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Tag: Fraud in corporate sector

310 करोड़ रुपये की उगाही की आरोपी 78 कॉर्पोरेट कंपनियां अभी भी ‘’भगोड़ा” हैं

310 करोड़ रुपये की उगाही की आरोपी 78 कंपनियां अभी भी ‘’भगोड़ा हैं| 29 कॉर्पोरेट कंपनियों की कथित घोटाले की जांच के आदेश दिये गये है|
२००३ में गठित एसऍफ़आईओ द्वारा 238 चिन्हित भगोड़ा कंपनियों में से 128 ने रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया है |अभी भी 78 कंपनियां ‘’भगोड़े कंपनियों’’ के दायरे में है और इन कंपनियों ने जनता से कुल लगभग 310 करोड़ रुपये की उगाही की है|
कार्पोरेट मामलों के मंत्री श्री अरूण जेटली ने बीते दिन लोकसभा में बताया कि 78 भगोड़े कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उन्‍होंने बताया कि ऐसी कंपनियां जो जनता से पैसे उगाहने के बाद आवश्‍यक दस्‍तावेज व बैलेंस शीट संबंधित विभागों में नहीं दाखिल किया उन्‍हें ‘’भगोड़े कंपनियों’’ के रूप में जाना जाता है। इस तरह की 238 कंपनियों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 128 ने रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया है और अब ये ‘’भगोड़े कंपनियों’’ के दायरे में नहीं आते है। फिर भी इनपर विशेष निगरानी रखी जा रही है। कई कंपनियां (32) बंद होने के कगार पर है। वर्तमान में 78 कंपनियां ‘’भगोड़े कंपनियों’’ के दायरे में है और इन कंपनियों ने जनता से कुल लगभग 310 करोड़ रुपये की उगाही की है।
उन्‍होंने बताया कि 78 कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 162 और 220 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन कंपनियों पर कार्रवाई मंत्रालय की एक समन्‍वय और निगरानी समिति ने की है।
श्री जेटली ने बताया कि सरकार ने निवेशकों के हितो की रक्षा के लिए जागरूकता समेत कई आवश्‍यक कदम उटाऐ है।
वित्‍त मंत्री श्री जेटली ने बताया कि पिछले तीन वर्षों और चालू वित्‍त वर्ष में 30 नवम्‍बर तक कार्पोरेट मामले मंत्रालय ने अपनी विशेष जांच एजेंसी ‘सीरीयस फ्रॉड इंवेस्‍टीगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) के माध्‍यम से कुल 167 कंपनियों के खिलाफ कथित कार्पोरेट घोटाले की जांच के आदेश दिये हैं।
उन्‍होंने बताया कि सामान्‍यत: कार्पोरेट घोटाले की जांच शिकायत प्राप्‍त होने पर ही की जाती है। वर्ष 2003 में एसएफआईओ का गठन गंभीर व जटिल कार्पोरेट घोटालों की जांच के लिए किया गया था।
इस वर्ष 15 नवम्‍बर तक 29 कंपनियों की कथित घोटाले की जांच के आदेश दिये गये है। श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने कार्पोरेट घोटालों की जांच के लिए कई आवश्‍यक कदम उठाये हैं।

धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाला कार्यालय भी कर्मचारियों की कमी से अभिशिप्त है

धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाला कार्यालय भी कर्मचारियों की कमी से अभिशिप्त है
देश में बेशक धोखाधड़ी के गंभीर मामलों का ग्राफ ऊपर जा रहा है लेकिन धोखाधड़ी के गंभीर मामलों की जांच करने वाले कार्यालय में कर्मचारियों की बेहद कमी होती जा रही है |वर्तमान में लगभग ५०%कर्मियों की कमी स्वीकार की जा चुकी है| इस कमी को दूर करने के लिए भर्ती नियमों में संशोधन करने का प्रस्‍ताव अभी तक कार्मिक मंत्रालय में लंबित है|
कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री सचिन पायलट ने आज राज्‍यसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि धोखाधड़ी के गंभीर मामलों के जांच कार्यालय में कर्मचारियों की काफी कमी है। 95 तकनीकी कर्मचारियों के मुकाबले 53 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। इनके अलावा रिक्‍त स्‍थानों पर काम करने के लिए अनुबंध पर सात कर्मचारी रखे गए हैं।
श्री पायलट ने कहा कि इस कार्यालय के गठन के समय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार कार्यालय में कर्मचारी मुख्‍य रूप से प्रतिनियुक्ति पर रखे जाते हैं। सरकार विभिन्‍न संगठनों से कर्मचारी लेने के प्रयास कर रही है। इसके लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिए जाते हैं।
श्री पायलट ने कहा कि कर्मचारियों की कमी को दूर करने के‍ लिए कार्मिक मंत्रालय को भर्ती नियमों में संशोधन करने का प्रस्‍ताव भेजा गया है, ताकि प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी न मिलने की स्थिति में इनकी सीधी भर्ती की जा सके। अवकाश प्राप्‍त सरकारी अधिकारियों को कन्‍सलटेंट के रूप में रखने के बारे में भी अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।