पुलिस क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज पर दुराचार के एक मामले में सतही जांच कर आरोप पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की गई है|यह नाराज़गी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा जाहिर की गई है| दुराचार के मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस के जांच तरीके पर सवालिया निशान लगाया है।
न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में जांच करने वाले
यह आदेश सीतापुर जिले के थाना कमलापुर निवासी श्रीमती राजकुमारी की ओर से दायर याचिका पर दिए गए हैं।
याची का आरोप है कि विवेचना सही तरीके से नहीं हो रही है। इस पर संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी को अदालत में बुलाया गया। क्षेत्राधिकारी सिधौली ने अदालत को बताया कि पूर्व क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज ने विवेचना के दौरान दुराचार के अपराध की धारा 376 को हटाकर चार मुल्जिमों विनोद, राजेश, रमेश व उदई का नाम भी विवेचना में बाहर कर हटा दिया तथा केवल एक मुल्जिम अमित शुक्ला का नाम रखा है और आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया है।
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