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प्रधानमंत्री ने किसानों की पीड़ा में सहभागी बनते हुए किसानों के कष्टों के निदान के लिए सभी से सुझाव मांगें

[नई दिल्ली]प्रधानमंत्री ने किसानों की पीड़ा में सहभागी बनते हुए किसानों के कष्टों के निदान के लिए सभी से सुझाव मांगें
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोक सभा में किसानों की पीड़ा में सहभागी बनते हुए इसके निदान के लिए सभी से सुझाव मांगें
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि कई वर्षों से, किसानों की आत्महत्या, समग्र देश के लिए चिंता का विषय रहा है। समय समय पर, हर सरकार ने, उनसे जो भी संभव हुआ, करती रही है। कल की घटना[गजेन्द्र की आत्महत्या] के कारण पूरे देश में जो पीड़ा है, उसकी अभिव्यक्ति सदन के भी सभी माननीय सदस्यों ने की है। पीएम ने इस पीड़ा में सहभागिता दर्शाते हुए कहा कि “यह हम सब का संकल्प रहे, हम सब मिल कर के, इस समस्या का समाधान कैसे ढूंढें” उन्होंने कहा कि समस्या बहुत पुरानी है, समस्या बड़ी व्यापक है, और उसे उस रूप में लेना पड़ेगा। जो भी अच्छे सुझाव होंगे उसे ले करके चलने के लिए सरकार तैयार है। किसान की ज़िंदगी से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। इंसान की ज़िंदगी से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती। और इसलिए, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की तरफ से जो जानकारी देनी थी वह आपको दी है, लेकिन मैं, इस सदन की पीड़ा के साथ अपने आप को जोड़ते हुए.कहना चाहता हूँ हम सबको सोचना होगा कि हम कहाँ गलत रहे, वो कौनसे गलत रास्ते पर चल पड़े, वो कौनसी कमियां रही, पहले क्या कमियां रही, पिछले दस महीनों में क्या कमियां रही, यह सबका दायित्व है। लेकिन किसानों की इस समस्या के समाधान का रास्ता हमको खोजना है, और इस विषय पर खुले मन से, जो भी सुझाव आये, ज़रूर बताये जाएँ |किसान को असहाय नहीं छोडा जा सकता |मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता|कोई न कोई हल अवश्य निकल कर आएगा |