रफ़ीक अंसारी यूं न इतरा के चलिए
खुले आम जाम लगाते न चलिए
ये माना बने हैं नए नए राज्य मंत्री
संतरियों का साया भी होगा जरूरी
भीड़ भी दिखानी कहीं होगी लाजिम
मगर इतना जान लीजिये गर हो सके
तो इस नाचीज की जरूर मान लीजिये
मजबूरी हो सकते हुकमरानों की आप
जुल्म क्यूँ कर फिर रियाया मजबूर पर
मसाइल और भी बहुत हैं हमारी जान को
जिन्हें सहलाने की गर कुव्वत नहीं आप में
नन्ही जान को फिर रुलाते न चलिए
दुआएं लीजिये इनमे बढ़ी बरकत है
बद्दुआओं का असर बुजुर्गों से पूछिये