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Tag: उ प पुलिस की वर्दी

ग्राम प्रधानो की लडाई में गोलियां चली :पोलिस डी एस पी मार डाला गया

ग्रामीणों की भीड़ द्वारा कुंडा[यूं पी] के पोलिस के डी एस पी जिया उल हक की ड्यूटी पर हत्या कर एक एएसआई और एक गनर को भी बुरी तरह से जख्मी कर दिया गयाहै । डीएसपी हथिगवां क्षेत्र के बलीपुर में शनिवार २ मार्च की रात भड़की हिंसा पर काबू पाने के लिए फोर्स के साथ वहां ड्यूटी पर गए थे।
बताया जा रहा है कि पुलिस और ग्रामीणों के बीच संघर्ष और फायरिंग में प्रधान के भाई की भी मौत हो गई। मरने वाला प्रधान प्रदेश सरकार के चर्चित दबंग मंत्री रघुराज प्रताप सिंह[ राजा भैया] का समर्थक बताया गया है।

ग्राम प्रधानो की लडाई में गोलियां चली :पोलिस डी एस पी मार डाला गया

ग्राम प्रधानो की लडाई में गोलियां चली :पोलिस डी एस पी मार डाला गया


प्राप्त जानकारी के अनुसार बलीपुर के प्रधान चालीस वर्षीय नन्हें यादव शनिवार रात गांव के चौराहे पर चाय की दुकान पर समर्थकों के साथ बैठे थे। बातचीत के बाद जब घर जाने के लिए उठे तो सामने से आया एक युवक उनके सीने में गोली मारकर भाग निकला। फायरिंग की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़ पड़े। उन्हें अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने प्रधान को मृत घोषित कर दिया। प्रधान की हत्या की जानकारी मिलते ही राजा भैया समर्थकों ने पाल बस्ती स्थित आरोपी के घर पर हमला बोल कर उसे फूंक दिया।
इसके बाद हालात काबू करने के लिए बड़ी मात्रा पुलिस बल भेजा गया। पुलिस ने लोगों को हटाना चाहा, तो लोग उससे भिड़ गए। पुलिस और ग्रामीणों के बीच संघर्ष में प्रधान के भाई सुरेश कुमार की मौत हो गई। कहा जा रहा है कि प्रधान पर दो दिन पहले भी हमला हुआ था। इसके बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। इससे लोगों का गुस्सा अधिक थाआनन फानन में गांव में तीन कंपनी पीएसी तैनाती कर दी गई। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर हालात का जायजा ले रहे हैं।

दुराचार के मामले में सतही जांच करने पर पुलिस क्षेत्राधिकारी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोटिस भेजा

पुलिस क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज पर दुराचार के एक मामले में सतही जांच कर आरोप पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की गई है|यह नाराज़गी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा जाहिर की गई है| दुराचार के मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस के जांच तरीके पर सवालिया निशान लगाया है।
न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में जांच करने वाले

u.p. police

ने न तो पीड़िता का कलमबंद बयान दर्ज कराया और न ही उसका डॉक्टरी परीक्षण कराया। यह भी कहा कि पुलिस ने दुराचार जैसे संगीन मामले को आश्चर्यजनक रूप से हल्की धाराओं में तरमीम करते हुए मामले के चार मुल्जिमों को विवेचना से बाहर करते हुए केवल एक मुल्जिम के नाम 31 अगस्त 2012 आरोप पत्र प्रेषित कर दिया। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज को नोटिस जारी कर आगामी 20 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से तलब भी किया है।
यह आदेश सीतापुर जिले के थाना कमलापुर निवासी श्रीमती राजकुमारी की ओर से दायर याचिका पर दिए गए हैं।
याची का आरोप है कि विवेचना सही तरीके से नहीं हो रही है। इस पर संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी को अदालत में बुलाया गया। क्षेत्राधिकारी सिधौली ने अदालत को बताया कि पूर्व क्षेत्राधिकारी बीआर सरोज ने विवेचना के दौरान दुराचार के अपराध की धारा 376 को हटाकर चार मुल्जिमों विनोद, राजेश, रमेश व उदई का नाम भी विवेचना में बाहर कर हटा दिया तथा केवल एक मुल्जिम अमित शुक्ला का नाम रखा है और आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया है।