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भारत सरकार ने स्वीकारा ,अमेरिका की “पेशेवर” वीजा नीति भारत सापेक्ष नहीं हैं

केंद्र सरकार ने आज यह स्वीकार किया कि बेशक वीजा नीति तथा प्रक्रियाएं मेजबान देश के विशेष अधिकार हैं लेकिन अमरीकी पेशेवर वीजा सम्बन्धी अमरीकी नीतियां भारत सापेक्ष नहीं हैं। इसीलिए व्‍यवसायियों +व्‍यापारी वर्ग को कठिनाई आती है |इस विषय में समय समय पर उचित माध्यम द्वारा मुद्दे को उठाया जाता है |
विदेश राज्‍य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्‍त) वी.के.सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि अमरीकी वीजा प्राप्‍त करने में भारतीय व्‍यवसायियों के सामने आने वाली प्रक्रिया संबंधी कठिनाइयों तथा वीजा शुल्‍क में वृद्धि जैसी समस्‍याओं की जानकारी है। सरकार यह भी स्‍वीकार करती है कि वीजा नीति तथा प्रक्रियाएं मेजबान देश के विशेष अधिकार हैं तथा वीजा से संबंधित अमरीकी नीतियां भारत सापेक्ष नहीं हैं।
फिर भी व्‍यवसायियों +व्‍यापारी यात्रियों की सीमापार आवाजाही की सुविधा का व्‍यापारिक पहलु भी है। इसलिए सरकार भारतीय कंपनियों द्वारा अपने व्‍यवसायियों के लिए उपयुक्‍त वीजा प्राप्‍त करने में आने वाली कठिनाइयों के संबंध में भारत सरकार की चिंताओं को उठाने के लिए व्‍यापार से संबंधित बैठकों सहित अन्‍य बैठकों के दौरान भी प्रत्‍येक अवसर का उपयोग करती है।
श्री सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा अमरीकी अधिकारियों के साथ विभिन्‍न बैठकों में उठाई गई चिंताओं के जवाब में अमरीकी अधिकारियों ने यह उल्‍लेख किया है कि
वित्‍तीय वर्ष 2011 तथा 2012 में भारत अमरीकी एच 1बी वीजा का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।
वित्‍तीय वर्ष 2012 में विश्‍व स्‍तर पर अमरीकी सरकार द्वारा अनुमोदित कुल एच 1बी याचिकाओं में से लगभग 64 % उन आवेदकों से संबंधित थीं, जिनका जन्‍म स्‍थान भारत था।
यह वित्‍तीय वर्ष 2011 की अपेक्षा लगभग 58 %की वृद्धि दर्शाता है।
निरपेक्ष रूप से वित्‍तीय वर्ष 2011 में पूरे विश्‍व में 269563 एच 1बी याचिकाएं अनुमोदित की गई थीं
जिनमें से 156317 भारत से थीं।
वित्‍तीय वर्ष 2012 में अनुमोदित 262569 एच 1बी याचिकाओं में से
168367 भारत से थीं।
चूंकि व्‍यवसायियों के लिए वीजा प्राप्‍त करने की प्रक्रिया के संबंध में भारतीय फर्मों में काफी चिंताएं हैं, इसलिए भारत सरकार अमरीकी पक्ष के समक्ष इन चिंताओं को प्रदर्शित करती रहती है।

अन्तराष्ट्रीय न्यायलय से कैप्टेन कालिया के लिए स्वतंत्र जांच कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

पकिस्तान की सेना द्वारा युद्ध बंधी नियमों का उल्लंघन किये जाने पर अब न्याय के लिए अन्तराष्ट्रीय न्यायलय में जाने के लिए एन के कालिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय केंद्र सरकार को नोटिस जारी कियॆ है|पाकिस्तान के मंत्री रहमान मालिक के तीन दिवसीय भारत दौरे पर यह कार्यवाही काफी अहमियत रखती है| भारतीय सेना के कैप्टन सौरभ कालिया को पाक सेना द्वारा यातना दिए जाने से संबंधित मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में भेजने की याचिका पर सुनवाई करते हुए आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की पीठ ने अधिवक्ता अरविंद कुमार शर्मा की दलील सुनने के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अधिवक्ता ने कहा कि शहीद के परिवार ने मामले को इन्तरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस [आईसीजे] में भेजने के लिए रक्षा मंत्रालय से संपर्क किया है।
कैप्टन कालिया के पिता एन के कालिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कैप्टन कालिया को बंधक बनाने के बाद पाकिस्तान की सेना ने उनके उपचार को लेकर युद्धबंदियों के उपचार से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन किया।
कैप्टन कालिया 4 जाट रेजीमेंट के पहले भारतीय सन्य अधिकारी थे, जिन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के कारगिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा से पाकिस्तानी सेना की बड़े पैमाने पर घुसपैठ की रिपोर्ट दी थी।
कालिया और सेना के पांच अन्य जवानों को पाकिस्तान की सेना ने 15 मई, 1999 को बंधक बना लिया था। उन्होंने सैनिकों को 22 दिन तक बंधक बनाए रखा। बाद में नौ जून, 1999 को उनके शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिए गए।
कैप्टन और पांच अन्य सैनिकों के पोस्टमार्टम से खुलासा हुआ कि पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बुरी तरह यातना दी थी। उन्हें गोली मारने से पहले पाकिस्तान की सेना ने उन्हें सिगरेट से दागने और गर्म सलाखों से कान फोड़ने के अतिरिक्त निजी अंगों सहित उनके शरीर के अन्य अंग भी काट डाले थे।गौर हो कि कारगिल के नायक कैप्टन सौरभ कालिया के पिता ने अपने बेटे के लिए इंसाफ की मांग करते हुए

Captain Saurabh Kalia

(यूएनएचआरसी) में भी याचिका दाखिल की है।
विदेश मंत्रालय ने बीते दिनों कहा था कि वह एनके कालिया की याचिका की प्रकति पर गौर करेगा क्योंकि यूएनएचआरसी उसके सदस्यों द्वारा उठाए जाने वाले केवल अंतर-राज्यीय मुद्दों पर गौर करता है। अपनी याचिका में कालिया ने वैश्विक निकाय से इस मामले की पूर्ण एवं स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने अपने बेटे की मौत को युद्ध अपराध करार दिया है।एनके कालिया का कहना है कि हम चाहते हैं कि कम से कम पाकिस्तान यह स्वीकार करे और माफी मांगे कि उसके सैनिकों ने ऐसा किया और अब हम कभी किसी अन्य सैनिक के साथ ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने हाल ही में उच्चतम न्यायालय से यह अनुरोध किया था कि वह सरकार को उनके बेटे का मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाने का निर्देश दे।
कैप्टन कालिया और उनकी गश्ती दल के पांच अन्य सैनिक 15 मई, 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया था और उन्हें कई दिनों तक रखकर उनका उत्पीड़न किया। बाद में उनका क्षतविक्षत शव भारतीय सेना को सौंपा। सेना के टाप ब्रास जनरल विक्रम सिंह ने भी श्री कालिया को पूरा सहयोग करने का वादा किया है।