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Tag: संत मीरा बाई वाणी

स्वयम को आत्मा के रूप में देखने से परमात्मा के साथ रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है

मीरा मन मानी सुरत सैल असमानी ।
जब जब सुरत लगे वा घर की , पल पल नैनन पानी ।

Rakesh Khurana On Sant Meera Bai

भाव : संत मीरा जी कहती हैं कि मेरा मन इसे मान गया है कि ये जो शरीर है , ये मेरा असली धाम नहीं है । अपने गुरु के बताये हुए रास्ते पर चलकर मैं मन की जकड़ से निकल आई हूँ । मेरी रूह अब अन्दर के आसमानों की , अन्दर के चेतन मंडलों की सैर कर रही है ।जब – जब मुझे अपने घर की याद आती है , वह घर जहाँ से मैं आई हूँ , परमात्मा का घर जिसे सचखंड कहा जाता है , उस समय मेरी आँखें भर आती हैं ।जब हम अपने आपको आत्मा के रूप में देखना शुरू कर देते है , तो हमारे अन्दर परमात्मा के साथ हर समय रहने की तीव्र तड़प जाग उठती है ।
संत मीराबाई जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना