नरेंद्र मोदी ने संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए राजनीतिक विनम्रता को भी परिभाषित किया
नरेंद्र मोदी ने पहली बार संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए विनम्रता को भी परिभाषित किया |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए संसद में सामूहिक भावना के साथ काम करने को कहा|
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सरकार के लिए, राष्ट्रपति का अभिभाषण सिर्फ औपचारिक अनुष्ठान या परंपरा मात्र नहीं है बल्कि प्रेरणा है जिसकी अपनी पवित्रता है। उन्होंने लोकसभा के सभी सांसदों से कहा कि उसमें उल्लेखित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि लोकसभा के निर्वाचित सदस्य अब लोगों की आशा और आकांक्षाओं के अभिरक्षक हैं।
उन्होंने स्थिरता+ सुशासन + विकास के लिए मतदान के लिए जनता को धन्यवाद दिया और इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया |
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का लोकसभा में जवाब देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने 50 से अधिक उन सांसदों के विचार ध्यान से सुने जो बहस में शामिल हुए। कुछ सांसदों का यह पूछना सहज है कि हम कैसे और कब जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे |गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने विधान सभा में इरादा जाहिर किया था कि वह गुजरात के गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करना चाहते हैं। इसी तरह की आशंका तब भी प्रकट की गई थीं। लेकिन वह इच्छा पूरी की गई।
श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने समूची बहस में रचनात्मक माहौल देखा। सदन में 125 करोड़ भारतीयों की आशाओं की प्रतिध्वनि सुनाई दी। उन्होंने कहा कि यह अच्छा लक्षण भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में आम आदमी के विश्वास की बात करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह विश्वास सारी दुनिया को दिखाने लायक है। उन्होंने कहा कि भारत में अमरीका और यूरोप की आबादी से भी अधिक मतदाता हैं। सरकार को गरीबों के लिए काम करना चाहिए। अगर सरकार ने गरीबों की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया तो लोग उसे कभी माफ नहीं करेंगे। इसलिए सरकार गरीबों को सशक्त बनाने और गरीबों को गरीबी से संघर्ष करने की ताकत देने के लिए पूरे प्रयास करेगी।प्रधानमंत्री ने कहा राष्ट्रपति के अभिभाषण में कही गई बात ” रूरबन ” का जिक्र किया और कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होगा यदि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं यानी सुविधा शहर की, आत्मा गांव की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि-प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिनमें कृषि आधारित उद्योग और मिट्टी की जांच की बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी में ग्लोबल लीडर के रूप में मान्यता प्राप्त करने के बावजूद, हमारे पास अब भी कृषि-उत्पादों के वास्तविक आंकड़े नहीं हैं।
जैविक आहार के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में सिक्किम के उदय का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि जैविक उत्पादों के लिए उभरती वैश्विक मांग पूरी करने के लिए समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र को जैविक केंद्र क्यों नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कृषि विश्वविद्यालय हैं लेकिन ”प्रयोगशाला से खेत ” तक रूपांतरण उस हद तक नहीं हो रहा जिस हद तक होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि महंगाई कम करने का उनका वायदा महज नारा नहीं है, यह इरादा है क्योंकि गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी खाने के लिए पर्याप्त भोजन होना चाहिए।
श्री मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से जोरदार अपील की कि बलात्कार का मनोवैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण न किया जाए। उन्होंने राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करते हुए कहा ‘क्या हम चुप रह सकते हैं’ ।
प्रधानमंत्री ने देश के जनसांख्यिकीय संबंधी लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल कौशल विकास की आवश्यकता को रेखांकित करता है। कौशल विकास के साथ-साथ श्रमेव-जयते की भावना भी होनी चाहिए ताकि श्रम को सम्मान दिया जा सके। विश्व में हमारी पहचान ‘घोटाला-भारत’ के स्थान पर कौशल भारत होनी चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि एक व्यक्ति के स्वस्थ होने के लिए मानव शरीर के सभी अंगों का फिट होना जरूरी है उसी तरह भारत को समृद्ध बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों और देश के सभी क्षेत्रों का समृद्ध होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संख्या के आधार पर आगे बढ़ने के बजाय एकता और सर्वसम्मति की पक्षधर है।