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उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप

[अलीगढ,यूं पी]उत्तर प्रदेश में सूचना कानून को भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों द्वारा मनमाने ढंग से चलाने का आरोप लगाया गया है
अलीगढ से संचालित सजग नागरिको के एक दल ने राज्य के गवर्नर श्री राम नाइक को यह शिकायत भेजी है |
ट्रैप ग्रुप ऑफ़ आर टी आई एक्टिविस्ट्स के सरंक्षक बिमल कुमार खेमानी +ई. विक्रम सिंह ,अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश के विभागों में जन सूचना अधिकारी , प्रथम अपीलीय अधिकारी इस कानून को अपने मनमाने ढंग से चला रहे है |
राज्य सूचना आयोग भी कही न कही इनके समर्थन में ही नजर आता है , वहाँ भी सुनवाई में दीवानी न्यायालय की तरह तारीख पे तारीख दी जाती है जिससे सूचना माँगने वाला परेशान होकर अपने आप घर बैठ जाता है ई
सूचना कानून में इस तरह से तारीख पे तारीख देने का कोई प्रावधान ही नहीं एवम केन्द्रीय सूचना आयोग हो अथवा अन्य राज्य के सूचना आयोग जहा एक ही सुनवाई में अपीलों का निस्तारण कर दिया जता है एवम दोषी जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध कानून सम्मत कार्यवाही /जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जाती है एवम जुर्माना होने के पश्चात भी वसूली पर आयोग का अंकुश रहता है किन्तु उत्तर प्रदेश में पहले तो जुर्माने की प्रक्रिया प्रारम्भ ही नहीं की जाती एवम अगर कही जुर्माना कर दिया जाता है उसे भी मनमाने गैर कानूनी तरीके से माफ़ कर दिया जाता है |
सन २००५ से २०१४ तक जितने भी जुर्माने किये गए है उनमे से वसूली ५ % से अधिक नहीं हुई , नतीजन सभी अधिकारी सूचना कानून से बेखौफ होते हुवे आवेदकों को सूचना प्रदान ही नहीं करते एवम किये गए भ्रष्टाचारो पर पर्दा ही डालने का काम करते है |
संस्था ने निम्न उदाहरण भी दिए हैं
१]अलीगढ की नुमाइश “राजकीय औद्योगिक एवम कृषि प्रदर्शनी” में करोडो की राज्य एवम केंदीय राजस्व की चोरी का मुद्दा
२]चारागाह की भूमि पर प्रशासनिक व्यक्तियों की छत्रछाया में चल रहे अवैध कब्जो का मुद्दा
३] राजस्व विवादों के निस्तारण में घोर लचर कार्यवाही का मुद्दा
४] प्रधान मन्त्री सड़क योजना में किसानो से मुफ्त एवम जबरन अधिगृहित की गई जमीनों का मुद्दा
५]अलीगढ विकास प्राधिकरण द्वारा नियम विरुद्ध निर्माणों पर कोई भी कार्यवाही का मुद्दा

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ,मीडिया के माध्यम से ,यूं पी में राष्ट्रपति शासन की मांग की

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ,मीडिया के माध्यम से ,यूं पी में राष्ट्रपति शासन की मांग की

हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की राष्ट्रपति से संस्तुति किए जाने की मांग की है।
मायावती ने आज यहां प्रदेश के संगठन की समीक्षा तथा लोकसभा चुनाव के समय से पूर्व होने की संभावनाओं के साथ-साथ बदल रही राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार करने के लिए बुलाई बैठक से पूर्व संवाददाताओं से बातचीत करते हुए प्रदेश की चौतरफा लचर व्यवस्था पर चिंता जताई और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की|
उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में यूपी में तेजी से बढ़ रहे अपराध+ बलात्कार और भ्रष्टाचार ने प्रदेश की जनता को त्रस्त कर दिया है और राज्यपाल बी.एल.जोशी से मांग की कि इन मामलों को संविधान के परिपेक्ष्य में गंभीरता से खुद जानकारी हासिल करें और उसके बाद राष्ट्रपति से तत्काल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करें।मायावती ने कहा कि हालांकि वे खुद भी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलकर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकती है, लेकिन ऐसा करने पर उनपर और उनकी पार्टी पर राजनीति करने का आरोप लगा दिया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार जब से सत्ता में आई है प्रदेश में हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही है और नौ महीने के शासनकाल में ही प्रदेश के कई भागों में सौ से अधिक दंगे हो चुके है, जिससे आम जन बुरी तरह त्रस्त है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आर्थिक भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच चुका है| जमीनों पर अवैध कब्जे किये जा रहे हैं| और सपा सरकार बसपा शासनकाल की निष्पक्ष जांच की आड़ में भी भ्रष्टाचार कर रही है।मायावती ने कहा कि मौजूदा सरकार शासन व्यवस्था संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है और लचर व्यवस्था से जनता का ध्यान हटाने के लिए ओबीसी को छात्रवत्ति देने की घोषणा कर रही है, जबकि ओबीसी की ही क्रीमीलेयर की सीमा घटाकर दो लाख रुपये कर दी गयी है, जबकि उन्होंने अपने शासन काल में इसे पांच लाख रुपये किया था।दिल्ली के बलात्कार कांड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके बहाने विभिन्न संगठन और नेता तरह तरह की बयानबाजी कर मामले की गंभीरता को हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं।बलात्कार की बढ़ती घटनाओं और महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त कानून बनाये जाने पर जोर देते हुए मायावती ने कहा कि फिल्म और विज्ञापन में बदलाव के साथ साथ समाज की कमियों को भी दूर करने की सख्त जरूरत है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के 125 वर्ष पूरे होने पर यहां चल रहे समारोह में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर मायावती ने कहा, यह आयोजन सरकारी कम राजनैतिक ज्यादा है इसलिए मेरे जैसे लोगों का ऐसे कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं।
एफडीआई के मामले में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस नीति को राज्यों पर जबरन नहीं थोप रही है और स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में एफडीआई को लागू नहीं होने देगी।