चरण सोई जो नचत प्रेम से , कर सोई जो पूजा ।
सीस वही जो निवे साधु को , रसना और न दूजा।
लगें । सिर वही है जो किसी महापुरुष के चरणों में झुके और स्वयं को समर्पित कर दे उसे फिर किसी और तरफ देखने की जरुरत नहीं पड़ती ।हम फिर सिर्फ उस महापुरुष के शब्दों पर अमल करें , ऐसी ही धुन , लगन होनी चाहिए। सच्ची लगन हमेशा एक की ही होती है , और वह सदा अटल रहती है ।
संत नामदेव जी
प्रस्तुति राकेश खुराना
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