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हम सभी एक ही प्रभु के अंश हैं, इसीलिए प्रभु का जानने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है:संत राजिंदर सिंह जी महाराज

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज फ़र्माते हैं कि अध्यात्म का अर्थ है यह जानना कि बाहरी नामों और लेबलों के नीचे हम सब वास्तव में एक ही प्रभु का अंश हैं।इसीलिए प्रभु का जानने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है क्यूंकि हम सब एक ही बड़े परिवार के सदस्य हैं।
अध्यात्मिक विज्ञान और सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिंदर जी महाराज का कहना है कि जब हम इस दृष्टिकोण के साथ जीने लगते हैं, तो हमारे अंदर कोई पूर्वाग्रह या भेद-भाव नहीं रहता और हम वो सभी दीवारें तोड़ डालते हैं जो एक इंसान को दूसरे से अलग करती हैं। हम महसूस करते हैं कि हम सब आत्मा के स्तर पर एक हैं। इस एकता और जुड़ाव का अनुभव करने से हम एक-दूसरे का ख़याल रखने लगते हैं; हम एक-दूसरे की सेवा व सहायता करने लगते हैं। हमारा दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है और हम सभी इंसानों के साथ करुणा से पेश आते हैं।
साइंस आफ़ स्पिरिच्युएलिटी’ तथा ‘सावन कृपाल रूहानी मिशन’ के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म के द्वारा आंतरिक और बाह्य शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिये अंतर्राष्ट्रीय रूप से जाने जाते हैं। विश्व भर में उनके द्वारा किये गये महान् योगदानों के लिये उन्हें प्रदत्त अनेक पुरस्कारों व सम्मानों में सम्मानार्थ डाक्टरेट की पाँच उपाधियाँ शामिल हैं।भारत में जन्मे तथा वैज्ञानिक के रूप में शिक्षित संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म और विज्ञान दोनों की गूढ़ समझ रखते हैं। उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शिक्षा भारत के दो महान् पूर्ण संतों – संत कृपाल सिंह जी महाराज (1894-1974) व संत दर्शन सिंह जी महाराज (1921-1989)- के द्वारा प्राप्त की।
यूनाइटेड स्टेट्स आफ़ अमेरिका से विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने बीस वर्ष तक विज्ञान एवं संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। अध्यात्म और विज्ञान दोनों का इतना गहरा ज्ञान होने के कारण वे पुरातन व गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षाओं को आज की सरल, स्पष्ट एवं तार्किक भाषा में समझाने में सफल रहे हैं।संत जी महाराज सेवा कार्यों के लिए दान पर निर्भर नही है वरन अपनी व्यतिगत कमाई लगाते हैं |