[मेरठ]2 0 1 2 डी ए 1 4 नहीं दिखा मेरठ में बारिश ने किया मायूस
दक्षिण से उत्तर की और आ रहे 2 0 1 2 डी ए 1 ४[ छोटा तारा]] को देखने की अभिलाषा आज बारिश के कारण पूरी नहीं हो सकी जबकि यह धरती के करीब से गुजर रहा है |
मेरठ में इसे देखने के लिए ट्रांसलाम में प्रगति विज्ञानं संस्था द्वारा व्यवस्था कि गई थी जिसके लिए लगभग ५०० बाल वैज्ञानिको ने तैय्यारी की थी पर बारिश ने सारी आशाओ पर पानी फेर दिया इसी दौरान रूस में गिरे उल्का पिंड ने कन्फ्यूजन पैदा कर दिया की वो यही है पर ऐसा नहीं है नासा ने भी इसे स्पष्ट करते हुए दोनों को अलग अलग बताया है|
बीस फरवरी तक सेटेलाईट को खतरा बना हुआ है
गौरतलब है कि पिछले वर्ष २३ फरवरी १ २ को ही खोजा गया २ ० १ २ डी ए १ ४ आज पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरने की भविष्यवाणी की गई थी
मेरठ के आसमान में भी सूरज छिपते ही २ घंटे तक टेलिस्कोप से यह दिखाईदेना था और रात के १ २ बजकर ५ ९ मिनट पर धरती के सबसे करीब आना था
पचास मीटर व्यास का यह पहला ऐसा पिंड है जो हमारी धरती के इतने नजदीक से निकलने की भविष्य वाणी थी वैज्ञानिको का मानना है की यह अकूत प्राकृतिक संसाधन है जिनको धरती पर लेने की कवायत की जा सकती है.
प्रगति विज्ञानं संस्था के सचिव दीपक शर्मा ने बताया कि रूस में गिरा उल्का पिंड इस छोटे तारे से अलग था रूस में गिरे उल्का पिंड से पैदा हुई कन्फ्यूजन को नासा ने भी दूर कर दिया है|
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