Ad

Tag: इमाम ! आजान

प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए

Rakesh Khurana


कबीर मुलां मुरारे किआ चढहि सांई न बहरा होइ ।
जा कारनि तूं बांग देहि दिल ही भीतर जोई ।
भाव: संत कबीर दास जी कहते हैं कि ए इमाम ! आजान के लिए ऊंचे मीनार पर जाकर क्यों बांग देता है , परमात्मा बहरा नहीं है ।जिसके लिए तू बांग दे रहा है वह तो तेरे दिल में विराजमान है अर्थात ईश्वर की प्रार्थना के लिए हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए । जिस चीज के लिए प्रार्थना करें उस की सच्ची ख्वाहिश होनी चाहिए जो न केवल बुद्धि विचार करके हो बल्कि अंतरात्मा से होनी चाहिए ।
संत कबीर दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना