना के लोग महसूस कर रहे हैं कि यह घोषणा आगामी चुनावों में फायदा उठाने के उद्देश से की गई है और सत्तारुढ़ दल ने एक बार फिर से उन्हें वेबकूफ बनाया है।
मुझे याद है कि एनडीए शासन के दौरान तीन नए राज्यों-उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड-का निर्माण कितनी सहजता से हुआ। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार-इन तीन राज्यों जिनमें से उपरोक्त तीनों राज्यों का जन्म हुआ, की विधानसभाओं ने इनके पक्ष में प्रस्ताव पारित किए और संसद के दोनों सदनों में लगभग सर्वसम्मति से आवश्यक विधेयक पारित किए। यह सब इसलिए हासिल हो सका क्योंकि भाजपा इन नए राज्यों के बारे में इच्छुक थी और इस सम्बन्ध में आवश्यक आधार कार्य कर लिया गया था।
तब भी भाजपा तेलंगाना के पक्ष में थी लेकिन चूंकि उस समय हमारी सरकार को समर्थन दे रही सहयोगी पार्टी तेलुगूदेसम इसके पक्ष में नहीं थी, अत: हमारी सरकार इसके बारे में बात तक नहीं कर सकी।
तेलंगाना मुद्दे को गलत ढंग से ‘हैंडल‘ करने के चलते अब तक का संसद सत्र एकदम व्यर्थ गया है। परन्तु पिछले सप्ताह नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक गंभीर त्रासदी घटी, जिसने इस सरकार की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है-विशेष रुप से रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी द्वारा त्रासदी के दिन गड़बड़ करने से।
मैं कहना चाहूंगा कि यदि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर घात लगाकर हमारे पांच जवानों को मार गिराया, तो एंटोनी के वक्तव्य से व्यथित भारतीय संसद ने रक्षा मंत्री पर हमलाकर उन्हें अपने पहले दिन के अस्पष्ट वक्तव्य को वापस लेने पर बाध्य किया और उसके स्थान पर दूसरा वक्तव्य आया जो पाकिस्तान के विरुध्द राष्ट्रीय आक्रोश को पूरी तरह से प्रकट करता है।
संसद में रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में चौंका देने वाली यह बात कि उन्होंने इस घटना के बारे में सेना द्वारा जारी किए अधिकारिक बयान में जानबूझर बदलाव किए-बदलाव पाक सरकार और पाक सेना को इस हमले जिम्मेदारी से बचाने के लिए किए गए।
सेना के बयान में बदले गए अंश का उदाहरण:
पीआईबी (रक्षा विभाग) का प्रेस वक्तव्य कहता है: ”हमला पाक सेना के जवानों के साथ लगभग 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों द्वारा किया गया।” रक्षा मंत्री एंटोनी ने कहा: ”हमला 20 भारी हथियारबंद आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहले लोगों से साथ मिलकर किया।”
संसद का वर्तमान सत्र शुरु होने से पूर्व ही प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया में प्रकाशित हुआ था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ वार्ता करने वाले हैं और वह भी 26/11 के मुंबई के आतंकवादी हमलों के अपराधियों को भारत को सौंप जाने की शर्त को भुलाकर। इसलिए संसद को एंटोनी के 8 अगस्त के संशोधित वक्तव्य में यह देखकर प्रसन्नता हुई कि ”पाकिस्तान की आतंकवादियों के नेटवर्क संगठन और ढांचे को नेस्तानबूद करने में निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और नवम्बर, 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने में संतोषजनक कदम उठाने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय हो सके।
घटनास्थल पर सेनाध्यक्ष के दौरे और रक्षा मंत्री को पूरे तथ्यों की जानकारी देने के बाद संसद में मंत्री के संशोधित संस्करण में पाकिस्तान को निम्न शब्दों में चेतावनी दी गई:
”निश्चित तौर पर इस घटना का पाकिस्तान के साथ हमारे सम्बन्धों और नियंत्रण रेखा पर हमारे व्यवहार पर असर पड़ेगा। हमारे संयम को कमजोरी नहीं समझना चाहिए और हमारी सशस्त्र सेना की क्षमता को तथा हमारे इस दृढ़ निश्चय को कि हम नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं होने देंगे, कम करके नहीं आंका जाना चाहिए था।”