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जयंतचौधरी साहिब ! आंदोलन भुनाने के लिए लकीरों की सियासत समझो

रालोदाईचिंतक

 जयंतचौधरी साहिब ! आंदोलन भुनाने के लिए लकीरों की सियासत समझो

जयंतचौधरी साहिब ! आंदोलन भुनाने के लिए लकीरों की सियासत समझो

ओए झल्लेया!बहुत हो लिया।ईब किसानों का उत्पीड़न और बर्दाश्त नही हो रहा। इबलो तो किसानों को अंधाधुंध चुनावी बक्से भरने के बजाय अपने सियासी हित के लियो लाईन खींचनी जरूरी हो गई है।
झल्ला
झल्लाचौधरी साहिब!तुस्सी गल्लां तो उंगली उठा के चंगी चंगी कर रहे हो लेकिन इन आंदोलनों से जो सियासी जमीन आप जी को मिलती हैं उसे भुनाने के लिए लकीरें बदलने में मार खा जाते हो।सो बिखरे तिनको को समेटने के लिए लकीरों की सियासत समझो
फ़ाइल फ़ोटो