हम माया के वशीभूत होकर परमेश्वर को भुला बैठते हैं. हे प्रभु हम भुलन्हार हैं आप बक्शंहार हो. आप हमें कभी न भुलाना,
हम संसार के हाथों में हैं और संसार आपके हाथों में है. हम नर हैं आप नारायण हो. आप हम पतितों को पावन करने वाले हो.
परमात्मा की स्मृति में सभी सुख हैं तथा परमात्मा से विस्मृति में सभी दुःख हैं.
पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी जिज्ञासुओं को समझाते हुए कहते हैं की हमारे जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं. मनुष्य
के जीवन में सुख भी आते हैं और दुःख भी आते हैं, यश भी मिलेगा और अपयश भी मिलेगा. हमें सुख के समय प्रभु का शुक्रिया
अदा करना चाहिए तथा दुःख के समय प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें, क्योंकि
परमात्मा की इच्छा के बिना हम दुःख भी नही भोग सकते.
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली , मेरठ
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