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दुराचार के मामले में सतही जांच करने पर पुलिस क्षेत्राधिकारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोटिस भेजा

पुलिस क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज पर दुराचार के एक मामले में सतही जांच कर आरोप पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की गई है|यह नाराज़गी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा जाहिर की गई है| दुराचार के मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस के जांच तरीके पर सवालिया निशान लगाया है।
न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में जांच करने वाले

u.p. police

ने न तो पीड़िता का कलमबंद बयान दर्ज कराया और न ही उसका डॉक्टरी परीक्षण कराया। यह भी कहा कि पुलिस ने दुराचार जैसे संगीन मामले को आश्चर्यजनक रूप से हल्की धाराओं में तरमीम करते हुए मामले के चार मुल्जिमों को विवेचना से बाहर करते हुए केवल एक मुल्जिम के नाम 31 अगस्त 2012 आरोप पत्र प्रेषित कर दिया। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज को नोटिस जारी कर आगामी 20 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से तलब भी किया है।
यह आदेश सीतापुर जिले के थाना कमलापुर निवासी श्रीमती राजकुमारी की ओर से दायर याचिका पर दिए गए हैं।
याची का आरोप है कि विवेचना सही तरीके से नहीं हो रही है। इस पर संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी को अदालत में बुलाया गया। क्षेत्राधिकारी सिधौली ने अदालत को बताया कि पूर्व क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज ने विवेचना के दौरान दुराचार के अपराध की धारा 376 को हटाकर चार मुल्जिमों विनोद, राजेश, रमेश व उदई का नाम भी विवेचना में बाहर कर हटा दिया तथा केवल एक मुल्जिम अमित शुक्ला का नाम रखा है और आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया है।

Comments

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