Ad

Tag: भारत की सास्कृतिक विरासत के वैश्रि्वक राजदूत

चंद तारों के माध्यम से संगीत प्रेमियों के दिलों में झंकार पैदा करने वाले पंडित रविशकर के जीवन के तार टूट गए

प्राचीन भारतीय और मुग़ल वाद्य संगीत का मिश्रण सितार के चंद[छह -साथ] तारों[स्ट्रिंग्स] के माध्यम से पूरे विश्व के संगीत प्रेमियों के दिलों में झंकार पैदा करने वाले मशहूर सितार वादक पंडित रविशकर के जीवन के तार बुधवार सुबह अमेरिका के सेन डियागो में टूट गए |उन्हें कई दिनों से सांस लेने में तकलीफ थी। 92 साल के पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ था।पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित और पूर्व राज्य सभा के सदस्य पंडित रविशंकर के निधन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह+, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी+ जावेद अख्तर + सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी +केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला आदि कई जानी मानी शख्सियत ने शोक जताया है। जावेद अख्तर ने पंडित जी के निधन पर कहा कि देश का संगीत अनाथ हो गया।

पंडित रविशकर के जीवन के तार टूट गए


ट्विटर पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से लिखे संदेश में कहा गया है, पंडित रवि शंकर के निधन से एक युग का अंत हो गया है। मेरे साथ-साथ पूरा देश उनकी प्रतिभा, कला तथा विन्रमता को श्रद्धाजलि देता है। पंडित रवि शकर राष्ट्रीय सम्पदा और भारत की सास्कृतिक विरासत के वैश्रि्वक राजदूत थे।
सोशल साईट ट्विटर पर शोक संवेदना जताने वालों का ताता लग गया है। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने कहा है कि उनका संगीत हमारे आत्मा में बसता है। उनकी मुस्कुराहट भी संगीत लगती थी। भगवान उनकी आत्मा को शाति दे।पंडित राजन मिश्र ने पंडित रविशकर के निधन को बहुत बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि उनके न रहने से शास्त्रीय संगीत को बहुत बड़ा धक्का लगा है।बिरजू महाराज ने कहा कि पंडित जी के निधन की खबर पर यकीन कर पाना बेहद मुश्किल है ।गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित रविशकर की मौत पर दुख जताते हुए उनकी आत्मा की शाति के लिए प्रार्थना किया।श्रीश्री रविशकर ने पंडित रविशकर के बारे में कहा है कि उन्होंने भारतीय संगीत को दुनिया में एक अहम मुकाम दिलवाया। ।वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन और फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ उनके जुड़ाव ने उनके संगीत सफर को नया मुकाम प्रदान किया। पंडित रविशकर को 1999 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया था। उन्हें 14 मानद डॉक्ट्रेट, पद्म विभूषण, मेगसायसाय पुरस्कार, तीन ग्रेमी अवॉर्ड और 1982 में गांधी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ मौलिक संगीत के लिए जार्ज फेन्टन के साथ नामाकन मिला था भारत में पंडित रविशकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया था। देश के बाहर पहला कार्यक्रम उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में दिया था और यूरोप में पहला कार्यक्रम 1956 में दिया था।पंडित रविशंकर संगीत के शिखर पर पहुंचे लेकिन पारिवारिक तौर पर टुकड़ों में बंटे रहे। उन्होंने दो शादियां की। पहली शादी गुरु अलाउद्दीन खान की बेटी अन्नपूर्णा से हुई। जिनसे बाद में उनका तलाक हो गया। जबकि दूसरी शादी सुकन्या से हुई। सुकन्या से उनकी एक संतान है।इसके अलावा उनका संबंध एक अमेरिकी महिला सू जोन्स से भी रहा, जिनसे उनकी एक बेटी नोरा जोन्स हुई। उन्होंने कभी सू से शादी नहीं की। आज पंडित जी की दोनों बेटियां अनुष्का शंकर औऱ नोरा जोन्स, संगीत की उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। वेस्टर्न वर्ल्ड में सितार को लोक प्रिय बनाने का श्रेय पंडित रवि शंकर को ही जाता है| कई फिल्मों में भी सितार का प्रयोग सराहा गया जिनमे कुछ इस प्रकार हैं| [ बीटल्स] [Norwegian Wood] (This Bird Has Flown)” and [Within You Without You] [Paint It Black