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केंद्र सरकार के खातों में घरेलू कामगारों के आंकड़े नहीं हैं फिर भी बीमा योजना के लाभ बुक किये जा रहे हैं

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय स्तर पर घरेलू कामगारों[ Domestic Workers ]के आंकड़े रखे नहीं जाते इसके बावजूद दावा किया गया है कि देश में करीब 26.91 लाख घरेलू कामगार मौजूद हैं और इन्हें राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना (RSBY) के लाभ भी प्रदान किए हैं।
खान, इस्‍पात और श्रम एवं रोजगार राज्‍यमंत्री विष्‍णु देव साई का कहना ही कि केंद्रीय स्‍तर पर घरेलू कामगारों के बारे में कोई डाटा नहीं रखा जाता। तथापि, राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वे की रिपोर्ट संख्‍या 554: भारत में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति के अनुसार देश में करीब 26.91 लाख घरेलू कामगार मौजूद हैं।
इसके अलावा घरेलू कामगारों के लिए एक राष्‍ट्रीय नीति का प्रारूप सरकार के विचाराधीन भी है।
लोक सभा में आज एक लिखित उत्‍तर में श्री साई ने बताया कि केंद्र सरकार ने घरेलू कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 बनाया है।
सरकार ने घरेलू कामगारों को राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के लाभ भी प्रदान किए हैं। विभिन्‍न श्रम कानून जैसे न्‍यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम 1923, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1979 भी इन घरेलू कामगारों पर लागू है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जब कभी घरेलू कामगारों के शोषण के बारे में कोई शिकायत प्राप्‍त होती है, तो देश के कानून के अनुसार उस पर कार्रवाई की जाती है।
राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2009-10 में श्रमशक्ति की कुल संख्‍या 46.5 करोड़ थी। इसमें से करीब-करीब 2.8 करोड़ (6 प्रति‍शत ) लोग संगठित क्षेत्र में थे अधिकांश श्रम कानून केवल संगठित क्षेत्र पर ही लागू हैं, जिनकी संख्‍या कुल श्रमशक्ति का करीब 6 प्रति‍शत ही है।
लोक सभा में एक अन्य लिखित उत्‍तर में विष्‍णु देव साई ने बताया कि सरकार ने श्रम सुधार लाने की दृष्टि से फैक्‍ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन के लिए एक विस्‍तृत प्रस्‍ताव तैयार किया है। प्रस्‍तावित प्रमुख संशोधनों में निम्‍नलिखित शामिल हैं।
[१]कतिपय शर्तों के साथ फैक्‍ट्र‍ियों में महिलाओं के रात में काम करने पर प्रतिबंधों में छूट।
[२]एक तिमाही में ओवरटाइम (मौजूदा 50 घंटे) की समय सीमा को बढ़ाकर 100घंटे करना
[३]अपराधों को सम्मिश्र करने के संबंध में एक नई उपधारा को लागू करना।
[४]कामगारों की सुर‍क्षा के लिए व्‍यक्ति‍गत सुरक्षा उपकरण का प्रावधान/ फ्यूम और गैसों के प्रति ज्‍यादा सावधानियां।
[५]नियम बनाने के लिए केंद्र सरकार को शक्ति प्रदान करना (वर्तमान में एक राज्‍य सरकारें ही नियम बनाती हैं।)
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि फैक्‍ट्री अधिनियम 1948 में संशोधन की प्रक्रिया में सरकार ने योजना आयोग के पूर्व सदस्‍य डॉ. नरेन्‍द्र जाधव की अध्‍यक्षता में 2011 में एक वि‍शेषज्ञ समिति की स्‍थापना की थी। इस वि‍शेषज्ञ समिति ने जनवरी से मार्च 2011 में कर्मचारी और कामगार संगठनों (ट्रेड यूनियन) को शामिल करते हुए बैठकों की एक श्रृंखला चलाई थी। ट्रेड यूनियनों और नियोक्‍ता प्रतिनिधियों के सुझावों पर वि‍शेषज्ञ समिति द्वारा विचार किया गया है।