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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो मुक्त देश प्रमाणित किया

[नई दिल्ली]विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो मुक्त देश प्रमाणित कर दिया है इस बाबत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नबी आजाद ने प्रमाण पत्र ग्रहण किया|
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को ‘पोलियो मुक्त’ देश का दर्जा देते हुए आज आधिकारिक प्रमाण पत्र प्रदान किया।
भारत दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के उन देशों में शामिल हो गया हैं जिन्हे जिन्हें वाइल्ड पोलियो वायरस मुक्त देश का प्रमाण पत्र दिया गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाब नबी आजाद ने एक समारोह में यह प्रमाण पत्र ग्रहण किया। इससे पहले 1994 में अमरीका के क्षेत्र, 2000 में पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र और 2002 में यूरोपीय क्षेत्र को यह प्रमाण पत्र मिल चुका है।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में श्री आजाद ने कहा कि भारत जनवरी 2011 में ही पोलियो मुक्त हो चुका था। समूचे दक्षिण-पूर्व एशियाई स्वास्थ्य मंत्रियों की ओर से इस ऐतिहासिक अवसर पर श्री आजाद ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने पर खुशी और संतोष जाहिर किया जो असंभव दिखाई देती थी क्योंकि दुनिया में पोलियो के सबसे अधिक मामले भारत में सामने आते थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत ने 19 वर्ष पूर्व 1995 में पोलियो समाप्त करने का कार्यक्रम आरंभ किया था, जब हर वर्ष देश में 50,000 हजार से ज्यादा बच्चे इसका शिकार हो जाया करते थे। उन्होनें कहा कि उच्च स्तर पर दृढ़ संकल्प के कारण इस उपलब्धि को हासिल किया गया। इनमें तकनीकी आविष्कार जैसे देश में तैयार द्विसंयोजक पोलियो टीका, पर्याप्त घरेलू वित्तीय संसाधनों और पोलियो कार्यक्रमों की सघन निगरानी शामिल है जिसके कारण 99 प्रतिशत टीकाकरण किया गया और भारत पोलियो मुक्त हो गया। उन्होनें कहा कि 10 लाख से अधिक मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएसएचए) और सहायक नर्स दाईयों (एएनएन) के प्रयासों से पोलियो समाप्त करने के कार्यक्रम को गति मिली। 23 लाख पोलियो स्वयं सेवकों और 150,000 सुपरवाइजरों की मजबूत टीम दिन-रात काम करते हुए प्रत्येक बच्चे तक पहुंची। स्वास्थ्य मंत्री ने डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, रोटरी इंटरनेशनल, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और बच्चों के माता-पिता सहित अन्य साझेदारों के मजबूत तकनीकी और सामूहिक प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
इस समारोह में डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र संगठन देशों के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और सहयोगी एजेंसियों जैसे रोटरी इंटरनेशनल, यूनीसेफ और डीएफआईडी के प्रतिनिधि मौजूद थे।