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Tag: आत्मा

स्वयम को आत्मा के रूप में देखने से परमात्मा के साथ रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है

मीरा मन मानी सुरत सैल असमानी ।
जब जब सुरत लगे वा घर की , पल पल नैनन पानी ।

Rakesh Khurana On Sant Meera Bai

भाव : संत मीरा जी कहती हैं कि मेरा मन इसे मान गया है कि ये जो शरीर है , ये मेरा असली धाम नहीं है । अपने गुरु के बताये हुए रास्ते पर चलकर मैं मन की जकड़ से निकल आई हूँ । मेरी रूह अब अन्दर के आसमानों की , अन्दर के चेतन मंडलों की सैर कर रही है ।जब – जब मुझे अपने घर की याद आती है , वह घर जहाँ से मैं आई हूँ , परमात्मा का घर जिसे सचखंड कहा जाता है , उस समय मेरी आँखें भर आती हैं ।जब हम अपने आपको आत्मा के रूप में देखना शुरू कर देते है , तो हमारे अन्दर परमात्मा के साथ हर समय रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है ।
संत मीराबाई जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए

Rakesh Khurana


कबीर मुलां मुरारे किआ चढहि सांई न बहरा होइ ।
जा कारनि तूं बांग देहि दिल ही भीतर जोई ।
भाव: संत कबीर दास जी कहते हैं कि ए इमाम ! आजान के लिए ऊंचे मीनार पर जाकर क्यों बांग देता है , परमात्मा बहरा नहीं है ।जिसके लिए तू बांग दे रहा है वह तो तेरे दिल में विराजमान है अर्थात ईश्वर की प्रार्थना के लिए हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए । जिस चीज के लिए प्रार्थना करें उस की सच्ची ख्वाहिश होनी चाहिए जो न केवल बुद्धि विचार करके हो बल्कि अंतरात्मा से होनी चाहिए ।
संत कबीर दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

नाम की कमाई से आत्मा का परमात्मा से मिलन

जिन्नी नाम ध्याइया गए मुसक्कत घाल ।
नानक से मुख उझले केती छुट्टी नाल ।

नानक से मुख उझले केती छुट्टी नाल

गुरु नानक देव जी ने आत्मा और परमात्मा के मिलाप की मंज़िल की महिमा जपजी साहब में गाई है |
गुरु नानक देव जी ने कहा है कि जिन लोगों ने नाम की आराधना अथवा नाम की कमाई की , अंतर में ज्योति और श्रुति से जुड़कर प्रभु के धाम पहुंचे , उनकी मुशक्क्तें , उनका परम पुरषार्थ सफल हो गया । वो न सिर्फ स्वयं आवागमन से छूट कर परम पद पा गए , मालिक की दरगाह में न सिर्फ अपना मुख उजला कर गए , वरन अपने साथ अनेकों जीवों का कल्याण कर गए ।
गुरु नानक वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

माया के दलदल की दुनिया में अपना ध्यान प्रभु की ओर करना है

वाट हमारी खरी उडीणी।
खंनिअहु तीखी बहुतु पिईणी।
उसु ऊपरि है मारगु मेरा ।
शेख़ फ़रीदा पंथु सम्हारि सवेरा ।

Rakesh Khurana


भाव : बाबा फ़रीद जी हमें समझा रहे हैं कि इस दुनिया में हमारा सच्चा मित्र , सच्चा मददगार केवल परमात्मा है और उसको पाने का रास्ता बहुत लम्बा है क्योंकि ये रास्ता प्रतीक्षा का रास्ता है , भक्ति का रास्ता है ।यह रास्ता छुरे की धार पर चलने जैसा है । यह दुनिया माया की दुनिया है , दलदल की दुनिया है इसी दुनिया में हमें अपना ध्यान प्रभु की ओर करना है इसलिए हम समय गँवाए नहीं , जल्दी से जाग जाएँ क्योंकि समय बहुत कम है । जल्दी से इस रास्ते पर चलना शुरू कर दें , वह रास्ता जो हमारी आत्मा का मिलाप परमात्मा से करा देता है ।
शेख़ फ़रीद जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना