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छावनी छेत्र में अवैध तरीके से बने भवनों से सुरक्षा को खतरा बता कर सेना ने १०० परिवारों को उजाडा: Security Hazard

[मेरठ] छावनी छेत्र में अवैध तरीके से बने भवनों से सुरक्षा को खतरा बता कर सेना ने दशकों से खाली+उपेक्षित पड़ी बेशकीमती जमीन पर बने झोपड़ों को बुलडोज करके लगभग १०० परिवारों को भगा दिया|शनिवार २ मार्च को इस बहादुरी के कारनामे को अंजाम दिया गया| छावनी स्थित जाफर वाला बाग में सेना की 21 एकड़ ऐ -वन भूमि है। सैन्य भूमि संख्या-68-69 पर कुछ लोगों ने दशकों पहले झोपड़ी बना ली। पश्चिमी यूपी सब एरिया मुख्यालय ने 22 फरवरी को उन्हें जगह खाली करने का नोटिस दिया था।इसकी मियाद खत्म होने पर शनिवार को पुलिस फोर्स की मौजूदगी में सब एरिया मुख्यालय की सैन्य यूनिट अतिक्रमण हटाने पहुंची।
जाफरा बाग में अवैध तरीके से रह रहे करीब 100 से अधिक परिवारों की झोपड़ियां तोड़ते समय जवानों को विरोध का सामना भी करना पडा |पीड़ितों ने सरे आम सैन्य अफसरों से कहा कि होटल और बंगलों पर न तो सेना कार्यवाही करती है और न ही बोर्ड ही कोई पहल करता है।
छेत्र वासियों का कहना है कि सेना की इस बहुमूल्य जमीन पर दशकों से ये झोपड़ियाँ बनी हुई हैं पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा में आ रहा था कि इनमे कुछ बंगलादेशी भी रहते हैं|

छावनी छेत्र में अवैध तरीके से बने भवनों से सुरक्षा को खतरा बता कर सेना ने १०० परिवारों को उजाडा: Security Hazard

छावनी छेत्र में अवैध तरीके से बने भवनों से सुरक्षा को खतरा बता कर सेना ने १०० परिवारों को उजाडा: Security Hazard


इस तोड़ फोड़ का समर्थन करते हुए कहा गया है कि अवैध तरीके से बने भवनों से सुरक्षा को खतरा है | यह पहले फेज की कार्रवाई की गई है। अगले फेज में अन्य भवनों को तोड़ा जाएगा।
कहा जाता है कि

गेहूं के साथ घुन्न भी पिस जाता है

सो इस अभियान में ओल्ड ग्रांट के भवन में बने मकानों पर भी सेना का बुलडोज़र चल गया | रक्षा संपदा विभाग के अधीन बी-3 ओल्ड ग्रांट बंगला नंबर 70 में बने भवन गिरा दिए गए । बुलडोजर ने बंगले में कैंट बोर्ड की अनुमति के बगैर बने तीन भवनों को ध्वस्त कर दिया। यहां ब्रजकिशोर, जगन्नाथ और भारत का परिवार रहता था।
सेना की कार्रवाई का वहां के लोगों ने विरोध किया। उन्होंने उक्त भूमि सेना की न होने का प्रमाण दिया तो सैन्य अफसराें ने बंगला क्षेत्र में कार्रवाई रोक दी। ब्रजमोहन और भारत का कहना है कि बंगले पर जगत प्रसाद गोयल का कब्जा है, वे किरायेदार हैं।
सैन्य छेत्र से खदेड़ने से इन झोपड़ पट्टियों में रहने वाले बँगला देशी या अवैध कब्जे की समस्या का हल निकालने की यह पहल कारगर हो पायेगी इसमें संदेह है|क्योंकि एक छेत्र से उजड़ने के बाद ये लोग दूसरे छेत्र में बस जाते हैं ऐसे अनेको झोपड़े बेगम पुल से लेकर तोपखाने तक दिखाई देते हैं |सरकारें गरीबों के नाम पर ढेरों यौजनाएं बनाती हैं अगर ऐसे लोगों के लिए भी मकान बनवा दिए जाएँ तो शायद समस्या को सुलझाया जा सकेगा|और अगर ये लोग अनधिकृत हैं तो इन्हें डिपोर्ट करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करना होगा