कबीर जपना काठ की , क्या दिखलावे मोय ।
ह्रदय नाम न जपेगा , यह जपनी क्या होय ।
भाव : संत कबीर दास जी कहते हैं , हे मनुष्य ! तुम ये अपनी लकड़ी की कंठी क्या दिखला रहे हो , इससे तुम्हारा भला नहीं होने वाला ।अगर तुम्हे कुछ पाना है , कुछ हासिल करना है तो ह्रदय से प्रभु का नाम – भजन करो ,मन पर काबू रखना सीखो । खाली माला फेरने से तुम्हे भगवत – प्राप्ति नहीं हो सकती ।
संत कबीर दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना
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