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Tag: rakesh khurana

पारस लोहे को सोना बनाता है , पारस नहीं बनाता लेकिन सच्चा संत हमें भी संत बना देता है

सत्संग का प्रभाव
[१]सुभर भरे प्रेम रस रंग , उपजे चाव साध के संग ।
भावर्थ
महापुरुष प्रेम के रस और मस्ती के लबालब भरे प्याले के समान हैं । उनको देखकर हरि मिलन का चाव उपजता है । जैसे पहलवान को देखकर पहलवान बनने का चाव उपजता है, खरबूजे को देख खरबूजा रंग पकड़ता है , ऐसे ही आध्यात्मिक पुरुषों का प्रभाव हमें आध्यात्मिक बना देता है । सब पर प्रेम की बूंद छिडकी जाती है । पढ़ा, अपढ़ सब उससे रंग ले जाते हैं । सतगुरु का दिव्य आकर्षण जैसा भी पात्र हो , उसको आकृष्ट करता है । उसके मंडल में बैठे हुए समय का भान नहीं रहता ।
इसी सन्दर्भ में आता है –
[२]पारस और संत में बड़ो अन्तरो जान।
वह लोहा कंचन करे , वह करले आप समान।
अर्थात पारस और संत में बड़ा अंतर है । पारस लोहे को सोना बनाता है , पारस नहीं बनाता । परन्तु संत हमें संत बना देता है ।
महापवित्र साध का संग, जिस भेंटत लागे हरि रंग ।
साधू की संगति निर्मलता प्रदान करती है , उससे प्रभु का रंग मिलता है ।
प्रस्तुती राकेश खुराना

ईश्वर ने ही मानवता और जिंदगी के सभी रूपों की उत्पत्ति की है :संत राजेंद्र सिंह जी महाराज

सावन कृपाल रूहानी मिशन के मौजूदा संत राजेंदर सिंह जी महाराज ने फरमाया है कि हमें यह सिखाया जाता है कि प्रभु सृष्टि का कर्ता है । प्रभु की ताकत से ही सृष्टि का अस्तित्व है । यह ईश्वर ही है जिसने मानवता और जिंदगी के सभी रूपों की उत्पत्ति की । इस हकीकत को जानने के बाद हमें यह एहसास होना चाहिए कि हम प्रभु की सृष्टि के छोटे से हिस्से हैं, वह परवरदिगार सर्वशक्तिमान है और हम एक मामूली इंसान हैं, इसके बावजूद हम में से बहुत कम लोग इस बात का एहसास करते हैं । अगर हम अपने विचारों की जांच – पड़ताल करें तो हमें मालूम होगा कि हममें से कितने लोग प्रभु और उसकी दी हुई दातों को कितनी बार याद करते हैं। हम जिंदगी के कार्यों में इस कदर फँस गए हैं कि हम प्रभु के बारे में सब भूल बैठें हैं । यह सच है कि हम प्रभु को उस समय याद करते हैं जब हम किसी मुसीबत में या बीमारी के आलम में होते हैं और उससे निजात पाना चाहते हैं ।आज के समय प्रभु को भूलना इतना आसन हो गया है कि कुछ लोग तो उसके अस्तित्व तक को नकारते हैं । बहुत से लोग नास्तिक हैं और प्रभु के होने में विश्वास नहीं करते । काफी वर्षों से वैज्ञानिक परमात्मा का सृष्टि में विद्यमान होना नहीं मानते क्योंकि प्रभु का होना विज्ञान के यंत्रों से प्रमाणित नहीं होता ।
संत राजिंदर सिंह जी महाराज के प्रवचनों का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना