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नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” में युवाओं को नशे के नरक से निकालने के लिए समाज को भी उपयोगी नसीहत दी

[नई दिल्ली] भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर अपने “मन की बात” में युवाओं को नशे के नरक से निकालने के लिए समाज को भी उपयोगी नसीहत दी |
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी ने आज अपनी तीसरी “मन की बात” में नशे के नरक से निकलने के लिए युवाओं के साथ ही समाज को भी उपयोगी नसीहत दी | पीएम मोदी ने इस समस्या से ग्रसित युवा को दुत्कारने के बजाए उसे साइको –सोसिओ-मेडिकल प्रॉब्लम की तरह सुलझाने की सलाह दी उन्होंने नशे की लत को ३ डी का नाम दिया [1] डार्कनेस [2] डिस्ट्रक्शन[3] डिवस्टेशन इसकी व्यख्या करते हुए बताया कि[१] नशा अंधेरी गली में ले जाता है। [२]विनाश के मोड़ पर आकर खड़ा कर देता है और[३] बर्बादी का मंजर इसके सिवाय नशे में कुछ नहीं होता है।
पीएम ने ड्रग्स कि विकराल होती जा रही समस्या के कारणों को चिन्हित करते हुए बताया कि जिसके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, उंचे इरादे नहीं हैं, एक वैक्यूम है, वहां पर ड्रग का प्रवेश करना सरल हो जाता है। ड्रग से अगर बचना है, अपने बच्चे को बचाना है तो उनको ध्येयवादी बनाइये, कुछ करने के इरादे वाले बनाइये, सपने देखने वाले बनाइये। आप देखिये, फिर उनका बाकी चीजों की तरफ मन नही लगेगा। उसको लगेगा नहीं, मुझे करना है।
स्वामी विवेकानन्द का उल्लेख करते हुए कहा ‘एक विचार को ले लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो। उस विचार को जीवन में उतार लो। अपने दिमाग, मांसपेशियां, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार से भर दो और अन्य सभी विचार छोड़ दो’।
पीएम ने माता- पिता से भी कहा “हमारे पास आज कल समय नही हैं दौ़ड़ रहे हैं। जिंदगी का गुजारा करने के लिए दौड़ना पड़ रहा है। अपने जीवन को और अच्छा बनाने के लिये दौड़ना पड़ रहा है। लेकिन इस दौड़ के बीच में भी, अपने बच्चों के लिये हमारे पास समय है क्या ? क्या कभी हमने देखा है कि हम ज्यादातर अपने बच्चों के साथ उनकी लौकिक प्रगति की ही चर्चा करते हैं? कितने मार्क्स लाया, एग्जाम कैसे गई, ज्यादातर क्या खाना है ? क्या नहीं खाना है ? या कभी कहाँ जाना है? कहां नहीं जाना है , हमारी बातों का दायरा इतना सीमित है। या कभी उसके हृदय के भीतर जाकर के अपने बच्चों को अपने पास खोलने के लिये हमने अवसर दिया है? आप ये जरूर कीजिये। अगर बच्चे आपके साथ खुलेंगे तो वहां क्या चल रहा है पता चलेगा। बच्चे में बुरी आदत अचानक नहीं आती है, धीरे धीरे शुरू होती है और जैसे-जैसे बुराई शुरू होती है तो घर में उसका बदलाव भी शुरू होता है। उस बदलाव को बारीकी से देखना चाहिये। उस बदलाव को अगर बारीकी से देखेंगे तो मुझे विश्वास है कि आप बिल्कुल बिगनिंग में ही अपने बालक को बचा लेंगे। उसके यार दोस्तों की भी जानकारी रखिये और सिर्फ प्रगति के आसपास बातों को सीमित न रखें। उसके जीवन की गहराई, उसकी सोच, उसके तर्क, उसके विचार उसकी किताब, उसके दोस्त, उसके मोबाइल फोन्स….क्या हो रहा है? कहां उसका समय बीत रहा है, अपने बच्चों को बचाना होगा”
पीएम ने पूर्वजोंकी कुछ कहावतों के रूप में शिक्षा को भी साँझा किया
5 वर्ष लौ लीजिये,दस लौं ताड़न देई
5 वर्ष लौ लीजिये,दस लौं ताड़न देई
सुत ही सोलह वर्ष में,मित्र सरिज गनि देई
सुत ही सोलह वर्ष में,मित्र सरिज गनि देई
बच्चे की 5 वर्ष की आयु तक माता-पिता प्रेम और दुलार का व्यवहार रखें, इसके बाद जब पुत्र 10 वर्ष का होने को हो तो उसके लिये डिसिप्लिन होना चाहिये, डिसिप्लिन का आग्रह होना चाहिये और कभी-कभी हमने देखा है समझदार मां रूठ जाती है, एक दिन बच्चे से बात नहीं करती है। बच्चे के लिये बहुत बड़ा दण्ड होता है। दण्ड मां तो अपने को देती है लेकिन बच्चे को भी सजा हो जाती है। मां कह दे कि मैं बस आज बोलूंगी नहीं। आप देखिये 10 साल का बच्चा पूरे दिन परेशान हो जाता है। वो अपनी आदत बदल देता है और 16 साल का जब हो जाये तो उसके साथ मित्र जैसा व्यवहार होना चाहिये। खुलकर के बात होनी चाहिये। ये हमारे पूर्वजों ने बहुत अच्छी बात बताई है। मैं चाहता हूं कि ये हमारे पारिवारिक जीवन में इसका कैसे हो उपयोग।
पीएम कुशल प्रशासक की भांति दवाई बेचने वालों को भी चेतावनी दे डाली|। उन्होंने कहा कि डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना कफ़ सिरप जैसी दवाईयां न दी जायें।
शिक्षा के छेत्र को टच करते हुए कहा कि इन दिनों अच्छी पढ़ाई के लिये गांव के बच्चे भी अपना राज्य छोड़कर अच्छी जगह पर एडमिशन के लिये बोर्डिंग लाइफ जीते हैं, हॉस्टल में जीते हैं। मैंने ऐसा सुना है कि वो कभी-कभी इस बुराइयों का प्रवेश द्वार बन जाता है। इसके विषय में शैक्षिक संस्थाओं ने, समाज ने, सुरक्षा बलों ने सभी ने बड़ी जागरूकता रखनी पड़ेगी। जिसकी जिम्मेवारी है उसकी जिम्मेवारी पूरा करने का प्रयास होगा। सरकार के जिम्मे जो होगा वो सरकार को भी करना ही होगा। और इसके लिये हमारा प्रयास रहना चाहिये।
इस अवसर पर पीएम ने बीते दिनों कि उपलब्धियों का जिक्र भी किया |ब्लाइंड क्रिकेट टीम+आतंकवद और बाढ़ से पीड़ित जम्मू कश्मीर की क्रिकेट टीम की मुम्बई में जीत +यूनाइटेड नेशन द्वारा विश्व योग दिवस की घोषणा+मुख्यमंत्रियों की मीटिंग रिट्रीट + नार्थईस्ट के प्राकृतिक सौंदर्य का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए सीमान्त प्रदेशों को भी जोड़ा |
वर्ष 2014 इस आखिरी रेडियो कार्यक्रम में उन्होंने सबको क्रिसमस और 2015 के नववर्ष की एडवांस में सबको शुभकामनायें दी|
फाइल फोटो