धीमी न्याय प्रक्रिया के श्राप से मुक्ति के लिए न्यायाधीशों की जवाब देही तय किया जाना जरूरी है |आरटीआई एक्टिविस्ट्स के “ट्रैप” ग्रुप द्वारा
पीएम से यह मांग की गई है |
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में ट्रैप ने कहा है कि देश की अदालतों में मुकद्दमो के निस्तारण की गति धीमी होने के कारण न्यायालयों में दिन प्रतिदिन लम्बित मुकदमो की संख्या बढती ही जा रही है I इन मामलों में सतही तौर पर चिंता तो व्यक्त की जाती है , परन्तु समाधान हेतु ठोस प्रयास होते दिख नहीं रहे I अतः देश को विकसित एवम आधुनिक बनाना है तो निश्चित रूप में न्याय प्रक्रिया को भी यथावत स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता I
इसके लिएनिम्न दो कारण दिए गए हैं
१]समयबद्ध तरीके से मुकदमे निस्तारण की व्यवस्था एवम उसमे जबाब देही की कमी
२] जांच स्तर पर काम चलाऊ व्यवस्था जिसकारण अपराधी सिर्फ छूटते ही नहीं बल्कि निर्दोष लम्बी समय तक न्याय को भी तरसते रहते हैं
इसीलिए
[अ]कानून में आवश्यक संशोधन कर , न्यायाधीशों की जवाब देही तय कि जानी चाहिए
[आ]देश की पुलिस+ जांच एजेंसी को उच्च गुणवत्ता + व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ ही जिम्मेदारियों को अलग अलग करना भी अति आवश्यक होगा I
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