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इन्द्रियों पर एकाधिकार करने वाला जीवन में सुख , दुःख की कहाँ परवाह करता है

जेहि रहीम तन मन लियो , कियो हिए बिच भौन ।
तासों दुःख सुख कहन की , रही बात अब कौन ।

Rakesh khurana On Sant Rahim Das Ji

अर्थ : कवि रहीम का कथन है कि जिस व्यक्ति ने तन – मन पर अधिकार कर लिया है , उसने ह्रदय में स्थान बना लिया है ।ऐसे प्रेमी से अब दुःख , सुख कहने की कौन सी बात शेष रह गई है।
भाव : जिसने अपनी समस्त इन्द्रियों पर एकाधिकार कर लिया है अर्थात उन्हें अपने वश में कर लिया है , वही व्यक्ति ईश्वर के प्रेम को अपने ह्रदय में स्थान दे पाता है ।ऐसा ईश्वरीय प्रेम का दीवाना व्यक्ति , जीवन में सुख , दुःख की कहाँ परवाह करता है , वह तो समदर्शी हो जाता है। वह सभी में ईश्वर की छवि निहारना लगता है , सभी जीवों से प्रेम करने लगता है ।दुःख – सुख , सांसारिक मोह – माया और किसी तरह का लालच उसे कभी नहीं भरमाता ।
संत रहीम दास जी की वाणी
प्रस्तुती राकेश खुराना

Comments

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